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रूस-यूक्रेन युद्ध का 181वां दिन : रूसी अधिकारियों का कहना है कि यह युद्ध लम्बा चलने वाला है : यूरोप-अमेरिका परेशान : रिपोर्ट

6 महीने बाद रूस-यूक्रेन युद्ध में अभी तक शांति का कोई रास्ता बनता नहीं नज़र आ रहा है, तुर्की के राष्ट्रपति अपनी तरफ से ये जंग रुकवाने के प्रयास ज़रूर कर रहे हैं, तय्यप अर्द्गाब के निजी सम्बन्ध रूसी राष्ट्रपति से हैं साथ ही यूक्रेन से भी तुर्की के मामलात हैं, अमेरिका और यूरोप के देशों ने यूक्रेन को आगे कर जो जंग शुरू की थी उसमे वो बुरी तरह से पहंस गए हैं, पुतिन जानते हैं कि यूरोप के देशों को लम्बी जंग लड़ने का अनुभव नहीं है, इसी का फायदा वो यूक्रेन में उठा रही हैं और जंग को लम्बा खींचे जा रहे हैं, इस तरह से यूरोप की आर्थिक स्थिति बदहाली की तरफ जा रही है वहां मंहगाई और ऊर्जा का संकट पैदा हो गया है दूसरी तरफ रूस को तमाम तरह के प्रतिबंधों के बावजूद किसी तरह का नुक्सान नहीं हो पाया है बल्कि उसकी करंसी 2009 के बाद सबसे ज़यादा मज़बूत जंग के दौरान हो गयी है

रूस की कोशिश रहेगी कि ये जंग सर्दियों के समय में भी जारी रहे उस वक़्त यूरोप के देशों को रूसी गैस और ऑइल की बहुत अधिक ज़रूरत होगी, ऐसे में पूरा यूरोप रूस के सामने घुटनों पर आ जायेगा, इस के आलावा रूस और चीन मिलकर अमेरिकी डॉलर को इस जंग के माध्यम से ठिकाने लगाने की कोशिश कर रहे हैं, इनका साथ ईरान, अरब के सभी देश, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, मध्य एशिया के देश, तुर्की आदि देने को तैय्यार हैं

इस जंग में एक और अहम् डेवलोपमेन्ट सामने आया है वो ये कि रूस की तरफ से अब ईरान के ड्रोन विमान भी शामिल हो गए हैं जोकि अब यूक्रेन पर हमला करेंगे, ईरान रूस का सबसे भरोसे का मित्र है

रूस-यूक्रेन युद्ध के 181वें दिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि हम युद्ध विराम के लिए रूस से वार्ता करने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम मेंस्क समझौते के अनुभव को नहीं दोहराना चाहते हैं, जिसमें यूक्रेन के एक भाग को उससे अलग कर दिया गया था।

रूस-युक्रेन युद्ध को शुरू हुए 6 महीने से ज़्यादा का समय हो चुका है। ऐसे समय में यूक्रेन के राष्ट्रपति के इस रुख़ से विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में दो देशों के बीच पहले इतने बड़े सैन्य टकराव की समाप्ति में कोई मदद नहीं मिलेगी। अमरीका और पश्चिम समर्थक किएव सरकार ने पिछले कई महीनों के दौरान युद्ध में रूस की प्रगति को रोकने के लिए अपनी पूरी ताक़त झोंक दी है, लेकिन वह अपने सहयोगियों की व्यापक सहायता के बावजूद पूरब और दक्षिण में हाथ से निकलने वाले अपने इलाक़ों को आज़ाद नहीं करा सकी है। इसलिए वह अब अपनी साख को बचाने के लिए युद्ध विराम को स्वीकार नहीं करने पर ज़ोर दे रही है।

दूसरी ओर रूस जो युद्ध की शुरूआत में दोनेस्क और लोहांस्क में किएव सरकार की शत्रुतापूर्ण कार्यवाहियों को रुकवाने के लिए विशेष सैन्य कार्यवाही पर ज़ोर दे रहा था, अब किएव सरकार को हटाने की बात कर रहा है। इसके अलावा मास्को ने अपने क़ब्ज़े वाले यूक्रेन के इलाक़ों में अपनी पोज़ीशन मज़बूत करनी शुरू कर दी है। रूसी अधिकारियों का कहना है कि यह युद्ध लम्बा चलने वाला है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में रूस के प्रतिनिधि गेनादी गैटिलोव का कहना हैः यूक्रेन संकट में किसी राजनीतिक समाधान की आशा नहीं है, इसलिए यह युद्ध लम्बा खींचने वाला है।

यूक्रेन युद्ध को पश्चिम के बुरे इरादों और रूस के प्रति आक्रामक व्यवहार के परिणाम के रूप में देखा जा सकता है। सच्चाई यह है कि यूक्रेन पर रूस का हमला, यूक्रेन को नाटो में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करके और रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ़ गंभीर ख़तरा उत्पन्न करके पश्चिम की आक्रामक कार्यवाहियों पर मास्को की प्रतिक्रिया थी। दूसरी ओर, अमरीका और उसके अन्य यूरोपीय और ग़ैर-यूरोपीय सहोयगी, जैसे कि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यहां तक ​​कि जापान, यूक्रेन में युद्ध को रूस और व्लादिमीर पुतिन के साथ अपना पुराना हिसाब किताब चुकाने के लिए एक अद्वितीय अवसर के रूप में देख रहे हैं। क्योंकि पुतिन पिछले दो दशकों से भी अधिक समय से यूरोप, पश्चिम एशिया और लैटिन अमरीका में अमरीका और नाटो की ज्यादतियों के खिलाफ़ डटे हुए हैं। ग्रेट यूरोप योजना की निदेशक मेरी डोमोलिन का मानना है कि यूक्रेन के व्यापक समर्थन ने दोनों पक्षों के लिए पीछे हटने को कठिन बना दिया है। क्योंकि हर पक्ष अभी भी यही सोच रहा है कि वह दूसरे पक्ष पर सैन्य श्रेष्ठता हासिल कर लेगा। इसिलए यह युद्ध जल्दी ख़त्म होने वाला नहीं है।