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रिटायर जज ‘भारत विरोधी गैंग का हिस्सा’ हैं की टिप्पणी वापस लेने की मांग, क़ानून मंत्री को 300 से अधिक वकीलों ने लिखा खुला ख़त!

भारत के 300 से अधिक वकीलों ने एक खुला पत्र लिखकर केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू से उनकी वह टिप्पणी वापस लेने की मांग की जिसमें उन्होंने कहा था कि कुछ रिटायर जज ‘भारत विरोधी गैंग का हिस्सा’ हैं।

पत्र में लिखा गया है कि क़ानून के शासन को बनाए रखने के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले लोगों के खिलाफ़ राष्ट्रवाद-विरोधी होने के आरोप और उनके ख़िलाफ़ प्रतिशोध की खुली धमकी हमारे महान राष्ट्र के सार्वजनिक संवाद में एक नया निम्न स्तर है।

ज्ञात रहे कि 18 मार्च को रिजिजू ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कहा था कि ‘तीन या चार’ रिटायर जज ‘भारत-विरोधी’ गिरोह का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा था कि जिसने भी देश के खिलाफ काम किया है, उसे क़ीमत चुकानी होगी।

उन्होंने एक सेमिनार के बारे में यह बात की थी जिसमें जजों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भाग लिया था। उन्होंने कहा था कि सेमिनार का विषय ‘न्यायाधीशों की नियुक्ति में जवाबदेही’ था, लेकिन चर्चा पूरे दिन यह हुई कि कैसे सरकार भारतीय न्यायपालिका पर कब्जा कर रही है.’

वकीलों द्वारा लिखे गए पत्र में आया है कि हम श्री रिजिजू को यह याद दिलाने के लिए मजबूर हैं कि संसद सदस्य के रूप में उन्होंने भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा बनाए रखने की शपथ ली है, और क़ानून और न्याय मंत्री के रूप में न्याय प्रणाली, न्यायपालिका और न्यायाधीश- पूर्व और वर्तमान दोनों- की रक्षा करना उनका कर्तव्य है. यह उनके काम का हिस्सा नहीं है कि वे उन कुछ रिटायर जजों को चुन लें जिनकी राय से वह असहमत हो सकते हैं और उनके खिलाफ कानून प्रवर्तक एजेंसियों द्वारा कार्रवाई की सार्वजनिक धमकी दें।

पत्र में आगे कहा गया है, ‘उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इन रिटायर जजों को स्पष्ट रूप से धमकी दी कि ‘कोई भी नहीं बचेगा’ और ‘जो देश के खिलाफ काम करेंगे, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी, रिटायर जजों को धमकी देकर कानून मंत्री स्पष्ट रूप से प्रत्येक नागरिक को संदेश दे रहे हैं कि विरोध की किसी भी आवाज को बख्शा नहीं जाएगा।