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बिलक़ीस बानो सामूहिक रेप और हत्या मामले में 11 सज़ा याफ़्ता मुजरिमों को रिहा करने के फ़ैसले को मोदी सरकार ने मंज़ूरी दे दी

मोदी सरकार ने गुजरात 2002 साम्प्रदायिक दंगों के दौरान बिलक़ीस बानो सामूहिक रेप और हत्या मामले में 11 सज़ा याफ़्ता मुजरिमों को रिहा करने के फ़ैसले को मंज़ूरी दे दी है।

भारतीय प्रधान मंत्री मोदी के क़रीबी अमित शाह के नेतृत्व में भारतीय गृह मंत्रालय का अनुमोदन पत्र क़ानूनी साइट द लीफ़लेट द्वारा सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया है।

2002 गुजरात दंगों के दौरान, 40 वर्षीय बिलक़ीस बानो का जब सामूहिक बलात्कार किया गया था, तब वे पांच महीने की गर्भवती थीं। सिर्फ़ इतना ही नहीं, बल्कि हिंसक हिंदू भीड़ ने उनके कई परिजनों समेत उनकी तीन साल की बेटी सालेहा का सिर कुचलकर बेरहमी से हत्या कर दी थी।

21 जनवरी, 2008 को मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने बिलक़ीस बानो के साथ गैंगरेप और परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के आरोप में 11 दोषियों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी।

गुजरात की बीजेपी सरकार ने 10 अगस्त 2022 को सामूहिक बलात्कार और हत्याओं के जुर्म में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे दोषियों को रिहा करने का आदेश जारी किया था, जिसकी चौतरफ़ा निंदा हुई थी।

गुजरात सरकार ने 11 दोषियों को रिहा करने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुभाषिनी अली और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हलफ़नामा दिया है।

गुजरात सरकार ने हलफनामे में दावा किया है कि क़ैदियों की रिहाई में पूरी तरह क़ानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया है।

इस बीच 11 दोषियों की रिहाई के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं की सुनवाई में मंगलवार को कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि सभी दोषियों को फिर से जेल भेजा जाए।