देश

राजस्थान में कुर्सी की शह-मात का अजीबो-गरीब खेल, कौन होगा पास कौन होगा फ़ेल : धर्मेन्द्र सोनी की क़लम से

(राजस्थान में कुर्सी की सह मात का अजिबो गरीब खेल, कौन होगा पास कौन होगा फेल

मुछो की लड़ाई में,गहलोत पर राहुल का तंज ,कहीं जादुगर गहलोत को लड़ना न पड़े जंग!

 इन दिनों राजस्थान में अशोक गहलोत व कांग्रेस से सुप्रिमो राहुल गांधी के तंज के समाचारों से जयपुर से दिल्ली तक के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों चर्चाओं का बाजार गर्म दिखाई पड़ता नजर आ रहा है, अशोक गहलोत मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ना नहीं चाहते हैं!गहलोत इस कुर्सी के लिए सोनिया गांधी तक पंहुचे राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद तक को तीलाजंली भी दे चुके वहीं राहुल गांधी अपनी बुढ़ी कांग्रेस में जान फुंकने के लिए भारत जोडो यात्रा भी निकाल रहें हैं इस यात्रा में सोनिया गांधी सहित कांग्रेसी नेता भी पद यात्रा में शरीक हो अपनी वफादारी की हाजरी देने में कोई चुक नहीं छोड़ रहे हैं,इधर राजस्थान में कांग्रेस दो भागों में बटने के कगार पर है! मुख्यमंत्री की कुर्सी अब गहलोत व पायलेट के बिच लुका छिपी के खेल की तरह हो चलीं है! गहलोत ने संकट के समय कांग्रेस पार्टी व निर्दलीय विधायकों को एकजुट कर सत्ता के अखाड़े में जादुई छड़ी घुमाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी तो बचाली, वहीं पायलेट गुट को निराशा ही हाथ लगी,पायलेट के मुख्यमंत्री का ख्वाब तो ख्वाब बन कर ही रह गया,इधर गहलोत के पक्ष में आलाकमान को गहलोत ने इशारों-इशारों में जता भी दिया की गहलोत ही राजस्थान में कांग्रेस की नय्या पार लगा सकते हैं! इसलिेए गहलोत के समर्थन में विधायकों ने अपने इस्तीफे तक का नाटक कर आलाकमान को सक्ते में डाल दिया, आलाकमान को उगलते निगलते की स्थिति में ला खड़ा किया है,इतना ही नहीं गहलोत ने उद्योग पती अडानी अंबानी व शाह को लेकर सोनिया गांधी राहुल गांधी को इशारों इशारों मे यह एहसास दिला दिया की आलाकमान भले ही अडानी अंबानी शाह के खिलाफ कितना भी जहर उगले पर गहलोत की इस चतुराई ने राहुल को सोचने समझने पर मजबुर करदिया है यदी आलाकमान ने मुच्छो की लड़ाई पर विराम नहीं लगाया तो राजस्थान में राजनीति अखाड़े की लड़ाई में कांग्रेस का नुक़सान होना स्वाभाविक है!,गहलोत पाललेट मे से कौन मुख्यमंत्री होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है!देखना यह होगा की राजनीति का उंट किस करवट बैठेगा यह तो वक्त ही बताएगा ! कहीं अगले साल होने वाले चुनाव के लिए जनता का ध्यान बाटने के लिए कोई राजनीतिक नोटंकी का खेल तो नहीं ?
Write to धर्मेन्द्र सोनी