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विचारधीन कैदी को अनिश्चित काल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है : उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 28 दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने धोखाधड़ी के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा कि एक विचाराधीन कैदी को अनिश्चित काल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है और जेल का उद्देश्य दंडात्मक या निवारक नहीं है।.

न्यायमूर्ति अमित महाजन ने कहा कि आरोपी के खिलाफ जिस अपराध का आरोप लगाया गया है उसके लिए अधिकतम सात साल की कैद की सजा। अदालत ने कहा कि दो साल जेल में बिता चुके इस आरोपी को सुनवाई में लगने वाले पूरे समय को जेल में बिताने के लिए नहीं कहा जा सकता खासकर तब जब सुनवाई के पूरा होने में काफी समय लगने की संभावना हो।.