वाशिंगटन: अमेरिका के हॉलोकास्ट स्मारक संग्रहालय ने म्यांमार की नेता आंग सान सू की पर रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ चल रहे जातीय सफाये को रोकने के लिए बहुत कम प्रयास करने का आरोप लगाते हुए उन्हें दिया गया प्रतिष्ठित मानवाधिकार सम्मान वापस ले लिया है।
देश की सैन्य तानाशाही के खिलाफ अपने लंबे संघर्ष के कारण 1991 में नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाली सू ची को ‘साहसी नेतृत्व और निरंकुशता का विरोध करने के दौरान व्यक्तिगत बलिदान देने, बर्मा के लोगों की आजादी तथा सम्मान के लिए लड़ने’ के लिए छह साल पहले ‘हॉलोकास्ट म्यूजियम एली विसेल’ पुरस्कार दिया गया था, लेकिन संग्राहलय का कहना है कि म्यामांर की सेना द्वारा रोहिंग्या समुदाय के लोगों के खिलाफ ‘नरसंहार के बढ़ते साक्ष्यों’ के कारण वह सू की को दिया सम्मान वापस ले रहा है।
U.S. Holocaust Museum Revokes Award to Aung San Suu Kyi https://t.co/RDHthXQFz7
— Nicholas Kristof (@NickKristof) March 7, 2018
संग्रहालय ने सू की को भेजे पत्र भेजा है. इस पत्र में कहा गया है कि सभी की भांति उन्होंने ने भी रोहिंग्या मामले में सू की से कार्रवाई की आशा की थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. यहां तक कि उनके राजनीतिक दल ने संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं के साथ सहयोग करने से भी मना कर दिया।
https://twitter.com/HolocaustMuseum/status/971406117720002560?s=19
मानवता के खिलाफ अपराधों पर हुआ शोध
अल्पसंख्यक समुदाय रोहिंग्या के खिलाफ देश में सैनिकों द्वारा किये जा रहे अत्याचार के बाद लगभग 7 लाख रोहिंग्या देश से भाग गए थे. पिछले नवंबर में, संग्रहालय ने मानवता के खिलाफ अपराधों पर एक गहन शोध किया था. जिसके आधार पर अक्टूबर 2016 में म्यांमार सैनिकों के द्वारा रोहिंग्या नागरिकों पर जतीय जुल्म और नरसंहार की बातें सामने आई. संग्रहालय के द्वारा जारी बयान में कड़े शब्दों में कहा गया कि, ‘संग्रहालय जनसंहार और क्रूरता के पीड़ितों के साथ एकजुटता से खड़ा है’. एली विज़ेल ने कहा कि ‘तटस्थता उत्पीड़क की मदद करती है, पीड़ित की नहीं. यह चुप्पी उग्रता को प्रोत्साहित करती है.’
The United States Holocaust Memorial Museum has revoked a prestigious human rights award it had given to Daw Aung San Suu Kyi https://t.co/6Tk5q6rZJp
— The New York Times (@nytimes) March 7, 2018
इससे पहले म्यांमार की ‘स्टेट काउंसिलर’ आंग सान सूची की रोहिंग्या शरणार्थी मुद्दे से निपटने में निष्क्रियता को लेकर और देश में हुई हिंसा की तरफ से आंखें मूंदने के लिए उनसे ‘फ्रीडम ऑफ ऑक्सफोर्ड’ सम्मान वापस ले लिया गया था. हिंसा की वजह से छह लाख से अधिक लोगों को देश छोड़कर बांग्लादेश जाना पड़ा।
ऑक्सफोर्ड सिटी काउंसिल ने 72 वर्षीय सू ची को 1997 में दिये गये सम्मान को स्थाई रूप से वापस लेने के पक्ष में सोमवार (27 नवंबर) रात मतदान किया था. कांउसिलर मैरी क्लार्कसन ने कहा, ‘आज हमने उनसे उनके शहर के सर्वोच्च सम्मान को वापस लेने का अभूतपूर्व कदम उठाया है क्योंकि अल्पसंख्यक रोहिंग्या आबादी पर हुए दमन के दौर में वह निष्क्रिय रहीं.