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बाइडन बुरी तरह घिरे अमरीका को सताने लगी यमन हमलों का निशाना बनने वाले बेगुनाहों की याद : बाइडन की सऊदी अरब को धमकी : रिपोर्ट

अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सऊदी अरब को धमकी दी है कि ओपेक प्लस द्वारा तेल के उत्पादन को कम करने के फ़ैसले के परिणाम भुगतने होंगे।

सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है, जो रोज़ाना एक करोड़ बैरल तेल का उत्पादन करता है।

ओपेक प्लस ने पांच अक्तूबर को इस बात की घोषणा की थी कि तेल के उत्पादन में प्रतिदिन 20 लाख बैरल की कमी की जाएगी।

हालांकि अमरीका और यूरोपीय देश सऊदी अरब और दूसरे तेल उत्पादक देशों पर तेल के उत्पादन में कमी नहीं करने का दबाव बना रहे थे, ताकि रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान, रूस की तेल की आमदनी में वृद्धि नहीं हो सके। लेकिन सऊदी अरब समेत ओपेक प्लस के देशों ने अमरीका की मांग को ठुकरा दिया और तेल उत्पादन में कटौती का फ़ैसला लिया।

ओपेक प्लस तेल निर्यात करने वाले 23 देशों का समूह है। यह समूह मिलकर यह तय करता है कि कितना तेल उत्पादन किया जाए और दुनिया के बाज़ार में कितना तेल बेचा जाए।

ओपेक का गठन 1960 में हुआ था। 2016 में जब तेल की क़ीमतें काफ़ी गिर गईं, तो ओपेक ने तेल उत्पादन करने वाले 10 और देशों को इस समूह में शामिल किया, जिसे ओपेक प्लस कहा जाता है। रूस भी ओपेक प्लस का हिस्सा है। रूस भी रोज़ाना क़रीब एक करोड़ बैरल तेल का उत्पादन करता है।

तेल उत्पादक देशों के इसी फ़ैसले के बाद अमरीकी राष्ट्रपति बाइडन ने सीएनएन के साथ बातचीत में सऊदी अरब को धमकी दी और कहा कि इसके उसे परिणाम भुगतने होंगे।

सऊदी अरब का बेनतीजा दौरा करने पर जो बाइडन बुरी तरह घिरे

हालत हो गई कि जब ओपेक प्लस ने तेल प्रोडक्शन की मात्रा 2 मिलियन बैरल कम करने का फ़ैसला कर लिया तो बाइडन को अपनी सऊदी अरब यात्रा का बचाव करने पर मजबूर होना पड़ गया।…..जो बाइडन ने कहा कि मैं साफ़ कर देना चाहता हूं कि तेल के लिए मैं सऊदी अरब नहीं गया था। मैं यह आश्वासन देने गया था कि हम मिडिल ईस्ट से दूर होने का इरादा नहीं रखते।

तेल के उत्पादन में कमी करने के फ़ैसला का सीधा असर अमरीका के भीतर ईंधन की क़ीमतों पर नज़र आएगा। वह भी इस हालत में कि कांग्रेस के मिड टर्म इलेक्शन को एक महीने से भी कम समय बचा है। इस चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की इज़्ज़त दांव पर लगी है। और जो बाइडन खुलकर सऊदी अरब को धमकियां दे रहे हैं।…..उन्होंने रूस के फ़ायदे में जो क़दम उठाया है उसका नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहें….सेनेटर क्रिस मर्फ़ी यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि अमरीका ने सऊदी अरब के लिए कितने बड़े काम किए और उस पर वाशिंग्टन का कितना एहसान है।….वो कहते हैं कि अब सऊदी अरब से हमारा एलायंस टूट चुका है वो अब हमारे हितों का ख़याल नहीं रखते। सऊदी अरब से तनाव बढ़ गया तो सात साल की भीषण जंग के बाद अमरीका को यमन की याद आई और यह याद आया कि सऊदी अरब यमन के लोगों पर हमले कर रहा है। अब अमरीकी सेनेटर कहने लगे हैं कि यमन युद्ध और अमरीका में पेट्रोल पम्पों पर अमरीकी करदाताओं के पैसों की लूट का ख़ामियाज़ा तो ज़रूर भुगतना पड़ेगा।

इन बर्सों में सऊदी अरब लगातार यमन के आम नागरिकों का नरसंहार करता रहा और इसके लिए उसने अमरीकियों से ख़रीदे गए 64 अरब डालर के हथियारों पर भरोसा किया। अमरीका ने सऊदी अरब को हथियार बेचने के लिए मानवाधिकार सहित अपने सारे उसूल ताक़ पर रख दिए और बड़ी बेशर्मी और ढिठाई से सऊदी अरब को हथियार बेचता रहा। सऊदी अरब को भी इस बात को बख़ूबी अंदाज़ा था कि अमरीका को जब तक पैसे मिलते रहेंगे और उसकी हथियार कंपनियों की जेबें भरती रहेंगी उस समय तक अमरीका को न यमन की याद आएगी, न यमन की जनता की याद सताएगी और न मानवाधिकार के उसूलों की कोई फ़िक्र होगी। ज़ाहिर है सऊदी अरब को इसका तो अंदाज़ा बहुत पहले से है क्योंकि बहुत सारी साज़िशों में अमरीका और सऊदी अरब एक दूसरे की मदद करते रहे हैं और एक दूसरे हाथ बटाते रहे हैं।

न्यूयार्क से आईआरआईबी के लिए अली रजबी की रिपोर्ट