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राजस्थान के सिरोही ज़िले में ऐसा मंदिर जहां भगवान रघुनाथ की पुजा करने आते है हनुमान : धर्मेन्द्र सोनी की क़लम से

धर्मेन्द्र सोनी
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कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा राजस्थान रिपोर्टर धर्मेन्द्र सोनी की क़लम से

राजस्थान के सिरोही जिले में एक एंसा मंदिर जहां, ज़हां भगवान रघुनाथ की पुजा करने आते है राम भक्त हनुमान, इस पवित्र स्थल पर कल्प वृक्ष से होता है चमत्कार, मंदिर परिसर में हे अती प्राचीन हनुमान, विज्ञान चाहें कितने भी जतन करले अणु शक्ति से लेकर परमाणु शक्ति की क्षमता भले ही हासिल करले लेकिन ईश्वरीय शक्ति के आगे विज्ञान को नत मस्तक होना ही पड़ता है चुकी मां के गर्भ से जन्म लेने वाले बिना विद्या अध्ययन के वेज्ञ्यानिक नहीं बनते आखीर शिक्षा के मंदिर पर सिखने जाना ही पड़ता है,जब विज्ञान विवस होता है तो हमें ईश्वरीय शक्ति का एक एंसा संचार हमें अनुभव करता है,जीसे हम चमत्कार भी कहते हैं, हमारे वैदो पुराणों में भी देवी देवताओं की शक्ति का उल्लेख पढ़ने को मिलता हे ज़हां श्रद्धा भक्ति ओर आस्था का संचार होता है जब भजनों व सत्संग में इंसान बेठा होता हे तो हमें ईश्वरीय शक्ति व भक्ति का अलग ही अनुभव होता है,थके पेर हो या उम्र का अंतिम पड़ाव या फीर जंजीरों में क्यों ना जकड़ा होना भजन व सत्संग हमे झुमने नाचने को आखीर मजबूर कर ही देता है और एक अलग ही मन को सकुन मीलता हे इसे ही परमात्मा का चमत्कार भी कंहा जाता है,हमारे देश में अनेकों शक्ती पिठ व देवी देवताओं के मठ्ठ मंदिर है जो चमत्कारो से ओतप्रोत है,आज हम हमारे सहयोगी कलाकार पत्रकार भवानीसिंह सोलंकी के साथ एक ऐसे मंदिर पर कलम से पाठकों को रु बरु करवाने का प्रयास कर रहे हैं आज हम एक ऐसे मंदिर की सत्यता को बता रहें है ज़हां श्रद्धा भक्ति ओर आस्था व चमत्कार से ओतप्रोत है यह मंदिर राजस्थान के सिरोही जिला मुख्यालय से महज 12किलो मिटर दुरी पर नयासानवाडा गांव में स्थित है यंहा भगवान रघुनाथ जी की पुजा अर्चना करने आते हे राम भक्त हनुमान, एसी किदवंती हे की यह मंदिर अपने आप में श्रद्धा भक्ति आस्था विश्वास व चमत्कार से ओतप्रोत है (जाने सहयोगी क़लम कार भवानी सिंह से इस मंदिर की विशेषता यह हे कीएक ऐसा मंदिर जहां रघुनाथ की पूजा करने आते है हनुमान


-मंदिर परिसर में कल्पवृक्ष का होता है चमत्कार
– मुगल साम्राज्य के दौरान महाराणा कुम्भा ने की आश्रम की रक्षा

पिण्डवाड़ा। जिला मुख्यालय से मात्र करीबन 12 किलोमीटर पर नयासानवाड़ा गांव में स्थित रघुनाथ मंदिर (बाबावेरा) के चमत्कारों की चर्चा पूरे राजस्थान में हो रही है। त्रेतायुग से अति प्राचीन रघुनाथ मंदिर चमत्कारों से भरा हुआ है। रघुनाथ के दर्शन करने आए श्रद्धालु खुद चमत्कारों की बखान करते दिखते है। रात को मंदिर परिसर में आते है हनुमान करते रघुनाथ की पूजा और मधुर गीत के साथ बोलते है सीता राम.. सीता राम.., मंदिर मंहत गणेशदास महाराज बताते है की हर रात सुबह 4 बजे सीता राम सीता राम के गुनगान करने की आवाजे आती है। वही रघुनाथ मंदिर के आगे पुष्प चढ़े मिलते है।

