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भारत समेत दुनिया के कई देशों के कई शहर तबाह हो जाएंगे : रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि दुनिया अपनी वर्तमान नीतियों के कारण तापमान में 2.8 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी की ओर से बढ़ रही है। तापमान में बढ़ोतरी उन देशों के लिए मौत की सज़ा है जिन पर ख़तरा अधिक है।

तुर्किए और सीरिया में विनाशकारी भूकंप से हुई तबाही के बीच संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत, चीन, बांग्लादेश समेत दुनियाभर के कई देशों को बड़ी चेतावनी दी है। गुटेरेस ने सचेत किया है कि ग्लोबल वार्मिंग को चमत्कारिक रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर लिया जाता है तो भी समुद्र के जलस्तर में काफ़ी बढ़ोतरी होगी जो कि भारत, चीन और बांग्लादेश के लिए ख़तरे की घंटी है। यूएन के महासचिव ने आगे कहा कि पृथ्वी के ग्लोबल वार्मिंग की ऐसी राह पर आगे बढ़ने की आशंका है जो कई देशों के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर सकता है। ग्लोबर वार्मिंग की वजह से समुद्रों का जलस्तर बढ़ने का मतलब है कि कई देशों के सामने उनके अस्तित्व का संकट होगा। ग्लोबल वार्मिंग को लेकर गुटेरेस ने कहा कि डिग्री का हर अंश मायने रखता है, अगर तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है तो समुद्र का स्तर दोगुना हो सकता है।


समुद्र के जलस्तर में वृद्धि पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के उद्घाटन पर गुटेरेस ने कहा कि इससे निपटने और ज़रूरी क़दम उठाने के लिए समर्थन जुटाने में संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिस बैठक को गुटेरेस संबोधित कर रहे थे उसमें 75 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। उन्होंने कहा, ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बांग्लादेश, चीन, भारत और नीदरलैंड जैसे देश जोखिम में हैं और क़ाहिरा, लागोस, मापुटो, बैंकॉक, ढाका, जकार्ता, मुंबई, शंघाई, कोपेनहेगन, लंदन, लॉस एंजिलिस, न्यूयॉर्क, ब्यूनस आयर्स और सैंटियागो सहित हर महाद्वीप के बड़े शहरों पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि ग्लोबल वार्मिंग को लेकर विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) ने मंगलवार को गुटेरेस की ओर से अपडेट आंकड़े जारी किए। जिसमें बताया गया कि यदि दुनिया भर के तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर लिया जाता है तो अगले 2000 सालों में समुद्र का जलस्तर लगभग दो मीटर से तीन मीटर बढ़ जाएगा। अगर तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होती है तो समुद्र का जलस्तर छह मीटर तक बढ़ सकता है।