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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ बने हालात को ‘प्रचंड चुनौती’ बताया!

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ बने हालात को ‘प्रचंड चुनौती’ बताया है. हालांकि उन्होंने इस बारे में और कुछ नहीं कहा है कि ‘प्रचंड चुनौती’ से उनका क्या मतलब है.

कोलकाता से छपने वाले अंग्रेज़ी अख़बार टेलीग्राफ़ की रिपोर्ट के अनुसार, एस जयशंकर इससे पहले चीन के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को ‘असामान्य’ कहते रहे हैं और इस लिहाज से विदेश मंत्री की ताज़ा टिप्पणी एक क़दम आगे बढ़ने जैसी है.

वियना में रविवार को भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के दौरान हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा में गंभीर बदलाव हुए हैं.”

उन्होंने कहा, “बेशक इसमें काफ़ी कुछ उस प्रचंड चुनौती पर केंद्रित है जिसका हम चीन से लगने वाली अपनी उत्तरी सीमाओं पर सामना कर रहे हैं.”

भारत के दूसरे पड़ोसी देशों के बारे में उन्होंने कहा कि पूर्वी और उत्तर पूर्वी सीमाओं पर बीते दशक में नाटकीय रूप से स्थिति में सुधार हुआ है और ऐसा इसलिए हो पाया है क्योंकि बांग्लादेश के साथ संबंध सुधरे हैं.

उन्होंने इसे कामयाब कूटनीति का उदाहरण बताया.

इसी संबोधन में उन्होंने एक बार फिर रूस-यूक्रेन पर भारत के स्टैंड को दोहराते हुए कहा कि मतभेद हिंसा और युद्ध से नहीं सुलझाए जा सकते हैं.

इतिहास में रिसर्च के दायरे को बढ़ाए जाने की ज़रूरत: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को आधुनिक भारतीय इतिहास में रिसर्च के दायरे को बढ़ाए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.

उन्होंने कहा कि “व्यक्तियों, संस्थानों और विषयों दोनों के संदर्भ में आधुनिक भारतीय इतिहास पर शोध के दायरे को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, ताकि भारत के अतीत के बारे में लोगों में बेहतर जागरूकता पैदा की जा सके.

इंडियन एक्सप्रेस अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार पीएम मोदी ने नेहरू मेमोरियल म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी की सालाना होने वाली जनरल मीटिंग में संस्था के अध्यक्ष की हैसियत से हिस्सा लेने के दौरान ये बात कही.

अख़बार के मुताबिक़, इस मीटिंग में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण, अनुराग ठाकुर, जी किशन रेड्डी, धर्मेंद्र प्रधान और राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने हिस्सा लिया.

संस्कृति मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने वर्तमान के साथ-साथ भावी पीढ़ियों के लाभ के लिए अच्छी तरह से दर्ज करने के लिए सामान्य रूप से देश में संस्थानों की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.

ब्लास्ट करना ‘ऑफ़िशियल ड्यूटी’ नहीं है- बॉम्बे हाई कोर्ट
साल 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस के अभियुक्त लेफ़्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की अपील पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि एक बम विस्फोट जिसमें छह लोगों की मौत हुई हो, उसे ‘ऑफ़िशियल ड्यूटी’ नहीं कहा जा सकता है.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने लेफ़्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की याचिका ख़ारिज करने का फ़ैसला सुनाते हुए कहा, “पुरोहित इस अपराध में मुख्य साज़िशकर्ता हैं.”

जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस पीडी नाइक की बेंच ने कहा कि इस विस्फोट और पुरोहित की ‘ऑफ़िशियल ड्यूटी’ में कोई संबंध नहीं है, इसलिए उन पर मुक़दमा चलाने के लिए किसी पूर्वानुमति की कोई ज़रूरत नहीं है.

अख़बार लिखता है कि 29 सितंबर, 2008 को हुए इस धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 लोग घायल हुए थे. हैंडलूम उद्योग के लिए चर्चित रहे इस शहर में धमाके के लिए मोटरसाइकिल का इस्तेमाल किया गया था.

