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रमज़ान से पहले रोहिंग्याई मुसलमानों की बस्ती में लगी आग ने सैकड़ों को कर दिया बेघर-कर रहे हैं मदद का इंतेज़ार

नई दिल्ली:पिछले साल म्यांमार में हुए मानव नरसंहार में अपनी जान बचाकर भाग निकले रोहिंग्याई मुसलमानों को अब सिर छुपाने के लिये बड़ी मेहनत और मशक़्क़त का सामना करना पड़ रहा है,क्योंकि हर एक देश मे कही न कही सरकार उन्हें भेदभाव की निगाह से देख रही है,भारत में इन लोगों को आये दिन हिंदूवादी संगठनों की तरफ से मिलने वाली धमकियों का सामना करना पड़ रहा है।

राजधानी दिल्ली में लगभग सात सालों से जुग्गी झोपड़ी डालकर बसेरा करने वाले रोहिंग्याई मुसलमानों की बस्ती में अचानक आग लग गई थी जिसमें कंचन कुंज शिविर में 40 लगभग झोपड़ियाँ जलकर राख होगई थी और 250 के करीब रोहिंग्याई शरणार्थी बेघर होगए थे,आग के समय पहुंच कर लोगों ने बड़े बड़े वादे किये थे लेकिन वो सब झूठे साबित हुए और इन गरीब लोगों की कोई मदद नही हुई है।

15 अप्रैल को लगी इस आग के एक दिन बाद दिल्ली सरकार ने यहां रहने वालों के लिए एक अस्थायी आश्रय बनाया था और ओखला से आप विधायक अमानतुल्ला खान ने प्रत्येक परिवार के लिए 25,000 रुपये का मुआवजा देने का वादा किया था। उस आश्रय को पांच दिनों के बाद हटा दिया गया था और सरकार से कोई मुआवजा नहीं मिला। हमें बताया गया था कि पांच दिन वह अवधि है जिसके लिए सरकार आपदाओं के दौरान ऐसी सहायता प्रदान करती है।

कबीर अहमद ने दावा किया कि अब यह लोग निकटवर्ती तम्बू में रह रहे हैं। इसके बारे में पूछे जाने पर खान ने आरोप लगाया कि अधिकारियों से आदेश के तहत आश्रय हटा दिया गया था और उसे इसके बारे में पता नहीं था। मुआवजा नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने 16 अप्रैल को साइट पर जाने के बाद फाइलें डिवीजनल आयुक्त को भेजी थीं।

डिफेंस कॉलोनी एसडीएम नीरज अग्रवाल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मुआवजे के लिए फाइल दिल्ली सरकार को भेजी गई है। हम इस मामले में और भी कुछ किये जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। फिलहाल पीले और हरे रंग के टैरपॉलिन टेंट विस्थापित परिवारों का घर है। जकात फाउंडेशन भी मदद के लिए सामने आया है।

जकात फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे घरों का पुनर्निर्माण धीमी गति से चल रहा प्रतीत होता है। शिविर में एक जिम्मेदार अब्दुल करीम ने कहा, “कुछ दिन पहले प्रभारी इंजीनियर ने मुझे बताया कि काम दो महीने में खत्म होना चाहिए, लेकिन यह असंभव दिखता है।

शनिवार को, स्थानीय निवासियों ने तंबू के पास दो अस्थायी शौचालय भी बनाए। निवासियों ने कहा, उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। निवासियों ने यह भी दावा किया कि दिल्ली सरकार द्वारा रोजाना भेजा जाने वाला एक पानी टैंकर पिछले तीन दिनों से नहीं आया था, जिससे उन्हें नल के पानी का उपभोग करने के लिए मजबूर किया गया था।

दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष दिनेश मोहनिया ने कहा, “यह एक खुली सुविधा है। अगर आपूर्ति नहीं आ रही है, तो स्थानीय वितरण इकाई में कुछ समस्या होगी। मैं उन्हें बुलाऊंगा और स्थिति को सुधार दूंगा।