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रामवृक्ष मामले में नया मोड़: वकील ने कहा पुलिस द्वारा बताया जा रहा शव रामवृक्ष का नहीं

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मथुरा । मथुरा में ज़मीन पर कब्ज़े के मामले में हुई हिंसा के पीछे मास्टरमाइंड माने जा रहे रामवृक्ष के मामले में नया मोड़ आगया है । पुलिस का दावा है कि गोलीबारी में रामवृक्ष मारा गया तथा उसके परिजनों ने उसका शव लेने से इंकार कर दिया वहीँ रामवृक्ष के वकील का कहना है कि पुलिस जिस शव को रामवृक्ष का शव कह रही है वह रामवृक्ष नहीं है ।

पुलिस इस मामले में अपने निर्णय पर कायम है । उसका कहना है कि चूंकि रामवृक्ष के परिजन ने यहां आकर शव को पहचानने से इनकार कर दिया था, इसलिए शव की पहचान के लिए उसके मित्र एवं कथित सत्याग्रह आंदोलन के उस साथी हरिनाथ सिंह को उसकी मृत अवस्था की तस्वीर दिखाई गई थी, जो झगड़े एवं मारपीट के मामले में पिछले महीने से जिला कारागार में बंद है ।

रामवृक्ष यादव की ओर से न्यायालय में एक याचिका दाखिल करने वाले मथुरा के वकील तरणी कुमार गौतम ने दावा किया है कि जवाहर बाग हिंसा के दौरान जिस शव की पहचान रामवृक्ष यादव के रूप में कराई गई है, वह सही नहीं है ।

उन्होंने पुलिस की शिनाख्त कार्यवाही पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि चूंकि वे उसकी ओर से वकील रहे हैं, इसलिए पुलिस को शिनाख्त के लिए उन्हें बुलाया जाना चाहिए था या फिर दिल्ली में रह रही उसकी बेटी को शिनाख्त का मौका दिया जाना चाहिए था ।

गौतम ने कहा कि चूंकि पुलिस ने ऐसा नहीं किया है इसलिए उन्हें संदेह है कि उक्त शव निश्चित रूप से रामवृक्ष यादव का न होकर, किसी अन्य व्यक्ति का रहा होगा ।

पुलिस के अनुसार अहतियात के तौर पर सभी अज्ञात मृतकों के डीएनए सैंपल सुरक्षित रख लिए गए हैं । इसलिए यदि कोई दावेदार बाद में आता भी है तो उसके सैंपल से मैच कराकर स्थिति स्पष्ट की जा सकती है।

गौरतलब है कि मथुरा में जवाहर बाग़ की ज़मीन खाली कराने को लेकर शुरू हुई हिंसा में दो पुलिस अफसर शहीद हुए थे तथा कई पुलिस कर्मी घायल हो गए थे । इस दौरान पुलिस और कब्ज़ा धारकों के बीच हुई गोलीबारी में रामवृक्ष सहित करीब 24 लोग मारे गए थे ।