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बिल्क़ीस मामला : सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए कहा….!!पढ़ें पूरी रिपोर्ट!!

नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) केंद्र और गुजरात सरकार ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि वे बिल्कीस बानो मामले में दोषियों को सजा में छूट देने पर मूल फाइल के साथ तैयार रहने के उसके 27 मार्च के आदेश की समीक्षा के लिए याचिका दायर कर सकते हैं।.

न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने 11 दोषियों को उनकी कैद की अवधि के दौरान दी गई पैरोल पर सवाल उठाया और कहा कि अपराध की गंभीरता पर राज्य द्वारा विचार किया जा सकता था।.

Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर आपको इस बात ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी सत्ता का अवैध प्रयोग ना हो. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज बिलकिस है कल कोई और होगा. यह एक ऐसा मामला है जहां एक गर्भवती महिला के साथ गैंगरेप किया गया और उसके सात

Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई. हमने आपको (गुजरात सरकार) सभी रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा था. हम जानना चाहते हैं कि क्या आपने अपना विवेक लगाया है. अगर हां तो बताएं कि आपने किस सामग्री को रिहाई का आधार बनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम केवल यह सुनिश्चित

Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
करना चाहते हैं कि शक्ति का वास्तविक प्रयोग हो. सत्ता का कोई अवैध प्रयोग न हो. जिस तरह से अपराध किया गया था वह भयानक है. कोर्ट ने कहा कि दोषी करार दिए गए हर शख्स को एक हजार दिन से अधिक का पैरोल मिला है. हमारा मानना है कि जब आप शक्ति का प्रयोग करते हैं तो उसे जनता की भलाई के लिए

Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
किया जाना चाहिए. चाहे आप जो भी हों, आप कितने भी ऊंचे क्यों ना हों, भले ही राज्य के पास विवेक हो? यह जनता की भलाई के लिए होना चाहिए. ऐसा करना एक समुदाय और समाज के खिलाफ अपराध है. कोर्ट ने गुजरात से सरकार से पूछा कि दोषियों की रिहाई करके आप क्या संदेश दे रहे हैं?

Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
आप सेब की तुलना संतरे से कैसे कर सकते हैं? इतना ही नहीं आप एक व्यक्ति की हत्या की तुलना नरसंहार से कैसे कर सकते हैं? कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि बार बार कहने के बावजूद गुजरात सरकार उम्रकैद के दोषियों की समय पूर्व रिहाई के दस्तावेज रिकॉर्ड हमारे सामने नहीं ला रही है.

Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
यदि आप हमें फाइल नहीं दिखाते हैं तो हम अपना निष्कर्ष निकालेंगे.साथ ही यदि आप फ़ाइल प्रस्तुत नहीं करते हैं, तो आप कोर्ट की अवमानना ​​कर रहे हैं. ऐसे में हम स्वत: ही संज्ञान लेकर अवमानना का मामला शुरू कर सकते हैं.

राजीव पाण्डेय
@RajivPandey__
#गुजरात_दंगे-“बिलकिस बानो” मामला, याचिका पर सुनवाई के दौरान #सुप्रीम_कोर्ट ने कहा कि “हत्या और नरसंहार” में बड़ा अंतर, आरोपियों की रिहाई पर “गुजरात” और “मोदी सरकार” से सवाल.. ???

बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई के ख़िलाफ़ डाली गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार को अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखना चाहिए था.

इस मामले की सुनवाई जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच कर रही थी.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, ”सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती है और उसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती है.”

बेंच ने कहा कि इस तरह के नृशंस अपराधों में जब राहत देने पर विचार किया जाता है तो इससे पूरा समाज प्रभावित होता है और इस तरह के मामलों में शक्तियों का इस्तेमाल करते समय जनहित का ध्यान रखना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर केंद्र सरकार राज्य सरकार के फ़ैसले से सहमत थी तो इसका मतलब यह नहीं होता कि राज्य को सोचना ही नहीं चाहिए था.

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से यह भी पूछा कि यह फ़ैसला लेने के पीछे की क्या वजहें थीं.

लाइव लॉ के अनुसार जस्टिस जोसेफ ने कहा, ”सवाल यह है कि क्या सरकार ने इस मामले पर विचार किया, वो क्या तथ्य थे जो इस फ़ैसले का आधार बने… इस मामले में, न्यायिक आदेश के अनुसार दोषी को जीवन भर जेल में रहना चाहिए. लेकिन उन्हें एग्जीक्यूटिव आदेश पर रिहा कर दिया गया. आज बिलकिस, कल आप और हम हो सकते हैं. अगर आप हमें इस फ़ैसले के पीछे का कारण नहीं बताते हैं तो फिर हमें खुद से ही निर्णय पर पहुंचना होगा.”

NAAजनाम तो सुना होगा✍️
@momina_000
बिलकिस बानो मामला: याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा
इस तरह के नृशंस अपराधों में जब राहत देने पर विचार किया जाता है तो इससे पूरा समाज प्रभावित होता है और इस तरह के मामलों में शक्तियों का इस्तेमाल करते समय जनहित का ध्यान रखना चाहिए

बेंच ने अब इस मामले की सुनवाई दो मई के लिए सूचीबद्ध कर दी.

गुजरात सरकार ने 11 सज़ायाफ़्ता मुजरिमों को रिहा करने के अपने फ़ैसले का बचाव किया है.

सरकार ने पहले बताया था कि सभी दोषियों ने 14 साल या इससे अधिक समय जेल में बिताया और उनके अच्छे व्यवहार को देखते हुए रिहाई दी गई है. साथ ही ये फ़ैसला केंद्र सरकार की सहमति के बाद लिया गया था.

गुजरात सरकार ने 10 अगस्त 2022 को बलात्कार और बच्चे की हत्या के मामले में उम्र कैद की सज़ा काट रहे दोषियों को रिहा करने का आदेश जारी किया था जिसे लेकर देशभर में खूब आलोचना हुई और सरकार की मंशा पर सवाल भी उठे.