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बच्चों को NEET का पेपर दिलाने आये माँ बाप की मस्जिदों में मेज़बानी करके जीत लिया मुसलमानों ने दिल

नई दिल्ली: इस्लाम अख़लाक़ और अच्छे किरदार का पैगाम देता है,मस्जिद सिर्फ इबादत के लिये नही होती है बल्कि ये पूरे समाज के लिये एक ट्रांसफार्मर का काम करती हैं,पैगम्बर इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब की मस्जिद एक मस्जिद के साथ साथ वो एक अदालत भी थी और रसुल्लाह का मदरसा भी था।

लेकिन धीरे धीरे मस्जिदों से गैर मुस्लिमों को दूरी बनती गई और जिसके कारण आपस में गलतफहमियाँ पैदा होगई हैं,जिससे मस्जिद मात्र एक धार्मिक स्थल बन गया है।

लेकिम केरला से अच्छी खबर आई है कि अपने बच्चों को राष्ट्रीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा (नीट) दिलवाने के लिए कोच्चि पहुंचे परिजनों की मेजबानी कर मस्जिद के प्रबंधन ने लोगों का दिल जीत लिया। कोच्चि के पास अलुवा में मौजूद वाडी हीरा मस्जिद के लोगों ने आगंतुकों को मस्जिद में पनाह देने के साथ उनके आराम के लिए जरूरी चीजें भी मुहैया करवाईं। अलुवा में लगभग 1,200 बच्चे परीक्षा देने आए थे और उनका सेंटर पास के ही ठोटुमुखम सिवागिरी स्कूल और चलक्कल अमल पब्लिक स्कूल में था।

मस्जिद की ओर से परिजनों के लिए किए गए इंतजाम के बारे में बात करते हुए समाजसेवी अब्दुल रऊफ बिन रहीम ने कहा कि वाडी हीरा मस्जिद ने सैकड़ों परिजनों के लिए आवास की व्यवस्था करवाई जो अपने बच्चों के साथ नीट परीक्षा दिलवाने के लिए आए थे।

पिछले साल भी मस्जिद ने परिजनों के लिए खाना, पानी और आवास की व्यवस्था करवाई थी लेकिन यह व्यवस्था तब की गई थी जब मस्जिद के लोगों ने उन्हें मस्जिद गेट के पास परेशान हालत में देखा।

रऊफ ने फेसबुक पर लिखा, “पिछले साल के उलट परीक्षा के लिए आने वाले लोगों के स्वागत के लिए हम सभी पहले से ही तैयार थे। उन्होंने कहा, “मस्जिद के अलावा हम आस-पास के घरों और दुकानों में भी लोगों को आश्रय दिलवा सकते हैं। उन्होंने कहा मलयम काडु, कीरान कुन्नू और अजंथा गांव के युवा भी लोगों की मदद करने के लिए आगे आए।

गौरतलब है की सीबीएसई नीट की परीक्षा रविवार को हुई जिसमें पूरे देश से करीब 13 लाख छात्रों ने भाग लिया। सिर्फ तमिलनाडु के छात्रों को दूसरे राज्यों में सेंटर अलॉट किए गए जिसमें से ज्यादातर लोगों का सेंटर केरल था। वहीं कुछ छात्रों को राजस्थान और सिक्किम में भी सेंटर अलॉट किया गया।