देश

भाजपा ने किया सवाल : घोटालेबाज मंत्रियों पर चुप्पी क्यों, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल से की ये अपील

केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा, पार्थो चटर्जी की एक अन्य करीबी महिला मोनालिसा ने एक विश्वविद्यालय में 2014 में डिग्री कोर्स में दाखिला लिया और केवल आठ साल के अंदर वे न केवल अपनी डिग्री हासिल करती हैं, बल्कि एक विभाग की हेड ऑफ डिपार्टमेंट भी बन जाती हैं…

पश्चिम बंगाल और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के घर से करोड़ों रुपये की बरामदगी हुई है, लेकिन इसके बाद भी वे अपने राज्य सरकारों के मंत्रिमंडल में बने हुए हैं। भाजपा ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इन पार्टियों के नेताओं को बताना चाहिए कि इस मुद्दे उनका आधिकारिक रुख क्या है। पार्टी ने अपने-अपने मंत्रियों की आपराधिक गतिविधियों पर चुप्पी के मामले में अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी में एकरूपता होने पर भी प्रश्न किया है।

केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार में कद्दावर मंत्री पार्थो चटर्जी के बारे में आज पूरी दुनिया जान चुकी है। उनकी करीबी एक महिला अर्पिता के घर से अब तक 50 करोड़ रुपये की नकदी और लगभग नौ किलो सोना बरामद किया जा चुका है। ईडी की कार्रवाई जारी है। इस मामले में अभी क़ई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं।

 

उन्होंने आरोप लगाया कि पार्थो चटर्जी की एक अन्य करीबी महिला मोनालिसा ने एक विश्वविद्यालय में 2014 में डिग्री कोर्स में दाखिला लिया और केवल आठ साल के अंदर वे न केवल अपनी डिग्री हासिल करती हैं, बल्कि एक विभाग की हेड ऑफ डिपार्टमेंट भी बन जाती हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार की ताकत के दुरुपयोग का गंभीर मसला है और इसका पूरा सच सामने आना चाहिए। इसके पहले भी पश्चिम बंगाल में नारदा-शारदा चिटफंड घोटाले सामने आ चुके हैं। ममता बनर्जी को बताना चाहिए कि इस पर उनका पक्ष क्या है।

जैन के मंत्री रहने पर सवाल

मीनाक्षी लेखी ने कहा कि दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के घर से भी 4.5 करोड़ रुपये की बरामदगी हुई है। इस मामले में न्यायमूर्ति तक ने यह टिप्पणी की है कि मुख्यमंत्री को स्वयं विचार करना चाहिए कि इस तरह का व्यक्ति उनके मंत्रिमंडल में क्यों होना चाहिए। लेकिन इसके बाद भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सत्येंद्र जैन को मंत्रिमंडल में बनाए रखने पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। लेखी ने कहा कि ईमानदारी की राजनीति की दुहाई देने वाले केजरीवाल को बताना चाहिए कि इस संदर्भ में उनका रुख क्या है।