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राजसमंद जिले से कांकरोली में दिव्य सत्संग समारोह : राजिस्थान से धर्मेंद्र सोनी की रिपोर्ट

कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा राजस्थान रिपोर्टर धर्मेन्द्र सोनी

खबर राजस्थान के राजसमंद जिले से कांकरोली में दिव्य सत्संग समारोह ।

कांकरोली राजसमंद में 14 दिसंबर बुधवार से 16 दिसंबर शुक्रवार शाम 6:30 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक शीतला माता गार्डन पानी की टंकी के पास हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में तीन दिवसीय आध्यात्मिक प्रवचन एवं भजन सकीर्तन का आयोजन रहा जिसमें दिव्य ज्योति जागृति संस्थान से सर्व श्री आशुतोष जी महाराज की शिष्या विदुषी चिन्मया भारती ने कहा कि आज व्यक्ति केवल संसार से संबंध बनाता है जबकि संबंध तो ईश्वर से बनाने चाहिए जिससे सुख की प्राप्ति हो ।अंत काल में जो प्रभु का स्मरण करते हुए प्राण त्यागता है उसे नारायण की हि प्राप्ति होती है अतः जीतेजि नारायण का ही स्मरण करते रहना चाहिए । प्रभु भजन तथा फिल्मी गानों में अंतर को बताते हुए कहा कि फिल्मी गाने व्यक्ति में नकारात्मकता, डिप्रेशन तथा विकारों की ओर ले जाता है अपितु भजन सत्संग व्यक्ति को सकारात्मकता ,दिव्यता तथा आनंद की ओर ले जाता है ।

जब प्रभु की कृपा रूपी बरसात होती है ईश्वर द्वारा कृपा रूपी बूंदों को वही प्राप्त कर सकता है जो मन को एकाग्रता के साथ ईश्वर में लगाता है। विदुषी पुरंदरी भारती ने सत्संग के माध्यम से बताया कि यह जीवन परमात्मा की विशेष कृपा से मिला है मनुष्य ही एक ऐसी योनी है जिसमें ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है अतः मनुष्य को जीतेजी आत्मकल्याण का प्रयास करते रहना चाहिए।

आज मनुष्य सुख व शांति की प्राप्ति के लिए भटक रहा है किंतु वास्तविक सुख प्राप्त नहीं हो रहा ,महापुरुषों ने कहा हे कि वास्तविक सुख व आनंद प्राप्त करना हो तो राम की शरण में जाना होगा जो शक्ति हमारे रोम-रोम में रमण कर रही है । जहां स्वार्थ है जहां संसार को पाने की चाह है वहां कभी भक्ति फलीभूत नहीं होती इंसान को भगवान से क्या मांगना है इसकी समझ नहीं होती और वह भगवान से संसार को मांग बैठता है जबकि मनुष्य को भगवान से भगवान को मांगना चाहिए, नासमझी के कारण इंसान दुखी है किसी संत के सानिध्य में रहकर मनुष्य भगवान को पाने की चाह रखेगा तो सुख आनंद संसार बिन मांगे ही मिल जाता है ।

साध्वी ने कहा कि आज प्रत्येक मनुष्य ईश्वर को केवल मानता है केवल मानने मात्र से ईश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है ईश्वर प्राप्ति हेतु किसी परम तत्व वेत तॉ सद्गुरु के सानिध्य से ईश्वर को जानना भी होगा, शास्त्रों तथा वेदों में कहा गया है कि भगवान को देखा जा सकता है जब हमारे को सद्गुरु का आशीर्वाद प्राप्त होता है वे हमारे अंतर्मन में ही भगवान का दर्शन करा देते है। तीन दिवसीय आयोजन में विभिन्न भजनों पर श्रोताओं ने तालियों की संगत के साथ झूमते हुए आनंद लिया। तबले पर संगत गुरु भाई ओमप्रकाश जेठवा ने की अंत में आरती प्रसाद के साथ सत्संग समारोह को विराम दिया गया।