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बायजू’स के ख़िलाफ़ हज़ारों शिकायतें आ रही हैं : मैंने अपनी जिंदगी का सबसे ख़राब फ़ैसला किया : रिपोर्ट

ऑनलाइन लर्निंग उपलब्ध करवाने वाली कंपनी बायजू’स के खिलाफ हजारों शिकायतें आ रही हैं. हालांकि 75 लाख ग्राहकों वाली कंपनी इनका खंडन करती है.

राकेश कुमार अपने घर के बाहर अपनी बेटियों के साथ खेल रहे थे जब दो लोग उनसे मिलने आए. स्मार्ट ड्रेस पहने इन युवकों ने कुमार से कहा कि कि वे बायजू’स कंपनी के लिए काम करते हैं. बायजू’स एक शिक्षा-तकनीकी कंपनी है जो ऑनलाइन क्लास कराती है. सेल्समेन ने बताया कि 36,000 रुपये में कुमार की बेटी को ऑनलाइन क्लास मिलेंगी. दोनों ने कुमार की बेटी से दो घंटे तक बात की और उसके बाद कहा कि वह पढ़ाई में कमजोर है और उसे कोर्स की जरूरत है.

20,000 रुपये महीना कमाने वाले कुमार के लिए यह बहुत महंगा कोर्स था. बढ़ई का काम करने वाले 41 वर्षीय कुमार बताते हैं, “तब उन्होंने कहा कि मेरी बेटी भी मेरी तरह गरीब रह जाएगी और उसे मौका मिल रहा है, मैं उससे यह मौका छीन रहा हूं, मुझे शर्म आनी चाहिए.” आखिरकार कुमार मान गए. वह कहते हैं, “मैंने अपनी जिंदगी का सबसे खराब फैसला किया. अपने साले से पैसे लिए और मुझे पता नहीं कि यह मैं लौटाऊंगा कैसे.”

बायजू’स के साथ ऐसा अनुभव सिर्फ कुमार का नहीं है. हजारों भारतीय ऐसी ही कहानियां सुना रहे हैं. भारत का सबसे कीमती स्टार्टअप बायजू’स भारत में घर-घर में जाना जाने वाला नाम बन चुका है. लेकिन ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो कहते हैं कि उन्हें धोखा दिया गया. सोशल मीडिया और कंज्यूमर वेबसाइटों पर कंपनी के खिलाफ शिकायतों के अंबार लगे हैं जहां लोग कह रहे हैं बायजू’स के कारण उन्होंने अपनी बचत खो दी या उनके साथ धोखा हुआ.

गरीबों को बनाया निशाना
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बायजू’स के 22 ग्राहकों से बात की. उनमें से अधिकतर कम आय वाले परिवार हैं जो कहते हैं कि सेल्स के लोगों ने बहुत आक्रामकता से उन्हें कोर्स खरीदने को मजबूर किया और धन बटोर कर ले गए. ज्यादातर कहते हैं कि कंपनी के सेल्समेन ने उनकी अपने बच्चों को सर्वश्रेष्ठ शिक्षा उपलब्ध कराने की इच्छा का फायदा उठाया और उन्हें कर्जदार बना दिया.

कॉन्टेक्स्ट ने बायजू’स के 26 कर्मचारियों से भी बात की जिनमें से 18 अभी भी वहां काम कर रहे हैं. वे बताते हैं कि वे लोग बेहद कठिन हालात में काम कर रहे हैं, उनसे बुरा व्यवहार किया जाता है और सेल्स टारगेट हासिल करने के लिए लोगों को किसी भी तरह कोर्स खरीदने के लिए मजबूर करने को प्रोत्साहित किया जाता है.

कॉन्टेक्स्ट ने इस बारे में बायजू’स को सवालों की एक सूची भेजी थी. जवाब में कंपनी ने कहा कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया है और उसकी गतिविधियां ‘ग्राहकों के सम्मान और संतुष्टि पर केंद्रित हैं.’

अपने जवाब में बायजू’स लिखता है, “हमने कभी अपने सेल्सपर्सन और मैनेजर को ऐसे लोगों से बात करने को नहीं कहा जो हमारे उत्पादों को खरीद नहीं सकते या खरीदना नहीं चाहते. अपनी सेल्स में हम सर्वोच्च नैतिक मानकों का पालन करते हैं.”

कर्मचारियों द्वारा की गई आलोचना के बारे में कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि उनके 50 हजार कर्मचारी हैं और उनमें से आलोचना करना वाला एक बहुत ही छोटा सा हिस्सा है जबकि काम के हालात कॉरपोरेट भारत में ‘सबसे सेहतमंद और सम्मानित’ हैं.

