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राजस्थान में 18 हज़ार खानों में खनन बंद होने से दो लाख मज़दूरों के सामने रोज़ी रोटी का संकट

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जयपुर। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दो साल पूरे होने के उपलक्ष में जहाँ सरकार का कहना है अच्छे दिनों की शुरुआत हो गई है इसलिए ज़रा मुस्कुरा दो वहीँ राजस्थान में दो लाख मजदूरों के बेरोज़गार होने से उनके सामने रोज़ी रोटी का संकट पैदा हो गया है ।

पर्यावरण विभाग के स्वीकृति न होने के चलते राजस्थान माइनर मिनरल की 18 हजार खानों में काम बंद हो गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 31 मई तक इन खानों को पर्यावरण स्वीकृति लेने के आदेश दिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और 1 जून से इनमें कामकाज बंद हो गया।

अब सरकार ने इन खानों को चालू कराने के लिए ट्रिब्यूनल में अपील की है और राजस्थान सरकार के दो मंत्रियों को दिल्ली भेजा गया है, ताकि इनकी पर्यावरण स्वीकृति जल्द जारी हो सके।

राजस्थान में खनन बड़ा उद्योग है और हर साल हजारों करोड़ रूपए खनन की रॉयल्टी के रूप में आते है। इन खानों के पास पर्यावरण स्वीकृति नहीं होने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गहरी आपत्ति की थी और 31 मई तक सभी को पर्यावरण स्वीकृति लेने के आदेश दिए थे।

पर्यावरण स्वीकृति केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय जारी करता है और इसकी प्रक्रिया लम्बी है। ऐसे में ज्यादातर खानों को पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल पाई और ट्रिब्यूनल के आदेष के अनुसार ये खानें बुधवार से बंद हो गई।

खानें बंद होने से न सिर्फ राजस्व का नुकसान हो रहा है बल्कि दो लाख मजदूरों की रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है। राजस्थान सरकार ने अपने दो मंत्रियों को केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर से मिलने के लिए भेजा है ताकि पर्यावरण स्वीकृति की प्रक्रिया तेज हो सके। इसके साथ ही ट्रिब्यूजन में भी अपील की गई है, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।