विशेष

मैं हूँ जो मैं हूँ—“अत्यंत दुष्ट भी न बन, और न ही मूर्ख हो: तू क्यों अपने समय से पहले मरे?

Meghraj Singh
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पूरे विश्व के इंसानों की ज़िंदगी में दो दरवाज़े आते हैं इन दरवाज़ों के बारे में विश्व के सिर्फ़ 0.1% इंसान ही जानते हैं ।
किस दरवाज़े से इंसान दुखों के घर में पहुँच जाता है और किस दरवाज़े से इंसान सुखों के घर में पहुँच जाता है इसके बारे में भी विश्व 0.1% इंसान ही जानते हैं ।
कौन कौन से हैं वह दो दरवाज़े जिसके ज़रिए इन्सान दुखों के घर में और सूखो के घर में पहुँच जाता है ।
वह दो दरवाज़े इस प्रकार हैं —-
नंबर वन —-झूठ का दरवाज़ा ।
नंबर दो —-सच का दरवाज़ा ।

विश्व के तक़रीबन 90% इंसान दुविधा में रहते हैं ना तो वह कभी झूठ के दरवाज़े तक पहुँच पाते हैं और नाही वह कभी सच के दरवाज़े तक पहुँच पाते हैं वह तो सिर्फ़ दुःख सुख भोग कर ही अपना जीवन व्यतीत करते रहते हैं ।

झूठ का दरवाज़ा—इस दरवाज़े के ज़रिये विश्व के तक़रीबन 9% इंसान दुखों के घर में पहुँच जाते हैं इस घर के अंदर पहुँचते ही उनको बेईमानी विश्वासघात धोखा नफ़रत छुआछूत भेदभाव भ्रष्टाचार दुराचार असमानता अज्ञानता इत्यादि यह सब अवगुण उन के मन के अंदर आ जाते हैं जिसके कारण उनका मन विचलित और परेशान रहने लगता है जिसकी वजह से उनको अपना जीवन दुख भरा और बर्बाद होता हुआ नज़र आने लगता है ।


सच का दरवाज़ा—इस दरवाज़े के ज़रिए विश्व के तक़रीबन 0.1% इन्सान ही सुखों के घर में पहुँच जाते हैं इस घर के अंदर पहुँचते ही उन लोगों को सच्चाई सहनशीलता सब्र संतोष समानता अपनापन मोहब्बत सुकून निमरता दयालुता इत्यादि यह सब गुण उन मन के अंदर आ जाते हैं जिसके कारण वह इंसान हमेशा ही सुखों भरा जीवन महसूस करते है और वह अपने जीवन को हमेशा ही परमआनंद में महसूस करते हैं ।

कुछ महत्वपूर्ण बातें
विश्व के अंदर जो इंसान कभी झूठ बोलेंगे कभी सच बोलेंगे वह इंसान अपनी ज़िंदगी को कभी दुखो में कभी सुखो में व्यतीत करके इस दुनिया से चले जाते है ।
विश्व के अंदर जो इंसान झूठ ही झूठ बोलते हैं बेईमानी ही बेईमानी करते हैं वह अपना पूरा जीवन दुखो भरा व्यतीत करके इस दुनिया से भटककर मर जाते है ।
विश्व के अंदर जो इंसान सच ही सच बोलते है और ईमानदार ही ईमानदारी से काम करते है वह अपना जीवन सुखों भरा व्यतीत करके एक रब में मिल जाते है ।
नोट —यह बातें अनुभवी ज्ञान की है अनुभवी ज्ञान सच्चे इंसान को ही होता है और अनुभवी ज्ञान को सच्चे इंसान ही समझ सकते हैं ।
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( M S Khalsa)


