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बग़ैर टेंडर के जिसे दिया था मोरबी पुल की रिपेयरिंग का काम, उसने वो काम वेल्डिंग करने वाले को दे दिया था : कभी ऑडिट नहीं किया : रिपोर्ट

मोरबी में हुए पुल हादसे को टाला भी जा सकता था, अगर कंपनी की तरफ से ये 10 बड़ी गलतियां पहले ही सुधार ली गई होतीं. इस हादसे में 140 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, जबकि अभी भी नदी में शवों को तलाशने का काम जारी है.

मोरबी में हुए पुल हादसे को टाला भी जा सकता था, अगर कंपनी की तरफ से ये 10 बड़ी गलतियां पहले ही सुधार ली गई होतीं. इस हादसे में 140 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, जबकि अभी भी नदी में शवों को तलाशने का काम जारी है.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

मोरबी पुल की मरम्मत में जिन सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया था, उनकी गुणवत्ता ‘घटिया’ थी. इस वजह से पुल की संरचना ही कमजोर बनी.

143 वर्ष पुराने इस पुल का किसी ने कभी संरचनात्म ऑडिट तक भी नहीं किया था.

इस सस्पेंशन ब्रिज के कई केबलों पर जंग लक चुका था, जिस वजह से उनकी भार उठाने की झमता पहले के मुकाबले कम हो गई थी.

मरम्मत के तहत पुल का सिर्फ प्लेटफॉर्म बदला गया था, जबकि इससे लगे केबल को वैसे ही रहने दिया गया था.

पुल की मरम्मत के लिए जिस ठेकेदार को रखा गया था, उसे ऐसे ब्रिज की मरम्मत का कोई अनुभव नहीं था.

इस पुल को बगैर इसकी क्षमता को जांच ही शुरू कर दिया गया था.

पुल को दोबारा खोलने से पहले सरकार से अनुमति नहीं ली गई थी.

पुल को देखने आए लोगों को किसी आपात स्थिति में बचाने के लिए यहां कोई इंतजाम पहले से नहीं था.

यहां तक कि इस ब्रिज की मरम्मत को लेकर भी कंपनी के पास कोई कागजात नहीं थे.

कंपनी को पुल के मरम्मत का काम दिसंबर तक करने का समय दिया गया था, लेकिन उसने इसे जल्दी खोल दिया.