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भगवा संगठनो को कोर्ट ने दिया झटका, मस्जिद के पक्ष में 7 साल बाद आया फैसला,मुसलमानों ने कहा इंसाफ मिला

नई दिल्ली: SDJAM चाईबासा कुमारी जीव की अदालत ने सोमवार को सात साल पुराने विवादित जमीन का फैसला सुनाया। फैसला जमीन के असल मालिक मो. अहसन एंव मो. मुस्लिम के पक्ष में आया। दोनों भाईयों ने सामूहिक रूप से बताया कि नवंबर 2011 में हमने अपने पिता के नाम से रजिस्टर्ड जमीन बेची थी।

जिसके बाद जैतगढ़ बस्ती के ही कुछ लोगों ने मस्जिद निर्माण के नाम पर साजिश कर हम लोगों की जमीन हड़पने के लिए झूठा मुकदमा चाईबासा के एसडीजेएम कोर्ट में जनवरी 2012 में दायर किया था।

सोमवार को एसडीजेएम की अदालत ने दूध का दूध और पानी का पानी कर हम लोगों को इस झूठे केस से बरी कर दिया है। न्यायालय से हम लोगों को पूरा न्याय मिला है। मस्जिद निर्माण के लिए जायज जमीन का होना बहुत जरूरी होता है। जमीन लूटकर मस्जिद का निर्माण नाजायज है। ऐसी जगह पर नमाज भी कबूल नहीं होगी।

मामला झारखंड के सिंहभूमि के जैतगढ़ का है जहाँ पर सालो से चल रहे एक जमीनी विवाद पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और पीड़ित को न्याय दिलाया.मामला जमीन के मालिक मोहम्मद अहसन और मोहमद मुस्लिम की जमीन का है.दोनो भाई है दोनो ने अपने पिता के नाम से रजिस्टर्ड जमीन को साल 2011 में बेची थी।

जैतगढ़ के कुछ लोगो ने इसे धार्मिक मामला बनाने की कोशिश की और उसे मस्जिद की जमीन बताने लगे मामला बढ़ा और यह लोगो ने इस मामले को बढ़ाने और इस जमीन पर कब्ज़ा जमाने के उद्देश्य से इसे कोर्ट में प्रस्तुत किया है ताकि दबाव बना कर जमीन को कब्जियाया जा सके।

यह मामला चाईबासा के एसडीजेएम कोर्ट में साल 2012 को दायर किया गया.लंबी सुनवाई के बाद लगभग साल सालो के बाद चाईबासा कोर्ट के एसडीजेएम कुमारी जीव ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया जिसमे उन्होंने इस जमीन को दोनो भाई मोहम्मद अहसन और मोहम्मद मुस्लिम का बताया।

दोनो भाइयो ने यह भी कहा कि इसमें सिर्फ जमीन को हड़पने की साजिश की गई थी मस्जिद को बनाने की विपक्षियों की कोई रणनीति नही थी मस्जिद हमेशा ऐसी जगह बनती है जहाँ पर कोई विवादित मामला न हो और जिस जमीन पर मस्जिद बनाई जाती है वो पूर्ण रूप से वैध होनी चाहिये जिस जगह अवैध मस्जिद का निर्माण किया जाता है वहा पर किसी भी प्रकार की इबादत कुबूल नही होती और ऐसे लोगो से खुदा भी नाराज होता है।

जिस प्रकार से आज कल मंदिर मस्जिद के नाम पर लोगो की जमीनों पर नाजायज कब्जा किया जा रहा है यह केस उन सबके लिए एक सबक है कि अन्याय चाहे जितनी ही बड़ी क्यों न हो अंत मे उसे हारना ही पड़ता है और जीत सिर्फ न्याय की ही होती है.हमारे देश की न्यायपालिका में अभी भी लोगो का पूर्ण विश्वाश है और जैतगढ़ जैसे अनेको मामले हमारे देश के कोर्ट में चल रहे है लेकिन हमें पूर्ण उम्मीद है कि जीत अंत मे सत्यता को ही मिलनी है।