सुलैमान के नीतिवचनों से बुद्धि
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नीतिवचन 11:4
कोप के दिन धन से लाभ नहीं होता; परंतु धर्म मृत्यु से छुड़ाता है।
पापियों के लिए परमेश्वर का कोप इस संसार में अकाल मृत्यु को ले आ सकता है, और अगले संसार में निश्चित रूप से अनंतकाल की मृत्यु को ले आएगा। कोई भी धनराशि इनमे से किसी भी मृत्यु को टाल या रोक नहीं सकती। लेकिन धार्मिकता परमेश्वर को प्रसन्न करती है और मनुष्यों को दोनों मृत्यु से बचाती है (नीतिवचन 10:2; 12:28)। यहाँ दी गयी सीख एकदम स्पष्ट है – अपनी जोखिम पर ही धार्मिकता को तुच्छ जानो या उसे ठुकरा दो।

धन न ही एक न्यायप्रिय और महान राजनैतिक शासक से बचा सकता है, क्योंकि परमेश्वर उससे मांग करता है कि वह अपने न्याय में कोई भेदभाव या पक्षपात न करे, चाहे न्याय अमीर के लिए हो या गरीब के लिए (निर्गमन 23:6-8; लैव्यव्यवस्था 19:15; व्यवस्थाविवरण 1:17; 16:19)। लेकिन एक अच्छा राजनैतिक शासक मुकदमे के दौरान व्यक्ति की धार्मिकता पर विचार ज़रूर करेगा (नीतिवचन 18:5; 2 शमूएल 23:3)। फिर से, यहाँ दी गयी सीख स्पष्ट है – धार्मिकता धन से अधिक महत्वपूर्ण है।

धन और जो उपहार आप खरीद सकते हैं, वे आपको एक क्रोपित मनुष्य से नहीं बचा सकते, क्योंकि वह अपने कोप की आग में आपके दोषों या दुष्टता के लिए प्रतिशोध की मांग करेगा (नीतिवचन 6:30 35; 19:19; गिनती 35:12; व्यवस्थाविवरण 19:11-13)। शांतिपूर्ण और सुखद रिश्ते धार्मिकता पर निर्भर करते हैं, धन पर नहीं (नीतिवचन 15:16-17; 16:8; सभोपदेशक 4:6; मलाकी 4:5-6; लूका 1:17)।

अश्शूर के राजा, सन्हेरीब ने यहोवा की निंदा की; उसके बेटों ने उसे मंदिर में दंडवत करते समय मार डाला (2 राजा 19:37)। बेबिलोन के राजा, नबूकदनेस्सर ने धार्मिकता की उपेक्षा करने के कारण अपने जीवन में शांति को खो दिया (दानिय्येल 4:27)। बेलशस्सर उसी रात मारा गया जिस रात उसने बेबीलोन के शासकों के साथ अपनी समृद्धि का उत्सव मनाया (दानिय्येल 5:1-30)। एक धनवान व्यक्ति वैभवता से जीता था जबकि लाज़र भीख मांगा करता था, परंतु वह अधोलोक में जा पहुंचा (लूका 16:19-23)। हनन्याह और सफीरा ज़मींदार थे, उनके पास धन तो था; परंतु झूठ बोलने के कारण वे यरूशलेम की कलीसिया में गिरकर मर गए (प्रेरितों के काम 5:1-11)।

मृत्यु के विषय में सुलैमान के अवलोकन ने उसे यह लिखने के लिए प्रेरित किया, “अत्यंत दुष्ट भी न बन, और न ही मूर्ख हो: तू क्यों अपने समय से पहले मरे?” (सभोपदेशक 7:17)। और उसने वास्तव में उन लोगों की निंदा की जो धन इकट्ठा करते थे, और मरने के बाद वह सब कुछ एक मूर्ख उत्तराधिकारी के लिए छोड़ जाते थे (सभोपदेशक 2:18-21)। वह जानता था कि न कोई मृत्यु के दिन पर अधिकारी होता है;और न उसे लड़ाई से छुट्टी मिल सकती है, भले ही आपकी संपत्ति कितनी ही क्यों न हो (सभोपदेशक 8:8)।

दाऊद ने धन पर भरोसा करने वालों के लिए निंदा करने वाले सबसे उत्तम वचन लिखे (भजन संहिता 49:1-20)। उसने इस बात पर ज़ोर दिया कि न तो धन और न ही सफलता आपको मृत्यु से बचा सकती है, और उसने उन लोगों की निंदा की जो यह जानते हुए भी कि धनी लोग भी मरने पर अपने साथ कुछ नहीं ले जा पाते, धन का पीछा करते हैं। उसने यह कहते हुए सारांश प्रस्तुत किया, “मनुष्य चाहे प्रतिष्ठित भी क्यों न हो, परंतु यदि वह समझ नहीं रखता तो वह पशुओं के समान है जिनका नाश होता है” (भजन संहिता 49:20)।

