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यह अंतरिक्ष यान आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर ले जाएगा : इस बार चांद ने दिखाया ज़मीन के मुखड़ा : विशेष

नासा के ओरियन अंतरिक्ष यान को शुक्रवार को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित कर दिया गया। नासा के अधिकारियों ने कहा कि बहुत विलंबित चंद्रमा मिशन सफलतापूर्वक आगे बढ़ा।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि अंतरिक्ष यान के फ्लोरिडा से चंद्रमा के लिए उड़ान भरने के एक सप्ताह बाद, उड़ान नियंत्रकों ने “सफलतापूर्वक ओरियन को दूर की प्रतिगामी कक्षा में डालने के लिए एक बर्न का प्रदर्शन किया।” यह अंतरिक्ष यान आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर ले जाएगा। नासा का ‘ओरियन’ कैप्सूल सोमवार को चंद्रमा पर पहुंच गया। ह्यूस्टन में बैठे उड़ान नियंत्रकों को आधे घंटे के संचार ब्लैकआउट के कारण यह पता नहीं था कि क्या महत्वपूर्ण ‘इंजन फायरिंग’ तब तक ठीक रही जब तक कि कैप्सूल चंद्रमा के पीछे से सामने नहीं आ गया। पचास साल पहले नासा के अपोलो कार्यक्रम के बाद से यह पहली बार है जब कोई कैप्सूल चंद्रमा पर पहुंचा है और पिछले बुधवार को शुरू हुई 4.1 अरब डॉलर की लागत वाली यह परीक्षण उड़ान काफ़ी महत्वपूर्ण है।


चंद्रमा से धरती कुछ ऐसी दिखती है

ओरियन के उड़ान पथ में अपोलो 11, 12 और 14 के लैंडिंग स्थल भी शामिल हैं जो मानव पहुंच के पहले तीन चंद्र स्थल हैं। कैप्सूल ने 16 नवंबर को फ्लोरिडा स्थित केनेडी अंतरिक्ष केंद्र से नासा के अब तक के सर्वाधिक शक्तिशाली रॉकेट से उड़ान भरी थी। जैसे ही कैप्सूल चंद्रमा के पीछे से बाहर निकला, इसमें लगे कैमरों ने धरती की एक तस्वीर भेजी। यदि सबकुछ ठीक रहा तो इसे तिरछी कक्षा में रखने के लिए शुक्रवार को एक और ‘इंजन फायरिंग’की जाएगी। वर्ष 1972 में आख़िरी अपोलो मिशन के बाद से इसकी सतह पर पैर रखने वाला यह पहला अंतरिक्ष यान है। चालक दल के बिना इस पहली परीक्षण उड़ान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यान उड़ान के लिए सुरक्षित है। नासा ने कहा, “कक्षा इतनी दूर है कि ओरियन चंद्रमा से लगभग 40,000 मील ऊपर उड़ान भरेगा।” एजेंसी ने कहा कि उड़ान नियंत्रक चंद्रमा की कक्षा में प्रमुख प्रणालियों की निगरानी करेंगे और अंतरिक्ष के वातावरण का परीक्षण करेंग।। चंद्रमा के चारों ओर आधी परिक्रमा पूरी करने में ओरियन को लगभग एक सप्ताह का समय लगेगा।