हाई कोर्ट ने कहा, “केस के रिकॉर्ड को बारीकी से देखने पर ये साफ़ तौर से पता चलता है कि याचिकाकर्ता को सरकार ने कभी भी ‘अभिनव भारत’ नाम के संगठन को बनाने की अनुमति नहीं दी थी जबकि वे उस वक़्त सेना में कार्यरत कमीशंड अफ़सर थे.”

‘स्विगी’ का घाटा 2.24 गुना बढ़ा
बीते वित्तीय वर्ष में फ़ूड डेलिवरी ऐप ‘स्विगी’ का घाटा 2.24 गुना बढ़कर 3628.9 करोड़ रुपये हो गया है.

कारोबारी दुनिया के अख़बार बिज़नेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसी अवधि में कंपनी के ख़र्च में 227 फ़ीसदी की वृद्धि भी हुई है.

कंपनी रिसर्च प्लेटफ़ॉर्म टॉफ़लर के मुताबिक़ वित्तीय वर्ष 2022 में स्विगी का रेवेन्यु भी दोगुना बढ़कर 5704.9 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.

अख़बार का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में कंपनी का कुल ख़र्च 4292.8 करोड़ रुपये का था जो मौजूदा वित्तीय वर्ष में बढ़कर 9748.7 करोड़ रुपये हो गया है.

ज़ोमैटो की प्रतिस्पर्धी कंपनी स्विगी की स्टॉक मार्केट में अभी तक लिस्टिंग नहीं हुई है. पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में कंपनी ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में 300 फ़ीसदी ज़्यादा रक़म विज्ञापन पर खर्च किए हैं. इस साल ये रकम 1848.7 करोड़ रुपये है.

इस साल जनवरी में स्विगी का वैल्युएशन 10 अरब डॉलर का किया गया था.

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भारत-ऑस्ट्रिया कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं, जिसमें 2 भारतीयों के हित में होगा। एक समझौता प्रवासन और गतिशीलता पर होगा। ये उन भारतीयों के लिए आसान होगा जो यहां छात्र/पेशेवर के रूप में आना चाहते हैं: ऑस्ट्रिया के विएना में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर

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यूक्रेन पर हम बताना चाहते हैं कि भारत इस मुद्दे पर काफी चिंतित है। हम मानते हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है और मतभेदों को बैठकर हल करना चाहिए। संवाद और कूटनीति के रास्ते से हल निकालना चाहिए। मेरे प्रधानमंत्री दोनों देशों के नेताओं के साथ संपर्क में हैं: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर

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हमने अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरों पर बात की, जो आतंकवाद से उत्पन्न होते हैं, जिसमें सीमा पार, हिंसक उग्रवाद, कट्टरता और कट्टरवाद शामिल हैं, उनके प्रभावों को एक क्षेत्र में सीमित नहीं कर सकते: विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, वियना, ऑस्ट्रिया

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खासकर तब जब वे नशीले पदार्थों और अवैध हथियारों के व्यापार और अंतरराष्ट्रीय अपराध से जुड़े हों। क्योंकि उपरिकेंद्र भारत के इतने करीब स्थित है, स्वाभाविक रूप से हमारे अनुभव और अंतर्दृष्टि दूसरों के लिए उपयोगी हैं: विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, वियना, ऑस्ट्रिया

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दूसरा समझौता ‘वर्किंग हॉलिडे’ कार्यक्रम पर होगा। ये समझौता हम किसी भी देश के साथ पहली बार करने जा रहे हैं। ये समझौता भारतीय छात्रों को यहां 6 महीने तक काम करने के योग्य होंगे: विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर

sanjay kumar sahay
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन ने सीमा मुद्दों पर भारत के साथ हुए समझौतों का पालन नहीं किया और उसने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ‘‘एकतरफा बदलाव’’ की कोशिश की तथा इसी वजह से दोनों पड़ोसियों के बीच ‘‘तनावपूर्ण स्थिति’’ है।.