साहित्य

माँ एक बार फिर से गले लगाने के लिए आ….

Dr.vijayasingh
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मुझे अच्छा लगता है माँ तुझे देखते रहना…तुम्हारी बिखरी चीज़ों का पड़ा रहना…तुम्हारी दवाइयों का बिखरा रहना…कार में खुद बैठने से पहले आपको को बैठाना आपकी छड़ी को पकड़ना जिस वक्त तुम्हारा हाथ पकड़कर सड़क पर चलती हूँ उस वक्त बहुत गर्व महसूस होता है कि मैं अपनी माँ का हाथ पकड़ रही हूँ …मुझे महसूस होता है मैं भगवान का हाथ पकड़ कर चल रही हूँ….मेरे पास का का बैड सूना है माँ तेरे बिना सब कुछ अधूरा अधूरा है माँ….माँ बस कुछ दिन और ठहर जाओ थोड़ा सा मेरे कहने पर रुक जाओ….कुछ सालों बाद मैं तुम्हें खुशी खुशी विदा करुँगी….लोग रोकर विदा करते हैं मैं हँसकर विदा करुँगी…लोग अपने माता-पिता को आजकल शव वाहिनी से शमशान लेकर जाते हैं कुछ दूर चलकर थक जाते हैं…लेकिन मैं कभी नहीं थकुंगी ..तुम्हें मालूम है मैं तुम्हारा कोई भी काम करने में कभी नहीं थकती हूँ…मुझे अच्छा लगता है सबसे पहले तेरी थाली में खाना देना..हाँ झगड़ती हूँ कभी-कभी तुझसे जब तुम परहेज नहीं करती छिपकर मिठाई खाने पर नाराज़ होती हूँ मैं..क्युकी मुझे मालूम है मिठाई जहर है आपके लिए….कैसे खाने दूँ तुमको..हर बार हम दोनों भगवान से लड़ते हैं एक दूसरे का साथ देने के लिए और उसकी सजा भी पाते हैं क्युकी हम नियति को झूठलाते है ..तुम्हें कितना दर्द होता है बड़ी बड़ी मशीनों पर लिटाया जाता है..और मैं तेरी सेवा करती हूँ.. मुझे तेरी शुशु पोटी तक साफ़ करनी पड़ती है किन्तु मैं करती हूँ ना खुशी खुशी मुझे आज तक कभी कोई समैल नहीं आई मैं उस गंद को भगवान का प्रसाद मानकर स्वीकार करती हूँ….कभी शिकायत नहीं करती भगवान से की मेरे हिस्से ये नर्क क्यूँ आया….जब तुम ठीक होती हो तो मैं सब कुछ भूल जाती हूँ सिर्फ मुस्कुराती हूँ जब तुम मुझे गले लगाती हो माँ एक बार फिर से गले लगाने के लिए आ….भले ही फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ.. तूने वायदा किया था मुझसे की तुम जिस दिन जाओगी मुझे बताकर जाओगी…ऐसे कैसे चल दी तुम….परसो तुमने मुझे कहा था कि तुम 5 साल तक और मेरे साथ हो…तब घर आओ माँ….आज मुझे अपने बेटों पर गर्व महसूस हुआ कैसे तीनों तुझे उठाकर चल दिये…मैं देख रही हूँ मुझसे ज्यादा ये तीनों तुझसे प्यार करते हैं..

.माँ मैं तेरे अंतिम सफ़र को एक यादगार लम्हा बनाऊँगी…बेटी होकर बेटों से ज्यादा तुझे गर्व कराऊँगी ..फ़ूलों से तेरी बग्गी सजाऊँगी …शमशान तक नाचते-गाते बैड बाजे शहनाई से लेकर जाऊँगी …लेकिन अभी नहीं मुझे थोड़ा सा और वक्त दो … 😢😢🙏

राधे कृष्णा डॉक्टर विजया सिंह #drvijayasingh