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रूस ने ईरान से 1,000 ड्रोन का ऑर्डर दिया : दुनिया ने माना ईरानी ड्रोन विमानों का लोहा, इस्राईल और अमरीकी ड्रोन विमानों से ज़्यादा प्रभावशाली हैं : रिपोर्ट

पश्चिमी मीडिया का दावा है कि यूक्रेन-रूस युद्ध में यूक्रेन की ओर से मिल रही कड़ी टक्कर और रूसी सेना के क़ब्ज़े से कई इलाक़ों के निकल जाने के बाद, रूस ने ईरान से सैकड़ों ड्रोन विमान ख़रीदे हैं और अन्य 1,000 ड्रोन का ऑर्डर दिया है।

हालांकि मॉस्को और तेहरान ने ऐसे किसी भी समझौते से इंकार किया है और इस तरह की रिपोर्टों को निराधार बताया है।

हालांकि ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने ईरानी ड्रोन विमानों को लेकर यूरोपीय नेताओं और पश्चिमी मीडिया के हो-हल्ले पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है कि विगत में लोग ईरानी ड्रोन विमानों के बारे में संदेह जताते थे, लेकिन अब कह रहे हैं कि ईरानी ड्रोन ख़तरनाक हैं।

यूरोपीय सैन्य विशेषज्ञों का दावा है कि सितम्बर से यूक्रेन में युद्ध के मैदान में ईरानी ड्रोन विमानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि पिछले दो हफ्तों के दौरान, देश में बिजली स्टेशनों के नेटवर्क को नष्ट करने के लिए कम से कम 300 ईरानी शाहिद-136 ड्रोन विमानों का इस्तेमाल किया गया, जिन्हें रूस और यूक्रेन में कामिकाज़े कहा जाता है।


विश्व पटल पर ईरानी ड्रोन विमानों की धमक के मद्देनज़र सैन्य मामलों में सुप्रीम लीडर के सलाहकार मेजर जनरल यहया रहीम सफ़वी का कहना है कि कम से कम 22 देशों ने ईरानी ड्रोन विमान ख़रीदने के लिए दिलचस्पी ज़ाहिर की है।

ड्रोन विमनों के निर्माण में ईरान की महारत दशकों से एक राष्ट्रीय प्राथमिकता रही है और अमरीका और पश्चिम के कड़े प्रतिबंधों के बावजूद, ईरानी सरकारों ने इस कार्यक्रम को प्रभावित नहीं होने दिया।

1979 में इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद से पश्चिम ने इस्लामी गणतंत्र के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाया और तेहरान के ख़िलाफ़ कड़े प्रतिबंध लगा दिए। हालांकि इन प्रतिबंधों ने, ईरान को सभी क्षेत्रों, विशेष रूप से हथियारों और सैन्य उपकरणों के निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई।

1980 के दशक में ईरान-इराक़ युद्ध के दौरान, ड्रोन वमानों में तेहरान की दिलचस्पी बढ़नी शुरू हुई। जिसके बाद ईरान ने अपना सबसे पहले ड्रोन अबाबील बनाया।

ईरान ने अबाबील का उपयोग निगरानी और टोही अभियानों के लिए किया, जिसने मानव पूंजी और वायु सेना के संसाधनों को संरक्षित करने के लिए एक सैन्य अनिवार्यता को रेखांकित किया।

ड्रोन विमान तकनीक, ईरान की रक्षा रणनीति के तीन स्तंभों में से एक है। इसके अलावा, देश का मिसाइल कार्यक्रम और साइबर युद्ध के क्षेत्र में क्षमताओं को निखारना है।

सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिम के प्रतिबंधों के चलते वायु रक्षा क्षेत्र की कमियों का हल ईरान ने मिसाइल कार्यक्रम और ड्रोन विमान विकसित करके निकाल लिया है।

कुछ सैन्य विशेषज्ञों का तो यहां तक मानना है कि इस्राईल, तुर्की और अमरीका के ड्रोन विमानों की तुलना में ईरानी ड्रोन विमान अधिक प्रभावशाली हैं।

पिछले एक दशक में ईरान ने ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाई है। ईरान के पास अब ड्रोन की एक बहुत ही जटिल सिरीज़ और रेंज है, जिसका उपयोग वह निगरानी के लिए करता है। लेकिन साथ ही साथ हथियारों की डिलीवरी, रडार की जैमिंग और सैन्य अभियानों के लिए भी किया जाता है, जैसा कि फ़ार्स की खाड़ी में हम देख सकते हैं।