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महात्मा गांधी हत्याकांड की नए सिरे से जांच से हाईकोर्ट का इंकार

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मुंबई। बांबे हाई कोर्ट ने सोमवार को महात्मा गांधी की हत्या की जांच से संबंधित जनहित याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में जनवरी, 1948 में हुई महात्मा गांधी की हत्या और इसके पीछे के षड्यंत्र का पता लगाने के लिए नए सिरे से जांच की मांग की गई थी।

जस्टिस वीएम कानाडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अत्यधिक समय बीत जाने के कारण इस मामले की सुनवाई नहीं हो सकती है। पीठ के अनुसार, “हम याचिका खारिज कर रहे हैं… इतना अधिक समय बीतने के बाद हम हाई कोर्ट के याचिका क्षेत्राधिकार को लेकर कोशिश नहीं कर सकते हैं। एक लंबा समय गुजर चुका है, अब हम इस मामले में नहीं जाना चाहते हैं।” न्यायाधीशों ने कहा कि वे याचिका खारिज करने के कारणों को लेकर बाद में एक उचित आदेश जारी करेंगे।

इससे पहले याची डॉ. पंकज फड़नीस ने दलील दी कि गांधीजी की हत्या की नए सिरे से जांच के उचित कारणों को साबित करने के लिए उनके पास फोरेंसिक सुबूत हैं। उन्होंने कहा कि जनहित में सुप्रीम कोर्ट भी 150 साल पुराने “कोहिनूर हीरे” मामले की सुनवाई कर रहा है। उसी आधार पर याचिका में गांधीजी की हत्या के लिए नए आयोग के गठन की मांग की गई थी। हालांकि पीठ ने उनकी दलील नहीं मानी और याचिका खारिज कर दी।

लेखक, शोधकर्ता और अभिनव भारत, मुंबई के ट्रस्टी डॉ. फड़नीस ने याचिका में दावा किया था कि तत्कालीन जेएल कपूर आयोग गांधीजी की हत्या के पीछे पूरी साजिश को उजागर नहीं कर पाया था।

अभियोजन के मुताबिक, हत्यारे ने जिस रिवॉल्वर से राष्ट्रपिता की हत्या की थी, उसमें सात गोलियां थीं। गांधीजी को तीन गोलियां लगीं, जबकि पुलिस ने हथियार से चार गोलियां बरामद की थीं। हालांकि अर्जी में आरोप लगाया गया है कि गांधीजी के शरीर पर चार गोलियों के घाव थे। याची ने समाचार पत्रों में छपी खबरें भी पेश कीं।

याचिका में मांग की गई थी कि नया आयोग जांच करे कि चौथी गोली किसने मारी? क्या नाथूराम गोडसे के अलावा कोई और हत्यारा भी था?

क्या भारतीय व पाकिस्तानी नागरिकों के बीच शत्रुता पैदा करने के लिए हत्या की गई? क्या गांधी-जिन्ना की दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क बहाल करने की योजना भंग करने के लिए हत्या हुई? क्या ऐसा कोई व्यक्ति था, जिसे इस साजिश की पहले से जानकारी थी या वह इसमें शामिल था?