परंतु धार्मिकता, अर्थात वे काम करना जो परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं, परमेश्वर के क्रोध को टाल देती है और मनुष्यों को दोनों मृत्यु से बचाती हैं। यहेजकेल ने एक विस्तृत संदेश का प्रचार किया कि किस प्रकार धार्मिकता एक व्यक्ति को मृत्यु के डर से बचा सकती है (यहेजकेल 18:1-32)। और आमोस ने इज़राइल को स्पष्ट रूप से बताया कि वे किस प्रकार यहोवा की और फिरकर जीवित रह सकते हैं, और न्याय के दिन मरने से बच सकते हैं (आमोस 5:4-15)।

परमेश्वर ने नूह को धार्मिकता के कारण जहाज़ पर रखा (उत्पत्ति 7:1)। अबीगैल जानती थी कि दाऊद जीवन रूपी गठरी में धार्मिकता के कारण बंधा हुआ है (1 शमूएल 25:28-29)। परमेश्वर का भय मानने और बुराई से घृणा करने के कारण परमेश्वर ने अय्यूब को शैतान से बचाया (अय्यूब 1:1)। एक सिद्ध हृदय होने के कारण हिजकिय्याह के जीवन में 15 वर्ष और जोड़े गए थे (यशायाह 38:1-8)। और पश्चाताप के कारण मनश्शे ने किसी भी अन्य राजा से अधिक समय तक शासन किया (2 इतिहास 33:13)। पाठक, धर्मीयों के लिए एक प्रतिफल है (भजन संहिता 58:1-11)। इस पर विश्वास करें!

लोग मृत्यु को टालने के लिए विटामिन्स, डॉक्टर और वैकल्पिक चिकित्सा में बहुत से पैसे निवेश करते हैं; उनके पास जितना अधिक धन होता है, जीवित रहने के उनके प्रयास उतने ही प्रचुर होते हैं। लेकिन उसका उपचार धार्मिकता है; जैसा कि सुलैमान और अन्य लोगों ने स्पष्ट रूप से लिखा है (निर्गमन 20:12; व्यवस्थाविवरण 25:13-16; नीतिवचन 3:1-2; 4:10; 9:11; इफिसियों 6:2-3)। और अतिरिक्त आयु बेहतर होगी (भजन संहिता 34:12-16; 1 पतरस 3:10-12)।

आपको धार्मिकता की सबसे अधिक आवश्यकता न्याय के दिन होगी, क्योंकि जिनमें यह नहीं होगा वह लोग नरक में डाल दिए जायेंगे (मत्ती 22:8 14; प्रकाशितवाक्य 19:8; 20:11-15; 21:8)। परमेश्वर आप की कुल संपत्ति और आय की उपेक्षा करेगा। आप कैसे जान सकते हैं कि परमेश्वर ने आपको यीशु मसीह की धार्मिकता के द्वारा धर्मी ठहराया है? यीशु मसीह पर विश्वास और एक धार्मिकता का जीवन सबसे उत्तम प्रमाण हैं (मत्ती 7:21; 1 यूहन्ना 2:29; 3:7,10)।

Sitaram Pathik
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मित्रों 🙏
मैं इन दिनों अपनी बेटी के ब्याह को लेकर बहुत चिंतित हूं इसी दौरान मेरे एक आत्मीय भाई राहुल ओझा ने लगभग घंटे भर पूर्व व्हाट्सएप पर मुझे एक पोस्ट भेजी। हालांकि उसमें शुभकामना के कुछ शब्द लिखे थे परन्तु मैं तो बस इस चित्र को देखता रहा।लगा यह मेरा चित्र है ।और फिर अभी अभी मैंने इस चित्र के आधार पर एक नवगीत लिखने की कोशिश की है कितना सार्थक लिखा या नहीं आप बताएं 🙏🌷🙏

