इतिहास

मोरक्को नाम स्पेन का दिया हुआ है, स्पेन पर हुकूमत करने वाले मुराबतीन व मोहिदीन वंश का संबंध मोरक्को से था!

भारत के मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी
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मोरक्को, स्पेन और पुर्तगाल आपस में हजारों साल से लड़ते रहे हैं कभी तीनों अलग अलग कभी दो एक साथ और एक अकेले, जीत हार भी सब की होती रही है मोरक्को नाम भी स्पेन का दिया हुआ है मोरो का मतलब काले लोग होता है बाद में स्पेनिश मुसलमानों को मोरो कहने लगे चाहे वह गोरा हो या काला
मुसलमानों से पहले मोरोक्को के अमाज़ीगी भाषा बोलने वाले लोगों ने स्पेन पर कई सौ साल हुकूमत की थी और जब मोरक्को के लोग मुसलमान हो गए तो मोरक्को के मशहूर योद्धा तारिक़ बिन ज्याद ने स्पेन व पुर्तगाल पर विजय हासिल की जिन्होंने अपनी कश्तियां जला दी थीं
फिर स्पेन पर हुकूमत करने वाले मुराबतीन व मोहिदीन वंश का संबंध भी मोरक्को से था


स्पेन पुर्तगाल और मोरक्को के बीच अटलांटिक महासागर स्थित है यहां महासागर बहुत चौड़ा नहीं है यहां से समुद्री जहाज गुजरते हैं इस रास्ते को यूरोप का द्वार कहते हैं इस रास्ते पर जिस का कब्जा होता है वह विश्व का आर्थिक सुपर पावर बन जाता है इस रास्ते का महत्व मुसलमानों में सबसे पहले हज़रत मुआविया ने समझा और उन्होंने इस रास्ते को कब्जे में लेने की कोशिश की और बहुत हद तक कामयाब भी हो गए , हज़रत मुआविया का यह बहुत बड़ा कारनामा था जिस का प्रभाव दुनिया की तिजारत पर लगभग एक हजार साल रहा

Khursheeid Ahmad

 

कुछ मोरक्को के बारे में..
आप ने अल्लामा इक़बाल का ये मशहूर शेर अक्सर सुना होगा कि
दश्त तो दश्त हैं दरिया भी न छोड़े हम ने
बहर ए ज़ुल्मात में दौड़ा दिए घोड़े हम ने.
दरिया में घोड़े दौड़ाने का वाक़या मोरक्को में ही पेश आया था. घोड़े दौड़ाने वाले कमाण्डर थे हज़रत उक़बा बिन नाफ़े. उस वक़्त इस्लामी हुकुमत के ख़लीफ़ा थे अमीरूल मोमिनीन सय्यदना अमीर मुआविया.
मोरक्को, ट्यूनिशिया और अल्जीरिया के तमाम इलाक़ों को मग़रिब ए अक़सा यानी दूर का पश्चिम कहा जाता है . मोरक्को को ममलकत ए मग़रिबी, अल्जीरिया को मग़रिब ए औसत ( Middle West) और ट्यूनीशिया को मग़रिब ए अदना (small west) कहा जाता है. इस में कुछ हिस्सा लीबिया का भी शामिल है.
इस इलाक़े की फतेह की शुरुआत तो हज़रत उमर के दौर में ही हो गई थी लेकिन कुछ सुरक्षा कारणों की वजह से आप ने आगे बढ़ने की इजाज़त न दी. 50 हिजरी में हज़रत अमीर मुआविया ने मिस्र से अलग कर के एक सूबा ‘अफ़्रीका’ क़ायम किया और उसकी ज़िम्मेदारी हज़रत उक़बा बिन नाफ़े को दी. उन्होंने कमान संभालते ही लश्कर कशी शुरू कर दी और मग़रिब के अक्सर इलाक़ों पर इस्लामी हुकुमत क़ायम हो गई. 51 हिजरी में हज़रत उक़बा बिन नाफ़े ने मग़रिब यानी मौजूदा मोरक्को में एक शहर क़ैरवान आबाद किया. जैसा कि दस्तूर है कि मुसलमान जब कोई शहर बसाते हैं तो उसकी शुरुआत मस्जिद से करते हैं लिहाज़ा हज़रत उक़बा ने यहां एक मस्जिद बनवायी. ये मस्जिद आज भी आबाद है और जामा उक़बा बिन नाफ़े के नाम से मशहूर है.


