साहित्य

रावण लौटा! क्यों राम नहीं–?…By-सीताराम “पथिक”


Sitaram Pathik

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☀️रावण लौटा! क्यों राम नहीं–?💥
दुनिया में जब रावण लौटा, तो क्यों राम नहीं लौटे?
कंस लौट आया जब तब, क्यों घनश्याम नहीं लौटे?
कुछ न कुछ तो कमी है यारों अपनी अर्जी में,
सोचो क्यों नाराज, विधाता बाम नहीं लौटे।
जंगलराज मचा है कोई नहीं सुरक्षित है,
सुबह से निकला है जो घर से, शाम नहीं लौटे।
ताना-बाना बिखर चुका है स्वर्णिम संस्कृति का,
संज्ञाओं के गिरे हुए सब दाम नहीं लौटे।
पलथी मार कर जो बैठा है सुख की छाया में,
वह चाहे जीवन में दुख का घाम नहीं लौटे।
बंधुआ मजदूरों से जाकर दर्द कभी पूछो,
साहूकार का चले अगर बस, चाम नहीं लौटे।
आजादी का गलत फायदा उठा रहे हैं सब,
चाह रहे हैं बस, गोरे, सद्दाम नहीं लौटे।
आसमान तो मिला जगत में सब को ख्वाबों का,
केवल स्त्री सपनों के आयाम नहीं लौटे।
जो भविष्य में आशा रखते अपने बच्चों से,
वृद्ध पिता का वे कभी, जीवन थाम नहीं लौटे।
दुआ मांगती एक बूढ़ी मां वृद्धा आश्रम में,
दुर्दिन लौटे पर, बच्चों के नाम नहीं लौटे।
अभी प्रार्थना में अपने वह करुणा नहीं भरी,
दीनबंधु इस कारण कर विश्राम नहीं लौटे।
दुनिया में जब रावण लौटा, तब क्यों राम नहीं लौटे?
कंस लौट आया जब, तब क्यों घनश्याम नहीं लौटे?
-सीताराम “पथिक”
मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित!