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बहुजन समाज के लीडरों की वजह से ही बहुजन समाज ब्राह्मणों की ग़ुलामी से भी ज़्यादा ख़तरनाक़ बहुजन लीडरों की ग़ुलामी में फँस गया है, जानिए कैसे —!

Meghraj Singh

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बहुजन समाज के लीडरों की वजह से ही बहुजन समाज ब्राह्मणों की ग़ुलामी से भी ज़्यादा ख़तरनाक बहुजन लीडरों की ग़ुलामी में आज फँस गया है ।
जानिए कैसे —-

अगर बहुजन समाज के लीडर बहुजनों को ऐसा सिखा रहे हैं तो जैसे कि —-

नंबर वन —-अगर बहुजन समाज के लीडर अैसा बोल रहे हैं कि हमारा संगठन ही सबसे बड़ा संगठन है हमारा संगठन ही सबसे ताक़तवर संगठन है जितने भी दुसरे संगठन चल रहे हैं वह सब सरकारी एजेंट है या RSS के एजेंट हैं तो समझ लेना कि वह बहुजन समाज ग़ुलामी में फँसते जा रहा है ।

नंबर दो—अगर बहुजन समाज के लीडर बहुजन समाज के सामने ऐसी बातें कर रहे हैं कि मैं सबसे ज़्यादा गुणवान हूँ मैंने सबसे ज़्यादा संघर्ष किया है मैं ही हूँ जो भारत को ग़ुलामी से निकाल सकता हूँ अगर कोई लीडर ऐसा बोल रहा है तो समझ लेना कि वह बहुजन समाज को ग़ुलामी में फँसा रहा है ।

नंबर तीन—अगर बहुजन लीडर ऐसा बोल रहे हैं कि सिर्फ़ हमारे संगठन को ही तुम लोग डोनेशन इकट्ठा करके दो हम ही पूरे भारत को ज्ञानवान बनाएंगे हम ही पूरे भारत में शिक्षा फैलाएंगे हमारे इलावा किसी और को डोनेशन देना बंद करें अगर लीडर ऐसा बोल रहे तो वह बहुजन समाज ग़ुलामी में फँसा रहे है ।

नंबर चार—अगर बहुजन समाज के लोग अपने लीडरो से प्यार कर रहे हैं और दूसरे लीडरों से नफ़रत कर रहे हैं उनकी बुराइयाँ कर रहे हैं उनको गालियां दे रहे हैं तो समझ लेना की बहुजन समाज ग़ुलामी में फँस गया है ।

नंबर पाँच—अगर बहुजन समाज के लोग अपने ही लीडर की बातों को बिलकुल अंतिम सच मान रहे हैं अपने ही लीडरों की बातों के ऊपर आँखें बंद करके विश्वास कर रहे हैं अपने ही लीडर की बातों को सौ प्रतिशत सच मान रहे हैं तो समझ लेना की बहुजन समाज ग़ुलामी में फँस गया है ।
अगर बहुजन समाज के लीडर बहुजन को ऐसा सिखा रहे हैं जैसे कि—

नंबर वन—अगर बहुजन समाज के लीडर बहुजन समाज के लोगों को यह कह रहे हैं कि जितने भी भारत में संगठन चल रहे हैं वह है सब बहुजनो को आज़ाद कराने के लिए चल रहे हैं सब की विचारधारा एक जैसी नही भी हो सकती है पर फिर भी आप सभी दिमाग़ खोलकर के सबके ऊपर ध्यान दें और सच्चाई और ईमानदारी का साथ दें अगर ऐसा कह रहे हैं तो समझ लेना कि बहुजन समाज ग़ुलामी से बाहर निकल रहे है ।

नंबर दो —अगर बहुजन समाज के लीडर बहुजनो को यह कह रहे हैं जो मैं आप लोगों को ज्ञान सिखा रहा हूँ यह ज्ञान महापुरुषों का हैं मैं तो कुछ भी नहीं हूँ मै तो एक आम इंसान हूँ बस आप लोगों मे और मेरे में सिर्फ़ इतना ही फ़र्क है कि आप मेरी बात सुन रहे है और मैं आप लोगो को बाते सुना रहा हूँ अगर बहुजन लीडर ऐसा बोल रहे हैं तो समझ लेना कि वह बहुजन समाज ग़ुलामी से बाहर ले जाने की कोशिश कर रहे ।

नंबर तीन—अगर बहुजन लीडर बहुजन समाज को लोगों को यह कह रहे हैं कि डोनेशन अगर देना है तो सच्चाई और ईमानदार संगठनों को दे और उनको दें जो बहुजनो के हक़ में काम कर रहे हैं अगर बहुजन लीडर ऐसा बोल रहे हैं तो वह बहुजन समाज को ग़ुलामी से बाहर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं ।

नंबर चार—अगर बहुजन समाज के लोग जितने भी लीडर काम कर रहे हैं अगर उनको ध्यान से देख रहे हैं और सब लीडरों के काम पर ध्यान दे रहे हैं और जो ग़लत कर रहा है उस को प्यार से समझा रहे हैं और सही लीडर का साथ दे रहे हैं तो समझ लेना कि बहुजन समाज मानसिक ग़ुलामी से बाहर निकल चुका है ।

नंबर पाँच —-अगर बहुजन समाज के लोग आँखें खोलकर के दिमाग़ खोलकर के सभी लीडरो की बातें सुन रहे हैं और सच्चाई और ईमानदारी से सब की बातों पर ध्यान दे रहे हैं और सच्ची बातों को मान रहे हैं और झूठ का विरोध कर रहे हैं तो समझ लेना कि बहुजन समाज मानसिक ग़ुलामी से बाहर निकल चुका है ।

कुछ महत्वपूर्ण शायरी
अगर बहुजन समाज लोगो के अंदर और बहुजन समाज के लीडरो के अंदर झूठ और बेईमानी होगी तो वह सही और ग़लत की पहचान कभी नहीं कर पाएंगे ।
अगर बहुजन समाज के लोगो के अंदर और बहुजन समाज के लीडरों के अंदर सच्चाई इमानदारी होगी तभी वह सही और ग़लत की पहचान कर पाएंगे ।
जो सच्चे और ईमानदार बहुजन लोग और बहुजन लीडर होगें वह बिना वजह के किसी दूसरे संगठन की बुराई नहीं करेंगे बल्कि बहुजन समाज के उद्धार के लिए लगातार काम करेंगे ।

जिन बहुजन लीडरो के अंदर सच्चाई और ईमानदारी होगी वह ना कभी झुकेंगे ना कभी रुकेंगे ना कभी बिकेंगे वही 100% बहुजन समाज को आज़ाद करा पाएंगे ।

नोट—झूठे और बेईमान लोग इस आर्टिकल को बिलकुल भी नहीं समझ पाएंगे जिन बहुजन लीडरो के अंदर सच्चाई और ईमानदारी होगी वही इस आर्टिकल को समझ कर के मिशन को आज़ादी तक पहुंचाकर क़ामयाब बनाएंगे सच्चे और ईमानदार इन्सान ही ज़िंदे इंसान होते हैं ।

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( M S Khalsa)

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है