🌻कैसे बेटी ब्याह करुं?
🏵️🌼🌺🌼🏵️
अपने दायित्वों का दुनिया में, मैं कैसे निर्वाह करूं?
मन के स्वप्न अभी भी मेरे, पलने में ही पड़े हुए,
आसपास मै जिधर देखता, सब छलने को खड़े हुए,
गैरों के सागर में हर दिन,मै अपनेपन की थाह करूं!
अपने दायित्वों का दुनिया में मैं कैसे निर्वाह करूं?
डर लगता है किसे सौप दूं, मै पुरखों की थाती को,
बचा के रक्खूं मैं तूफां में, कैसे जलती बाती को,
आत्मा दफन करूं मिट्टी में, या जाकर जल में प्रवाह करूं!
अपने दायित्वों का दुनिया में मैं कैसे निर्वाह करूं ?
अनगिन खुशी हुई थी मुझको, घर में कली के खिलने पर,
भिक्षुक को होती है जितनी, भीख में मणि के मिलने पर,
पाकर उसको वाह किया था, आज उसे देखके आह करूं!
अपने दायित्वों का दुनिया में मैं कैसे निर्वाह करूं?
तनमन बहुत बड़ा है मेरा ,लेकिन धन है गिनती का,
चरण ढूंढ रहा कहां पर रख दूं, स्वर मैं अपनी विनती का,
निर्धन पिता हूं, आप बताएं मैं कैसे बेटी ब्याह करूं?
अपने दायित्वों का दुनिया में मैं कैसे निर्वाह करूं?
🙏💚❤️💚🙏
“#पथिक” जी रीवा

सुलैमान के नीतिवचनों से बुद्धि
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नीतिवचन 8:25
पहाड़ों के स्थिर होने से पहिले और पहाड़ियों के आने से पहले मैं उत्पन्न हुई।

बुद्धि कितनी पुरानी है? पहाड़ियों से भी पुरानी। पहाड़ों और पहाड़ियों की रचना करने से पहले ही परमेश्वर के पास असीम बुद्धि थी, जिसका उपयोग उसने पृथ्वी को बनाने में किया (नीतिवचन 8:22-23)। वह मनुष्य को उसके जीवन में सफलता के लिए संबंधित बुद्धि प्रदान करता है (नीतिवचन 8:10-21)। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप पहाड़ों या पहाड़ियों को कितना पुराना मानते हैं; उनकी रचना के बहुत पहले से ही परमेश्वर के पास सिद्ध बुद्धि थी।
नीतिवचन 8 बुद्धि को एक स्त्री के रूप में दर्शाता है – कुलीन महिला-बुद्धि। पहले ही वचन में उसकी पहचान स्त्रीलिंग सर्वनाम के रूप में की जाती है; और अंतिम वचन में उसके लिए व्यक्तिगत सर्वनाम “मेरा” दो बार प्रयुक्त किया गया है (नीतिवचन 8:1,36)। इस अध्याय में एक परिचय है (नीतिवचन 8:1-9), बुद्धि के लाभों का वर्णन है (नीतिवचन 8:10-21), अनंत काल से बुद्धि पर प्रभु यहोवा के अधिकार के बारे में लिखा है (नीतिवचन 8:22-3), और अंत में मनुष्यों से एक आग्रह है (नीतिवचन 8:32-36)।

अंग्रेजी भाषा में एक मुहावरा है, “ओल्डर दैन द हिल्स (पहाड़ियों से भी प्राचीन)”। यह किसी अत्यधिक पुरानी बात या वस्तु के लिए उपयोग किए जाने वाला एक अनौपचारिक वाक्यांश है। पहाड़ों और पहाड़ियों के आकार, स्थिरता और मज़बूती उनकी प्राचीन उत्पत्ति और महान स्थायित्व को अभिव्यक्त करते हैं, इसलिए मनुष्यों ने उनकी प्राचीनता पर ज़ोर देने के लिए कई चीजों की तुलना पहाड़ियों के जीवन काल से की है। परमेश्वर ने अपने प्रेरित वचनों में भी ऐसा ही किया है (अय्यूब 15:7-8; 38:4-11; भजन संहिता 90:2; 102:25-28; इब्रानियों 1:10)। और उसने पहाड़ों और पहाड़ियों की उत्पत्ति के पहले ही, पृथ्वी की सृष्टि करते समय अपनी बुद्धि का प्रमाण देकर, इस नीतिवचन में आपके लिए बुद्धि को महिमामय कर दिया।

