म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार और उनके विस्थापन की ओर से लापरवाही बरतने वाला एक महत्वपूर्ण संगठन आसेआन भी है। इसके अलावा ओआईसी और दक्षेस भी इसी प्रकार के संगठनों में शामिल हैं।
आसेआन निश्चित रूप से अगर म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों की दशा पर कुछ प्रभावी भूमिका निभा सकता था क्योंकि म्यांमार इस संगठन में खुद भी शामिल है। इस लिए अगर यह संगठन रोहिंग्या पर कड़ा रुख अपनाता तो निश्चित रूप से उस पर असर होता। ओईआईसी का गठन मूल रूप से फ़िलिस्तीन संकट पर मुस्लिम जगत को मज़बूत संयुक्त स्टैंड लेने के लिए हुआ था। इस संगठन से आम तौर पर यह आशा रखी जाती है कि वह मुसलमानों के अधिकारों से जुड़ा कहीं कोई बड़ा मुद्दा हो तो उस पर अपनी राय रखे और अपने स्तर से उस मुद्दे के समाधान के लिए पहल करे।
रोहिंग्या संकट के समय भी ओआईसी से यह आशा की जा रही थी कि वह अपनी ज़िम्मेदारी महसूस करते हुए इस बहुचर्चित मानव त्रासदी के बारे में कोई स्टैंड लेगा जिससे संकट के समाधान में मदद मिलेगी लेकिन कुछ इस्लामी देशों को छोड़कर अन्य इस्लामी देशों ने उदासीनता दिखाई और ओआईसी के मंच से इस बारे में कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया।