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रमज़ान के पहले जुमा की नमाज़ हिन्दू संगठनों ने पढ़ने नही दी, इबादत से महरूम मुसलमानों का छलका दर्द,देखिए

हरियाणा के गुरुग्राम से शुरू हुए नमाज़ पढ़ने से रोकने का सिलसिला अब अन्य जगहों पर भी पहुँच गया है जहां मुसलमानों को इबादत करने से रोका जारहा है,जिसके कारण आपसी भाईचारा खत्म होरहा है,जिससे कई जगहों पर तनाव की स्थिति भी देखने को मिली है।

कल पूरी दुनिया के मुसलमानों ने रमज़ान उल मुबारक के पहले जुमें की नमाज़ को अदा किया है और पूरे देश की अमन ओ शाँति के लिये दुआएँ मांगी हैं लेकिन एक ऐसी जगह भी है जहां रमज़ान में जुमें की नमाज़ पढ़ने से रोका गया है।

घटना गुरुग्राम से तीस किलोमीटर पटौदी जाने के रास्ते में भोरा ककलान गांव की है, जहां करीब तीस हजार लोगों की आबादी निवास करती है। यहां एक राजमार्ग भी है जो गांव के बाजार को दो भागों में बांटता है। यहां सड़के हैं। पुराने घर हैं। लकड़ी के नक्काशीदार दरवाजे हैं। पास ही में एक पुराना डाकघर है।

डाकघर के बराबर में ही एक मजार है। यह वही मजार है जहां बीते शुक्रवार (18 मई, 2018) को तनावपूर्ण माहौल पैदा हो गया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार के दिन चार-पांच मुस्लिम मजार के समीप नमाज पढ़ने के लिए पहुंचे तो करीब 50 स्थानीय हिंदू युवाओं ने उन्हें कथित तौर पर धमकी दी और कहा कि मुस्लिम वहां नमाज ना पढ़ें। युवा घंटों तक वहां खड़े रहे और आखिर में मुस्लिम जुमे की नमाज नहीं पढ़ सके।

नाम ना छापने की शर्त पर घटनास्थल पर मौजूद एक सब्जीवाले ने बताया कि शुरू में पचास युवा मजार के पास पहुंचे, बाद में इनकी संख्या 200 के करीब पहुंच गई। तब दोपहर के करीब 12 बज रहे होंगे। माहौल बिगड़ता देख करीब 12:30 बजे पुलिस वहां पहुंची, लेकिन इसके बाद भी हमें नमाज नहीं पढ़ने दी गई। इस तरह रमजान के पहले जुमे के दिन हम नमाज नहीं पढ़ सके।

बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है जब गांव में मुस्लिमों को नमाज पढ़ने से रोका गया हो। इससे पहले भी गांव में इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी है। साल 2013 में गांव के हिंदुओं ने मुस्लिमों से कहा कि वह शुक्रवार की नमाज के लिए गांव के बाहर से किसी मौलवी या इमाम को ना बुलाएं। इसका परिणाम यह निकला की करीब एक साल तक गांव में मुस्लिम शुक्रवार यानी जुमे की नमाज नहीं पढ़ सके। हालांकि साल 2014 में नमाज फिर से शुरू की गई।

गुरुग्राम में एक सीमेंट की फैक्ट्री में काम कर रहे शख्स ने बताया कि गांव के हिंदुओं ने सीधे तौर पर उन्हें नमाज नहीं पढ़ने के लिए कहा, बल्कि कहा गया कि हम किसी और गांव से मौलवी या इमाम को नहीं बुला सकते हैं। इसका मतलब ये हुआ कि जुमा और रमजान में नमाज नहीं पढ़ सकते हैं। शख्स ने आगे बताया कि बाद में इस मामले को सुलझा लिया गया। और वह पिछले दो सालों से बिना किसी परेशानी की नमाज पढ़ रहे हैं।

लेकिन पिछले शुक्रवार को जब गुरुग्राम में भय के माहौल में जुमे की नमाज पढ़ी जा रही थी तब भोरा ककलान गांव में तनाव फिर से पैदा हो गया। गावं के हिंदुओं ने एक बार फिर बाहर से मौलवी ना बुलाने को लेकर आगाह किया है। इसका परिणाम यह निकला की बीते शुक्रवार को यहां तनाव भरा माहौल पैदा हो गया।

गांव के ही एक निवासी ने बताया, ‘हम अपनी धार्मिक आस्था की आजादी चाहते हैं। नमाज पढ़ने की आजादी चाहते हैं। हम इसके अलावा कुछ नहीं चाहते। हमारे बच्चे और हमारी पत्नियां हमारे लिए डरते हैं। अगर यहां का माहौल और भी बदतर हो जाता है तो हम गांव छोड़ देंगे और कहीं चले जाएंगे। इसके अलावा हमारे पास अन्य विकल्प क्या है?’