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मई में भारत ने रूस से प्रतिदिन 819,000 बैरल तेल आयात किया, भारत पर पश्चिमी देशों का दबाव रूस के मामले में बिल्कुल काम नहीं कर रहा है : विशेष रिपोर्ट

भारत पर पश्चिमी देशों का दबाव रूस के मामले में बिल्कुल काम नहीं कर रहा है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, मई महीने में भारत ने रूस से प्रति दिन 819,000 बैरल तेल आयात किया, अप्रैल में 277,000 बैरल जबकि एक साल पहले महज़ 33,000 बैरल प्रति दिन था.

भारत में तेल आपूर्ति करने के मामले में रूस ने सऊदी अरब को पीछे छोड़ दिया है. पहले सऊदी अरब भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश था. इराक़ अब भी भारत में तेल आपूर्ति करने के मामले में नंबर वन पर है. 24 फ़रवरी को रूस ने यूक्रेन में सैन्य अभियान की शुरुआत की थी और तब से भारत का रूस से तेल आयात लगातार बढ़ता गया. भारत को रूस तेल आयात पर भारी छूट दे रहा है.

यूरोप के देश और अमेरिका ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. भारत का कहना है कि वह रूस से तेल आयात बंद नहीं करेगा. भारत सरकार के एक अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा है कि अगर भारत ने रूस से तेल ख़रीदना बंद कर दिया तो पूरी दुनिया तेल के एक ही बाज़ार की तरफ़ भागेगी और तेल की क़ीमतें और बढ़ेंगी.

भारत सरकार और यहाँ की रिफाइनरी कंपनियों का कहना है कि रूस से तेल ख़रीदना पूरी तरह से व्यावसायिक है. रूस पर प्रतिबंधों के कारण वहाँ के तेल आयात में कमी आई थी लेकिन चीन के बाद भारत ने इसकी भरपाई कर दी है. भारत और चीन के कारण पश्चिम रूस को जिस तरह से अलग-थलग करना चाह रहा था, वह संभव नहीं हो पाया है.

रॉयटर्स के अनुसार, भारत सरकार के अधिकारियों ने कहा कि भारत अतीत की ग़लतियाँ दोहराना नहीं चाहता है. भारत ने ईरान पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण तेल ख़रीदना बंद कर दिया था. लेकिन चीन ईरान से तेल ख़रीदता रहा और उसे इसका फ़ायदा मिलता रहा.

एनर्जी कंसल्टेंसी क़मर एनर्जी के चीफ़ एग्जेक्युटिव रोबिन मिल्स ने रॉयटर्स से कहा है, ”भारत का मानना है कि जब चीन रूस और ईरान से तेल ख़रीद सकता है तो भारत क्यों नहीं. भारत नहीं चाहता है कि ईरान वाली ग़लती रूस के साथ करे क्योंकि चीन ने प्रतिबंधों के बावजूद ईरान से तेल ख़रीदना बंद नहीं किया था.”

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका से अच्छे रिश्ते चाहते हैं लेकिन सरकार का कहना है कि घरेलू ज़रूरतें प्राथमिकता में हैं और ऊर्जा सहयोग के मामले में रूस अच्छा दोस्त है. इस शिफ़्टिंग के पीछे आर्थिक ज़रूरतें भी हैं. भारत की रिफ़ाइनरी कंपनियां रूस से छूट पर तेल ख़रीद रही हैं. अगर तेल की क़ीमत बढ़ती रही तो भारत में बढ़ती महंगाई को और हवा मिलेगी.