नई दिल्ली: बिहार के औरंगाबाद शहर की आबादी लगभग सवा लाख है। इस आंकड़े में मुसलमानों की 25 हजार की आबादी भी शामिल है। यह शहर पटना से 150 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में नेशनल हाईवे 139 पर स्थित है। पिछले कुछ सालों में यहां आरएसएस, बजरंग दल, वीएचपी और दूसरे हिन्दू संगठनों की सक्रियता बढ़ी है।
25 मार्च (शनिवार) को यहां लगभग 100 युवाओं ने एक मोटरसाइकिल रैली निकाली थी। ये रैली 26 मार्च को होने वाली रामनवमी फंक्शन की तैयारी थी। इस मोटरसाइकिल रैली में इस बार युवा बड़ी जोशोखरोश के साथ नारे लगाते दिखे: एक ही नारा एक ही नाम, जय श्री राम जय श्री राम; भारत मां में तीन ही नाम, मोदी योगी जय श्री राम; हिन्दुस्तान में रहना है, तो वंद मातरम कहना है।
रविवार को हुई ये ड्रिल सोमवार को दंगे में बदल गई। इस झगड़े में हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लगभग 15 दुकानों को जला दिया गया। चश्मदीदों का कहना है कि सोमवार को लोगों की विशाल संख्या देखकर पुलिस भी हैरान रह गई। पुलिस को इतनी बड़ी भीड़ का अंदाजा भी नहीं था।
आम तौर पर इस शहर में ऐसे जुलूस में 2 से 3 हजार लोग शिरकत करते करते आए हैं। लेकिन 26 मार्च को बात ही कुछ और थी। जेडीयू के पूर्व जिला अध्यक्ष तेजेन्द्र कुमार सिंह का कहना है कि उस दिन दो जगहों पर लगभग 10 हजार लोग जमा थे। ये भीड़ गांधी मैदान और सतेंद्र नगर में जमा थी।
2016 में भी इस शहर में रामनवमी पूजा के दौरान दंगे हुए थे लेकिन पुलिस इससे वार्निंग समझने में नाकाम रही। तेजेन्द्र कुमार के मुताबिक रामनवमी पूजा आयोजित करवाने वाली श्रीराम नवमी पूजा समिति में कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि हैं। इनमें बीजेपी, एबीवीपी, जेडीयू, कांग्रेस और आरजेडी के नेता शामिल हैं।
इसके अलावा इसमें स्थानीय हिन्दू संगठन जैसे हिन्दू सेवा समिति भी मिली हुई है। चश्मदीद कहते हैं कि रविवार को निकाली गई बाइक रैली में हालांकि किसी बड़े नेता की भागीदारी नहीं थी लेकिन रैली में बीजेपी और एबीवीपी के सदस्यों द्वारा नारेबाजी की गई। रैली के लिए श्री राम नवमी पूजा समिति ने प्रशासन से इजाजत मांगी थी।
रैली जैसे ही कर्बला इलाके में पहुंची, एक बुजुर्ग जिसका नाम जुगनू है, ने कथित रूप से दो युवकों को मोटरसाइकिल पर पत्थर फेंकने के लिए उकसाया। इससे जुड़े एक वीडियो की तफ्तीश पुलिस कर रही है। औरंगाबाद जिला क्रिकेट एसोसियेशन के अध्यक्ष और 1975 से शहर के निवासी रविंद्र कुमार रवि कहते हैं कि पत्थरबाजी के बाद कुछ मोटरसाइकिल सवार भाग खड़े हुए तो कुछ वहीं रुक गये और मुसलमानों के घरों पर पत्थर फेंकने लगे।
उनके मुताबिक पुलिसकर्मियों ने लोगों को समझाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। रवि ने कहा कि कुछ ही देर बाद मोटरसाइकिल सवार मुस्लिम बहुल नावाडीह इलाके से रमेश चौक की ओर जाने लगे। इस क्षेत्र में हिन्दू और मुसलमान दोनों की ही दुकानें हैं।
रवि के मुताबिक, “रमेश चौक के पास कुछ युवक मोहम्मद असलम नाम के एक शख्स को पीट रहे थे, ये शख्स एक डॉक्टर के पास से लौट रहा था, मैंने युवकों को ऐसा ना करने के लिए समझाया और असलम को बचाने के लिए कॉंस्टेबल की मदद ली, लेकिन ये पुलिस के वश से बाहर की बात होती जा रही थी।” आखिरकार पुलिस शाम 4.50 बजे पहुंची और हिन्दुओं के 25 और मुसलमानों के 28 लोगों को गिरफ्तार कर ले गई।
दोनों दिनों के घटनाचक्र का गवाह बनने वाले रविन्द्र रवि कहते हैं, “मैंने देखा कि कुछ युवा 6 फीट लंबी इमाम टोली में घुसने की कोशिश कर रहे हैं, दो पुलिसकर्मी और मैं लेन के प्रवेश द्वार पर खड़ा हो गया और लोगों को समझाया कि उधर जाना खतरे से खाली नहीं है, हमने कुछ चोट भी झेली लेकिन युवकों ने अपना इरादा बदल दिया और चिल्लाते हुए आगे चल गये।
वही जेडीयू नेता तेजेन्द्र कहते हैं कि मैंने लोगों को रोकने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पुलिस ने पौने पांच बजे इलाके में कर्फ्यू घोषित कर दिया। चश्मीददों का कहना है कि दो दिन में कुल 46 दुकानें जला दी गईं। पुलिस के मुताबिक 130 से 148 लोगों का नाम FIR में लिखा गया गया है। शहर के अलग-अलग अस्पतालों में लगभग एक दर्जन घायल लोगों का इलाज चल रहा है।
साभार- जनसत्ता