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रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट को चीनी हैकरों ने किया हैक-गृहमंत्रालय और लॉ मिनिस्ट्री की भी हुई ठप

नई दिल्ली:भारतीय सरकार में सबसे महत्वपूर्ण विभाग रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट शुक्रवार को हैक हुई और इसके बाद गृह और कानून मंत्रालय की वेबसाइटों को सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया. इन दोनों वेबसाइटों पर लिखा हुआ आ रहा है कि असुविधा के लिए खेद है. रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट के होम पेज पर चीनी भाषा में लिखावट देखी गई।

इस पूरे मामले पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट करके कहा है कि वेबसाइट हैक होने के बाद जरूरी कार्रवाई की जा रही है. वेबसाइट जल्द ही बहाल कर ली जाएगी. भविष्य में ऐसा दोबारा न हो, इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे.अधिकारियों ने बताया कि वेबसाइट पर चीनी अक्षर नजर आये जो इस बात का संकेत है कि चीनी हैकर उसमें शामिल हो सकते हैं. मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘मामले पर हमारी पैनी नजर है. राष्ट्रीय सूचना केंद्र उसे बहाल करने का प्रयास कर रहा है. यह केंद्र वेबसाइट का रखरखाव करता है.’ एक अन्य अधिकारी ने बताया कि चीनी हैकर इस वेबसाइट को बिगाड़ने में शामिल हो सकते हैं।

वहीं रक्षा मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट के हैक होने के बाद एहतियात के तौर पर गृह मंत्रालय की वेबसाइट को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया गया है. एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि गृह मंत्रालय की वेबसाइट को होस्ट करने वाला नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर वेबसाइट की सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत बनाने में जुटा है. इस वजह से वेबसाइट फिलहाल बंद हो गयी.गृह मंत्रालय की वेबसाइट को लॉगऑन करने पर संदेश आ रहा है, ‘आपने जिस सेवा के लिए अनुरोध किया है, वह अस्थायी तौर पर उपलब्ध नहीं है. असुविधा के लिए खेद है. यह जल्द ही उपलब्ध होगा.’’प्रवक्ता ने बताया कि एहतियात के तौर पर यह कदम उठाया गया है।

पिछले साल भारत सरकार के गृहमंत्रालय के वेबसाइट को हैक कर लिया गया था. जैसे ही हैक की जानकारी लगी नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर ने वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया. अभी हाल में अरुणाचल प्रदेश से एक ऐसी ही खबर आई थी जिसमें कहा गया था कि वहां के सरहदी इलाकों के मोबाइल चीनी नेटवर्क पकड़ रहे हैं. इससे राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे में पड़ने की आशंका जताई गई थी।

अरुणाचल के इलाके में चीनी मोबाइल नेटवर्क मिलने पर पीएलए पर नजर रखने वाले एक भारतीय अधिकारी ने कहा था कि इस इलाके में कनेक्टिविटी की समस्या है. यहां न मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी है न रोड कनेक्टिविटी. यहां तक कि अगर कोई भारतीय सैनिक घायल हो जाए तो उसे निकालना भी एक चुनौती बन जाता है क्योंकि यहां हमेशा जमीन धंसती रहती हैं. उन्होंने कहा कि उनके लिए असल चुनौती रोड, ब्रिज और इंटर वैली कनेक्टिविटी है न कि मिलिट्री औजार या सैनिकों की।

चीन ने अबतक उत्तर-पूर्वी बॉर्डर की तरफ काफी अच्छा खासा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर लिया है. तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र में चीन ने 14 एयरबेस, एक बड़ा रेल नेटवर्क और 58 हजार किलोमीटर लंबा रोड बनाया है. अपने इस सुविधा के चलते चीन अपनी 30-32 डिवीजनों, जिसमें 12 हजार ट्रूप्स हैं, को आसानी से वहां तैनात कर सकता है.ऐसे में जमीन का भूखा चीन अगर किसी तरह के नेटवर्क से भारतीय इलाके में छेड़छाड़ कर रहा हो तो आश्चर्य नहीं. लेकिन भारत इतने सालों से चीन से त्रस्त होते हुए भी अभी तक एक ठीक-ठाक ढांचा भी खड़ा नहीं कर पाया है. इस नेटवर्क में गड़बड़ी के मामले की गंभीरता को समझना जरूरी है।