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बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की सजा में छूट के ख़िलाफ़ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट नई पीठ का गठन करने के तुरंत बाद सुनवाई करेगा!

गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की सजा में छूट के खिलाफ उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट नई पीठ का गठन करने के तुरंत बाद सुनवाई करेगा।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जेबी पर्दीवाला की पीठ ने वकील शोभा गुप्ता के माध्यम से बानो को जल्द से जल्द नई बेंच गठित करने का आश्वासन दिया हैं। गुप्ता ने तत्काल सुनवाई के लिए मामले का उल्लेख किया और कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा एक नई पीठ गठित करने की आवश्यकता है क्योंकि न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि मामले को जल्द ही सूचीबद्ध किया जाएगा।

सजा में छूट की याचिका पर नहीं हुई थी सुनवाई
इससे पहले 24 जनवरी को गुजरात सरकार द्वारा सामूहिक दुष्कर्म मामले में 11 दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने वाली बानो की याचिका पर शीर्ष अदालत में सुनवाई नहीं हो सकी थी क्योंकि संबंधित न्यायाधीश निष्क्रिय इच्छामृत्यु से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहे थे। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का हिस्सा। जस्टिस रस्तोगी और सीटी रविकुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए याचिका सूचीबद्ध की गई थी। उस दिन न्यायमूर्ति रस्तोगी और रविकुमार दोनों तब न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली एक संविधान पीठ के हिस्से के रूप में निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति देने के लिए “लिविंग विल या एडवांस मेडिकल डायरेक्टिव” के निष्पादन पर दिशानिर्देशों में संशोधन की मांग करने वाली दलीलों की सुनवाई में व्यस्त थे।

यह याचिका से जुड़ा पूरा मामला
गौरतलब है कि साल 2002 के गोधरा दंगों के दौरान बिलकिस के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या करने के मामले में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा हुई थी। हालांकि, गुजरात सरकार ने दोषियों को रिहा 15 साल जेल की सजा काटने के बाद कर दिया। गुजरात सरकार का कहना है कि उसने अपनी सजा माफी नीति के अनुरूप 11 दोषियों को छूट दी। इन दोषियों को इसी साल 15 अगस्त को जेल से रिहा किया गया। दोषियों को गोधरा उप-जेल में 15 साल से अधिक की सजा काटने के बाद छोड़ा गया है। दोषियों की इसी रिहाई को चुनौती देते हुए समय से पहले रिहाई को चुनौती देते हुए बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। इसमें 13 मई के आदेश पर दोबारा विचार करने की मांग की गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गैंगरेप के दोषियों की रिहाई में 1992 में बने नियम लागू होंगे। इसी आधार पर 11 दोषियों की रिहाई हुई थी। वहीं बिलकिस बानो के वकील ने लिस्टिंग के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख किया था।