दुनिया

यूक्रेन की बर्बाद की अस्ल वजह क्या है? और इसके ज़िम्मेदार कौन हैं : रिपोर्ट

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन ने सचेत किया है कि अमेरिका एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था बनाने की दिशा में काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका इस बात के लिए प्रयास कर रहा है कि पूरी दुनिया केवल उसके इशारे पर और उसकी इच्छा के अनुसार चले और अमेरिकी सरकारें इस बात को बहुत अच्छी तरह जानती हैं कि वे क्या चाहती हैं परंतु कुछ समस्याओं व कठिनाइयों की उलझे होने के कारण अभी वे इस विषय पर ध्यान नहीं दे पा रही हैं।

अमेरिका ने विभिन्न विशेषकर हालिया दो दशकों में एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था की दिशा में काम किया है। इराक, अफगानिस्तान और सीरिया संकट को उत्पन्न करने में उसने जो भूमिका निभाई उसे इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है। इसी प्रकार अमेरिका ने यूक्रेन संकट को उत्पन्न करने में जो भूमिका निभाई और निभा रहा है उससे विश्व जनमत बहुत अच्छी तरह अवगत है। विश्व जनमत इस बात को बहुत अच्छी तरह जानता है कि यूक्रेन संकट अमेरिका और नाटो के क्रियाकलापों का परिणाम है।

अमेरिका ने यूक्रेन को नाटो की सदस्यता का झांसा दिया और यूक्रेन उसके इस झांसे में आ गया और उसके झांसे में आने का नतीजा यह हुआ कि अमेरिका और नाटो ने यूक्रेन को अपनी सैनिक छावनी में परिवर्तित कर दिया यहां तक कि रूस की सीमा के पास अमेरिका के जासूसी ड्रोन उड़ने लगे और दूसरी सैन्य गतिविधियां होने लगीं और यह वह चीज़ है जिसे रूस ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा समझा। यहां इस बिन्दु का उल्लेख ज़रूरी है और वह यह है कि अगर कोई देश किसी भी देश की सीमा पर सैन्य गतिविधियां करने लगे और अपने जासूसी व गैर जासूसी ड्रोन उड़ाने लगे तो जिस देश की सीमा पर यह गतिविधियां होंगी वह वही समझेगा जो रूस ने समझा। कहने का तात्पर्य है कि यूक्रेन युद्ध की आग अमेरिका ने लगाई है और यूक्रेन के लिए हथियारों की खेप भेजकर आग में घी डालने का काम कर रहा है।

यही नहीं दूसरे पश्चिमी व यूरोपीय देश भी अमेरिका की हां में हां मिला रहे हैं और वे भी यूक्रेन की सैन्य सहायता कर रहे हैं, कोई देश ड्रोन भेज कर यूक्रेन की मदद कर रहा है, कोई यूक्रेन के लिए टैंक भेज रहा है तो कोई मिसाइल भेज रहा है। जो देश यूक्रेन की सैन्य सहायता कर रहे हैं इससे वे दो लक्ष्यों को साध रहे हैं सबसे पहले वे अमेरिका की सेवा कर रहे हैं और वाशिंग्टन की खुशी को अपना सबसे बड़ा लक्ष्य समझ रहे हैं।

इसी प्रकार वे यूक्रेन की मदद करके यह संदेश देना चाहते हैं कि वे यूक्रेन के हितैषी व शुभचिंतक हैं जबकि अगर वास्तव में अमेरिका और उसकी हां में हां मिलाने वाले देश यूक्रेन के शुभ चिंतक होते तो जल्द से जल्द वार्ता और शांतिपूर्ण मार्गों से यूक्रेन संकट के समाधान की बात करते न कि आग में घी में डालते परंतु अमेरिका और उसके पिछलग्गू देशों ने यूक्रेन की सैन्य सहायता करके व्यवहारिक रूप से यह सिद्ध कर दिया है कि वे न केवल यूक्रेन के शुभ चिंतक नहीं हैं बल्कि उसकी बर्बादी की दिशा में काम कर रहे हैं और यूक्रेन में जो जानमाल की भारी तबाही हो रही है वह इन्हीं तथाकथित शुभचिंतक देशों के क्रिया कलापों का परिणाम है।