मंदिर में होते है चमत्कार

मंदिर परिसर में अति प्राचीन हनुमान जी की मुर्ति के दर्शन करने सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। मंदिर परिसर में दो भगवान शिव के मंदिर है, मंदिर मंहत गणेशदास महाराज ने बताया मंदिर में दो भगवान शिव के मंदिर बने हुए है, लेकिन एक मंदिर में दो शिवलिंग विराजमान है उनकी पूजा करने से मनुष्य को मोक्ष प्राप्त होता है। वही दूसरे मंदिर में विराजमान भगवान शिव की पूजा करने से मनुष्य जीवन की सारी मनोकामनाऐं पूर्ण होती है।

चमत्कारी पत्थर के चमत्कार

मंदिर में एक विशाल चमत्कारी पत्थर है उस पत्थर की 7 बार परिक्रमा करने से गंभीर बीमार से निजात मिलती है। दूर दूर से श्रद्धालु रघुनाथ मंदिर के दर्शन करने आते है। वही चमत्कारी पत्थर की परिक्रमा करते है। वही मंदिर में एक कुआ स्थित है जो मीठे जल से भरा हुआ है। इस जल सेवन करने से गंभीर रोग से मुक्ति मिलती है। दर्शन के लिए आए श्रद्धालु ने बताया वो गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो गया था। जब उसको मंदिर की जानकारी मिली तो वो 15 दिन पहले रघुनाथ मंदिर में अर्जी लगाने आ गया और चमत्कारी पत्थर की परिक्रमा के बाद उसकी बीमारी में सुधार होने के बाद वो पुन: रघुनाथ मंदिर में अर्जी लगाने आए।

पेड़ के नीचे बैठकर श्रद्धालुओं की इच्छा पूर्ण होती
मंदिर परिसर में कल्पवृक्ष का पेड़ भी लगा हुआ है। इस पेड़ के नीचे बैठकर श्रद्धालुओं की इच्छा पूर्ण होती है। दूर-दूर राज्यों से श्रद्धालु इस मंदिर में पहुंच रहे है। वेद और पुराणों में कल्पवृक्ष का उल्लेख मिलता है। कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक विशेष वृक्ष है। पौराणिक धर्मग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है, वह पूर्ण हो जाती है, क्योंकि इस वृक्ष में अपार सकारात्मक ऊर्जा होती है। पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के 14 रत्नों में से एक कल्पवृक्ष की भी उत्पत्ति हुई थी।

महाराणा कुम्भा ने इस आश्रम की रक्षा की
लम्बे समय से इस रघुनाथ मंदिर पर ऋषि मुनियों का आश्रम रहा है। मंदिर मंहत गणेशदास ने बताया त्रेतायुग से इस स्थान पर ऋषि मुनियों ने तप किया है। इस तप से यह भूमि पवित्र हो गई है। त्रेतायुग में यह स्थान मार्कंडेय आश्रम के नाम से जाना जाता था। लंका में श्रीराम ने रावण का वध करके अयोध्या लौटने के बाद में ऋषि मुनियों ने इस आश्रम में रघुनाथ जी की मूर्ति स्थापित की थी। मुगल साम्राज्य के दौरान महाराणा कुम्भा ने इस आश्रम की रक्षा की थी। ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान सिरोही महाराजा द्वारा मंदिर का जीर्णाेद्धार किया गया। उस दौरान मंदिर मंहत श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मीदास महाराज (तपसी महाराज) थे। आजादी से पहले श्री लक्ष्मीदास महाराज देवलोक गमन हो गए। उनके बाद श्री श्री 1008 सीताराम महाराज, मंहत श्री श्री 1008 महेन्द्र ब्रहमचारी, श्री श्री 1008 मंहत गोपाल दास महाराज ने मंदिर की जिम्मेदारियां संभाली उनके देवलोक गमन के बाद वर्तमान में मंहत गणेशदास महाराज पूरे मंदिर कमान संभाले हुए है।