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रामनवमी के दौरान विभिन्न राज्यों में हुई हिंसा की घटनाओं को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाए!

तृणमूल कांग्रेस ने विभिन्न राज्यों में रामनवमी के दौरान हुई हिंसा की घटनाओं को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाए। टीएमसी ने आरोप लगाते हुए कहा कि गृहमंत्री अमित शाह इस मामले में दोहरा मानदंड अपना रहे हैं। दरअसल, पिछले सप्ताह देश भर में राम नवमी के मौके पर जुलूस और शोभायात्रा के दौरान कई राज्यों में हिंसक झड़पों और आगजनी की घटनाएं हुईं थी। इसमें पश्चिम बंगाल के हुगली और हावड़ा जिले भी शामिल थे।

तृणमूल कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए हमला बोला। उन्होंने कहा कि अमित शाह ने रामनवमी हिंसा को संबोधित करते हुए डबल स्टैंडर्ड दिखाया है। विपक्ष शासित राज्य पश्चिम बंगाल और बिहार के अलावा भाजपा और उसकी पार्टियों द्वारा शासित राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और यूपी में हुई हिंसा के मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की गई।

अमित शाह ने क्या कहा था?
अमित शाह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बंगाल के उनके समकक्ष ममता बनर्जी पर रामनवमी के जुलूस के दौरान हुए हिंसा पर तीखी प्रतिक्रिया व्यकत की थी। उन्होंने कहा था कि अगर भाजपा बिहार में सत्ता में आती है, तो दंगाइयों को उल्टा लटका दिया जाएगा। इस पर ही टीएमसी के वरिष्ठ नेता कुणाल घोष ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अमित शाह ने रामनवमी की झड़पों को लेकर बिहार सरकार की खिंचाई की थी। फिर वह पश्चिम बंगाल में रामनवमी के दंगों में अपनी पार्टी के नेताओं के शामिल होने पर चुप क्यों थे? यह केवल भाजपा के दोहरे मापदंड को साबित कर रहे हैं।

भाजपा ने टीएमसी के आरोपों पर किया पलटवार
भाजपा ने टीएमसी के इन आरोपो को निराधार बताया है। भाजपा नेता दिलीप घोष ने कहा कि टीएमसी द्वारा लगाए गए पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण के आरोप निराधार हैं। टीएमसी प्रशासन रामनवमी के जुलूसों के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल रही। केंद्रीय बलों द्वारा कल राज्य में शांतिपूर्ण हनुमान जयंती समारोह सुनिश्चित करने के बाद इसकी अक्षमता खुलकर सामने आ गई है। इसलिए, अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए इस तरह के आधारहीन आरोप लगा रही है।

गौरतलब है कि सुरक्षा बलों की कड़ी निगरानी के दौरान गुरुवार को पश्चिम बंगाल में शांतिपूर्ण ढंग से हनुमान जयंती मनाया गया। कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, इस अवसर पर कानून और व्यवस्था बनाए रखने में राज्य पुलिस की सहायता के लिए कोलकाता, हुगली और बैरकपुर के कुछ हिस्सों में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को तैनात किया गया था।