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रूस के राष्ट्रपति ने नया आदेश जारी कर दिया, जिसके अंतर्गत….रिपोर्ट!

रूसी राष्ट्रपति ने नया आदेश जारी कर दिया है जिसके अंतर्गत उन देशों व व्यक्तियों को न तो गैस दी जायेगी और न ही तेल और तेल से बनने वाली वस्तुएं दी जायेंगी जिन्होंने रूसी ऊर्जा के लिए कीमत निर्धारित की है।

इससे पहले रूसी प्रधानमंत्री के सहायक एलेक्ज़न्डर नोआक ने एलान किया था कि मास्को उन देशों को तेल नहीं बेचेगा जिन्होंने बाज़ार में तेल का मूल्य कम पर रोक रखा है।

मास्को ने बल देकर कहा है कि तेल की कीमत का कम रखना इस बात का कारण बनेगा कि बाज़ार में रूस अपना तेल कम पेश करेगा। यूरोपीय संघ, G-7 और आस्ट्रेलिया ने रूसी तेल की कीमत प्रति बैरेल 60 डालर निर्धारित कर रखा है जो 5 दिसबंर से जारी है। इसी प्रकार यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, जापान और अमेरिका ने समुद्र के माध्यम से रूसी तेल पर प्रतिबंध लगा रखा है।

रूस ने जिन देशों को तेल और गैस न देने का फैसला किया है वास्तव में ये वे देश हैं जिन्होंने अमेरिका की अगुवाई में मास्को के खिलाफ कड़ा प्रतिबंध लगा रखा है और मास्को ने अपना ताज़ा फैसला प्रतिक्रिया स्वरूप लिया है।

पश्चिमी देशों विशेषकर यूरोप ने यह सोचा था कि उनके प्रतिबंधों से रूस को भारी आघात पहुंचेगा परंतु इस समय जो हालात हैं उससे यह प्रतीत हो रहा है कि यूरोपीय देशों ने अमेरिका की हां में हां मिलाकर बहुत बड़ी ग़लती की है और रूसी गैस न मिल पाने के कारण यूरोपीय देशों के लोगों को भारी समस्याओं और कड़ाके की ठंडक का सामना है। रोचक बात यह है कि अमेरिका अपनी गैस यूरोप को भारी कीमत पर बेच रहा है और यूरोपीय भारी कीमत पर अमेरिकी गैस खरीदने पर मजबूर हैं।

बहुत से जानकार हल्कों का मानना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से जहां दोनों देशों को भारी नुकसान हो रहा है वहीं अमेरिका इस युद्ध से भारी मुनाफा कमा रहा है। पश्चिमी देश विशेषकर अमेरिका यूक्रेन को मदद के बहाने हथियारों पर हथियारों की खेप भेज रहा है। दूसरे शब्दों में वह अरबों डालर का हथियार यूक्रेन को बेच चुका है और न जाने अभी कितने अरब डालर का हथियार यूक्रेन को बेचेगा।

इसी प्रकार जानकार हल्कों का कहना है कि अमेरिका जो यूक्रेन युद्ध को लंबा खींचना चाहता है तो उसकी एक वजह यही है ताकि ज्यादा से ज्यादा हथियारों की बिक्री हो सके। अमेरिका जो रूस-यूक्रेन युद्ध को लंबा खींचना चाह रहा है तो उसकी एक वजह यह है कि वह इस युद्ध के बहाने रूस को कमज़ोर करना चाहता है ताकि दुनिया में अपना वर्चस्व जमाने में उसे और आसानी हो। दूसरे शब्दों में अमेरिका अपने सबसे बड़े प्रतिस्पर्धी रूस को कमज़ोर करके उसे साइड पर लगाने की चेष्टा में है।

इसी प्रकार बहुत से जानकार हल्कों का मानना है कि रूस- यूक्रेन जंग की आग भी अमेरिका और नाटो ने जलाई है और यूक्रेन, अमेरिका और उसकी हां में हां मिलाने वाले देशों की नीति का भेंट चढ़ा है।