यह वचन कि, ” पहाड़ों के स्थिर होने से पहिले…….मैं उत्पन्न हुई” परमेश्वर के पुत्र की अनंत पीढ़ी का वर्णन नहीं करता। दो कारणों से, यह वचन यीशु मसीह के अनंत पुत्रत्व की शिक्षा बिल्कुल भी नहीं देता। सबसे पहला कारण, अनंत पुत्रत्व एक मानव निर्मित विधर्म है, जिसका आविष्कार औरिजेन (185-254 ईस्वी) नामक एक धर्म शास्त्रीय विचारक द्वारा किया गया था, ताकि बाइबल को यूनानी दर्शन के साथ अधिक सुसंगत बनाया जा सके। उसने सबसे पहले यूहन्ना 1:1 को विकृत किया यह सिखाने के लिए कि परमेश्वर का वचन केवल “एक देवता है”।

यीशु यहोवा है। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर है, परमेश्वर देहधारी हुआ, इमैनुएल, जिसका अर्थ है परमेश्वर हमारे साथ (यशायाह 7:14; 9:6; मत्ती 1:23; यूहन्ना 1:1,14; 8:58)। चाहे वॉचटावर सोसाइटी जो कुछ भी सिखाए, एन.ए.एस.बी यूहन्ना 1:18 को लेकर जो कुछ भी घोषणा करे, या कैथलिक-प्रोटेस्टेंट पंथ जो कुछ भी कहें, वह (यीशु) अनंत पीढ़ी के मूर्तिपूजक सिद्धांत द्वारा उत्पन्न कोई देवता नहीं है। यीशु सदा के लिए उत्पन्न नहीं हुआ: उसका अलौकिक स्वभाव यहोवा से था – मैं हूँ जो मैं हूँ! यीशु सदा के लिए उत्पन्न नहीं हुआ: उसका मानवीय स्वभाव ‘समय में’ मरियम में उत्पन्न हुआ था (लूका 1:31-35; गलतियों 4:4)।

दूसरा कारण कि यह नीतिवचन इस तरह की निरर्थकता नहीं सिखाता क्योंकि यह स्पष्ट रूप से बुद्धि को एक स्त्री के रूप में दर्शाता है। क्या परमेश्वर का पुत्र एक स्त्री है? सुलैमान ने सृष्टि में परमेश्वर के बुद्धि के उपयोग का वर्णन एक स्त्री के रूप में किया है। क्यों? इसलिए कि एक शक्तिशाली साहित्यिक साधन के इस ईश्वर-प्रेरित उपयोग के द्वारा, आपके लिए बुद्धि को और आकर्षक बनाए। यदि परमेश्वर के लिए सृष्टि की रचना में बुद्धि आवश्यक थी, तो निश्चित रूप से आपको भी इसकी आवश्यकता है। कुलीन महिला-बुद्धि आपको नीतिवचन में बुद्धि प्रदान करती है।

यदि सृष्टि को बनाने से पहले परमेश्वर के पास अनंत काल में बुद्धि एक व्यतिगत संपत्ति के रूप में थी, तो बुद्धि बहुत महत्वपूर्ण है। यदि परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की रचना और उनकी विशेषताओं में बुद्धि का उपयोग किया है, तो बुद्धि सबसे अधिक मूल्यवान है। आज आप अधिक बुद्धि प्राप्त करने के लिए और क्या क्या करेंगे? कुलीन महिला-बुद्धि आपको यह प्रदान करती है। बाइबल और नीतिवचन में यह आपकी पूर्णता के लिए बहुतायत में है। क्या आपके पास कोई पास्टर/ शिक्षक है जो इसका प्रचार करे और आपको सिखाए?