नई दिल्ली: पूरे देश गुजरात से बड़ा दँगा कहे जाने वाले मुज़फ़्फ़रनगर 2013 दंगों की भयानक तस्वीरें और जली फूँकी झोपड़ियों की राख अभी ठंडी भी नही हुई है कि सरकार आरोपियों को माफ करने पर तुली है,अब सवाल ये उठता है कि माफी से क्या निर्दोष मृतकों को इंसाफ मिल पायेगा ?क्या उनकी आत्मा को शाँति मिलेगी?
योगी आदित्यनाथ सरकार ने मुजफ्फर दंगे के कुल आरोपियों पर से 131 मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की है। वापस लिए जाने वाले इन मुकदमों में हत्या के 13 और हत्या के प्रयास के 11 मामले हैं। 2013 में मुजफ्फरनगर और शामली में हुए व्यापक दंगों में पांच सौ से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए थे।
#YogiAdityanath govt to withdraw 131 cases linked to 2013 #Muzaffarnagar, Shamli riots which include charges of murder, attempt to murder; Opposition criticises movehttps://t.co/3MHJU8sdSB
— Firstpost (@firstpost) March 22, 2018
केस से जुड़े दस्तावेजों को देखने पर इंडियन एक्सप्रेस ने पाया कि सभी केस जघन्य अपराध से जुड़े हैं। जिसमें कम से कम सात साल की सजा होती है। 16 मुकदमे सेक्शन 153 ए यानी धार्मिक आधार पर दुश्मनी फैलाने के आरोप तथा दो मुकदमे सेक्शन 295 के दर्ज हैं, यानीी किसी धर्म विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले भाषण देने का आरोप है।
कम से कम 62 लोग दंगों के दौरान मारे गए थे, वहीं एक हजार से अधिक लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा था। यह दगा सितंबर 2013 में हुआ था। दंगों के बाद 1455 लोगों के खिलाफ 503 केस दर्ज हुए थे। तब समाजवादी सरकार थी। भाजपा सांसद संजीव बालियान और विधायक उमेश मलिक के नेतृत्व में खाप पंचायतों के प्रतिनिधिमंडल ने पांच फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर उन्हें 179 केस की लिस्ट सौंपकर वापस कराने की मांग की थी। जिसके बाद से हरकत में आई सरकार ने मुकदमों की वापसी की प्रक्रिया शुरू की है।
Yogi Adityanath wants to give relief to his MLAs, MPs, leaders who are physically involved in violence during Muzaffarnagar riots: CPI (M) politburo member Subhashini Ali #UPRiotAmnesty
— TIMES NOW (@TimesNow) March 22, 2018
मीडिया से बातचीत में संजीव बालियान ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री को सूची सौंपी थी, जिसमें सभी हिंदू थे।बता दें कि 23 फरवरी को उत्तर प्रदेश के कानून विभाग ने विशेष सचिव राजेश सिंह के हवाले से मुजफ्फरनगर और शामली के जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर 131 मुकदमों के संबंध में 13 बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। डीएम से केस हटाने को लेकर संस्तुति मांगी गई थी। सूत्रों के मुताबिक शासन से आए पत्र को डीएम ने जिले के एसपी के पास भेजकर डिटेल्स देने को कहा।
इस बारे में जब प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि मेरे पास कोई जानकारी नहीं है,राज्य का कानून विभाग ऐसे मामलों को देख रहा है। कानून विभाग के भी विशेष सचिव ने टिप्पणी से इन्कार कर दिया, हालांकि सूत्रों ने मुकदमा वापसी के लिए शासन से पत्र जाने की पुष्टि की। संजीव बालियान ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा-850 आरोपी हिंदुओं पर दर्ज 179 केस वापस लेने के लिए मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिला था। ये केस मुजफ्फरनगर और शामली में दर्ज थे। जिसमें हत्या के प्रयास और आगजनी से जुड़े आरोप थे।
वहीं विधायक उमेश मलिक ने कहा कि मुख्यमंत्री को सौंपी सूची में हत्या के केस भी शामिल थे। मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने कानून विभाग से कार्रवाई का आश्वासन दिया था। पांच जनवरी को शासन ने विधायक मलिक के खिलाफ नौ मुकदमे वापस लेने के सिलसिले में मुजफ्फरनगर प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी। इसमें दो मुकदमे दंगा भड़काने के थे।