कुछ शिकायत मिलने की वजह से हज़रत अमीर मुआविया ने उक़बा बिन नाफ़े को माज़ूल ( suspend) कर दिया. लेकिन अमीर मुआविया की वफ़ात के बाद फिर से उन्हें अफ़्रीका का गवर्नर बना दिया गया और उन्होंने जरीद ( ट्यूनीशिया) ज़ाब (अल्जीरिया) तनजा (tangier, मोरक्को ) और आईबेरिया वग़ैरह फ़तेह किए.
दारूल बैज़ा मोरक्को का सब से बड़ा शहर है.
मोरक्को का दारूल हुकुमत रबात (राजधानी) है. इस शहर को 12वीं सदी में मुवह्हिद ख़लीफ़ा अब्दुल मोमिन मुवह्हिद ने बसाया था.
मोरक्को के सब से पुराने शहर फ़ेज़ में ही दुनिया की सब से पुरानी यूनिवर्सिटी क़रवियीन यूनिवर्सिटी है जिसे फातिमा फ़ेहरी ने बनाया था. ये शहर कार फ्री है यानी यहां कार नहीं चलती है.
मोरक्को के लोग बाक़ी अरबों की तरह बड़े मेहमान नवाज़ होते हैं. यहां डाइवर्सिटी बहुत है. समन्दर के किनारे भी हैं , ऊंचे ऊंचे पहाड़ भी हैं और पुराने तारीखी शहर इस छोटे से अरब मुल्क को बहुत ख़ास बनाते हैं. मोरक्को का अपना आर्किटेक्चर है यहां के घर, बाज़ार, दुकानें, मस्जिदें एक अलग स्टाइल में बनी होती हैं जिन जो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं.
– शाह नसीम

अफ़्रीका के आख़री कोने पर मौजूद Morocco के रहने वाले बीसवीं सदी का सबसे अज़ीम गोरिल्ला कमांडर मुहम्मद इब्न अब्द अल करीम अल ख़त्ताबी जिनसे Ho Chi Minh, Mao Zedong और Che Guevara जैसे लोग प्रेरणा लेते थे। जिनके डर से 1921 में एक जंग में स्पेन के कमांडर Manuel Fernández Silvestre ने मैदान ए जंग में ख़ौफ़ के मारे ख़ुदकशी कर ली थी। इसके बाद स्पेन का साथ देने फ़्रांस आ गया। अब्द अल करीम को मुल्क बदर कर दिया गया। पर उनका संघर्ष जारी रहा। वो दुनिया भर के इंक़लाबी रहनुमा से मिलते रहे। जिसमें कई भारतीय भी थे। इसमें इक़बाल शैदाई का नाम सबसे अहम है जिन्होंने सरदार अजीत सिंह के साथ मिल कर 1941 में आज़ाद हिंद बटालियन, हिमालया रेडीओ, और आज़ाद हिंद सरकार इटली के सिसली में क़ायम की थी।
Md Umar Ashraf

 

मोरक्को
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मोरक्को को अरबी भाषा में अलमगरिब और उर्दू भाषा में मराकिश कहते हैं
रिबात इसकी राजधानी है और काजाबलांका الدار البيضاء यहां का सबसे बड़ा शहर है इसे मोरक्को की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं
मोरक्को नार्थ वेस्ट अफ्रीकन देश है जिस के पश्चिम में अटलांटिक महासागर और उत्तर में भूमध्यसागर है
मशहूर मुस्लिम योद्धा उक़्बा बिन नाफ़े अलफहरी ने इसे हज़रत मुआविया के जमाने में फतह किया था
मोरक्को को फतेह करने के बाद उन्होंने अपने घोड़े को अटलांटिक महासागर ( जिसे अरबी भाषा में बहरे ज़ुल्मात कहते थे ) में डाल दिया था अल्लामा इक़बाल ने उसी ओर इशारा करते हुए कहा है कि
दश्त तो दश्त है दरिया भी न छोड़ें हम ने
बहरे ज़ुल्मात में दौड़ा दिए घोड़े हम ने
यह बहादुरों की जमीन है इस्लामी हीरो तारिक़ बिन ज़्याद यहीं पैदा हुए थे युसुफ बिन ताशक़ीन का यह वतन था इदरीसी वंश , मुराबितीन वंश और मोह्हदीन ने यहां हुकुमत की
यहां विश्व की सबसे पुरानी युनिवर्सिटी है जिसे फातिमा अल फहरी ने बनाया था यहां के लोग बहुत हुनरमंद होते हैं कारीगरी के कामों में भारतीय मुसलमानों को टक्कर देते हैं
आज फीफा विश्वकप में उन्होंने कारनामा अंजाम दिया है जिस की मुबारकबाद और आगे के लिए नेक ख्वाहिशात
Khursheeid ahmad

 

 

At Moulay Ismail’s royal granary, #Meknes. 17th century. #Morocco


Quaraouiyine Mosque