नहीं मिला रिफंड
कुमार दावा कहते हैं कि जब उन्होंने कोर्स खरीदा था तो सेल्स वाले लोगों ने कहा था कि 15 दिन के ट्रायल के बाद वह 7,000 रुपये की डाउनपेमेंट वापस पा सकते हैं. उनका यह भी दावा है कि एक सेल्समैन ने उनका फोन और पहचान पत्र लेकर बिना उनकी इजाजत लिए उनके नाम से कर्ज की अर्जी डाल दी. वह कहते हैं कि उन्हें पता तब चला जब उन्हें अगले महीने किश्त अदा करने के लिए संदेश आने लगे. वह कहते हैं कि उन्होंने सिर्फ कोर्स लिया था, कर्ज नहीं.

वह कहते हैं, “अगले ही दिन मैंने अपना ख्याल बदल लिया. मुझे लग गया कि मेरे पास इतना पैसा नहीं है. मैं एक मजदूर आदमी हूं जिसे चार लोगों के परिवार का चलाना है. मैंने रिफंड के लिए फोन किया पर वे लोग (सेल्समेन) गायब हो गए.”

अक्तूबर के बाद से कुमार के बैंक खाते से 4,000 रुपये काटे जा चुके हैं. बायजू’स के सेंटर पर वह दर्जनों बार जा चुके हैं ताकि कोर्स कैंसल कर सकें लेकिन अब तक भी उनके खाते से लगातार पैसे कट रहे हैं. इस बारे में कुमार के साले ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है. बायजू’स ने इस बारे में सवालों का जवाब नहीं दिया.

बायजू’स के कर्मचारी, उपभोक्ता अधिकारों के विशेषज्ञ और डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वाले लोग कहते हैं कि कुमार के साथ जो हुआ वह एक धोखाधड़ी भरा बिजनस मॉडल है जिसमें कमजोर लोगों को शिकार बनाया जाता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि जिन लोगों को निशाना बनाया जाता है वे अक्सर गरीब परिवारों से होते हैं और उन्हें तकनीक की भी कम जानकारी होती है, इसलिए उन्हें अपने अधिकारों और समस्याओं के निवारण के रास्ते भी पता नहीं होते.

बायजू’स के खिलाफ बढ़तीं शिकायतों के साथ ही शिक्षा-तकनीकी के क्षेत्र में नियमन और कानूनों की मांग भी बढ़ रही है. उपभोक्ता मामले मंत्रालय में उपभोक्ता कानून प्रमुख अशोक आर पाटिल कहते हैं कि शिक्षा-तकनीकी कंपनियों के खिलाफ आ रहीं शिकायतों की जांच की जा रही है और ऐसी नीतियां बनाने पर भी काम चल रहा है, जो इस क्षेत्र को नियमित करेंगी. शिक्षा मंत्रालय ने ग्राहकों को ऐसी कंपनियों के दावों के प्रति सावधान रहने को भी कहा है, जिनमें स्वतः कर्ज देने जैसी योजनाओं का प्रयोग किया जा सकता है.

बायजू’स का खंडन
बायजू’स उपभोक्ताओं की भ्रामक विज्ञापनों और गलत दावों के साथ बेचने जैसी शिकायतों को सिरे से खारिज करता है. उसके प्रवक्ता ने कहा कि हर बार जब कोई कोर्स बिकता है तो आंतरिक ऑडिट टीम उसकी जांच करती है. बायजू’स के 75 लाख से ज्यादा ग्राहक हैं और हर महीने 1,50,000 से ज्यादा कोर्स बिकते हैं जिनमें से कंपनी के मुताबिक सिर्फ 1,500 के आसपास ही रिफंड के लिए अप्लाई करते हैं.

हालांकि बहुत से माता-पिता कहते हैं कि रिफंड लेना बहुत मुश्किल है और अक्सर उनकी बात नहीं सुनी जाती. कंज्यूमर कंपलेंट्स डॉट इन वेबसाइट पर बायजू’स के खिलाफ 3,759 शिकायतें हैं जिनमें 1,397 को हल किया गया है. अन्य शिक्षा-तकनीकी कंपनियों जैसे सिंपलीलर्न, वेदांतु, अनएकेडमी और अब दीवालिया हो चुकी लीडो लर्निंग के खिलाफ कुल शिकायतों की संख्या सिर्फ 350 है.

बायजू’स की स्थापना 2011 में बेंगलुरु में हुई थी. 2015 में उसने अपनी ऐप शुरू की और कोविड महामारी कंपनी के लिए वरदान साबित हुई क्योंकि ग्राहकों ने ऑनलाइन लर्निंग का रुख किया. उसके बाद कंपनी को बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय निवेश भी मिला है. हालांकि स्कूल खुलने के साथ ही कंपनी की सफलता की रफ्तार धीमी पड़ गई. सितंबर 2021 में उसका रेवन्यू 3 फीसदी गिरा और उसे 45.64 अरब डॉलर का नुकसान हुआ.

वीके/एनआर (रॉयटर्स)