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यूक्रेन युद्ध के बाद विश्व के ऊर्जा बाज़ार पर पड़ने वाले इसके प्रभाव, इस साल जाड़े में यूरोप का होगा बुरा हाल : रिपोर्ट

एक अमरीकी पत्रिका का लिखना है कि अभी हमको इसका अनुमान नहीं है कि इस साल जाड़ों में यूरोप में क्या होने वाला है।

फाॅरच्यून पत्रिका ने यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न ऊर्जा संकट के बारे में अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अभी हम इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं कि आने वाले जाड़ों में यूरोप में कैसी परिस्थति बनने वाली है।

यूक्रेन युद्ध के बाद विश्व के ऊर्जा बाज़ार पर पड़ने वाले इसके प्रभाव की ओर संकेत करते हुए फारच्यून ने लिखा है कि इसके सबसे अधिक और स्पष्ट प्रभाव यूरोप पर पड़ रहे हैं। रूस द्वारा ईंधन की सप्लाई को सीमित करने के कारण इस वर्ष यूरोप में ऊर्जा की क़ीमत दोगुनी हो गई है। इसका बहुत बुरा असर यूरोप में ऊर्जा के उपभोगताओं पर पड़ रहा है।

पत्रिका के अनुसार इस समय तो यूरोप में ऊर्जा की स्थति और क़ीमत फिर भी सहन योग्य है किंतु जब जाड़े का मौसम आएगा और गैस की मांग तेज़ी से बढ़ेगी तो उस समय मांग की पूर्ति करने में बहुत कठिनाइयां आएंगी।

अमरीकी पत्रिका में आया है कि जाड़े का मौसम आने से पहले फ़्रांस, स्पेन और जर्मनी अपने गैस के भण्डारों को बढ़ा रहे हैं किंतु यह सब उसी समय तक है जबतक जाड़े का मौसम सामान्य रहेगा लेकिन अगर सर्दी बढ़ती है और इसके कारण गैस की मांग में वृद्धि होती है तो फिर उस समय आपूर्ति के लिए बहुत कठिनाइयां आएंगी।

उल्लेखनीय है कि यूक्रेन युद्ध के कारण अमरीकी और यूरोपीय अधिकारियों ने रूस के विरुद्ध कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। इन प्रतिबंधों के कुछ दुष्परिणाम अब यूरोपीय देशों में दिखाई देने लगे हैं।रूस पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों के बाद अब यूरोप ऊर्जा की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है जिसके बारे में उसने प्रतिबंध लगाते समय शायद सोचा भी नहीं था।