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शाही परिवार के सदस्यों को छुड़ाने के लिये क़तर ने इतिहास की सबसे बड़ी फिरौती दी-जानकर आपको हैरानी होगी

दोहा: कतर ने इराक में अगवा किए गए शाही परिवार को छुड़ाने के लिए 6892 करोड़ रुपए (एक बिलियन डॉलर) की फिरौती आतंकी संगठनों को दी थी। इसे अब तक की सबसे बड़ी फिरौती कहा जा रहा है। एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इन सदस्यों का अपहरण 16 दिसंबर 2015 में तब किया गया था, जब वे शिकार के लिए इराक चले गए थे। इनमें कतर के विदेश मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान के दो रिश्तेदार भी थे।

बीबीसी ने अब्दुल रहमान और इराक में कतर के राजदूत जायद अल ख्यारीन के बीच वॉइसमेल और एसएमएस के जरिए हुई बातचीत के आधार पर फिरौती दिए जाने का दावा किया। एक एसएमएस में अब्दुल रहमान ने राजदूत ख्यारीन को लिखा- अल्लाह आपकी हिफाजत करे। जैसे ही आपको कोई खबर मिले आप मुझे सूचित करें। जासिम मेरे रिश्ते के भाई और खालिद मेरी बुआ के पति हैं। इस मैसेज के जवाब में ख्यारीन ने कहा- मैंने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया था। मेरे पास बहुत सारे कॉल आ रहे थे और अभी मैं हालात के बारे में कुछ भी नहीं कह सकता। मैं आपको सूचित करता रहूंगा।

कई आतंकी संगठनों को दी फिरौती : दावा है कि फिरौती की रकम उन संगठनों को भेजी गई, जिन्हें अमेरिका ने प्रतिबंधित किया है। इनमें इराक की नागरिक सेना कताइब हिजबुल्लाह शामिल है। इस संगठन ने अमेरिकी सेना पर कई हमले भी किए थे। इसके अलावा ईरान की कुद्स फोर्स के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को भी पैसा मिला। उस पर अमेरिका और यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध लगा रखा है। साथ ही, हयात तहरीर अल शाम का नाम भी सामने आया। यह संगठन सीरिया में अलकायदा से संबंध रखता था और अल नुस्र फ्रंट के नाम से जाना जाता था।

मध्यस्थों ने मांगीं रोलेक्स की घड़ियां और महंगे सामान: कतर के एक अधिकारी ने बताया कि शाही सदस्यों को रखने की जगह हर 2-3 दिन में बदल दी जाती थी। इन लोगों को बिना खिड़की वाले बेसमेंट में रखा गया था। हालांकि, गैर शाही और दूसरे देशों के लोगों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाता था। राजदूत ने 2 इराकी मध्यस्थों से संपर्क किया। ये बिचौलिये कतर विदेश मंत्रालय गए और वहां रोलेक्स की घड़ियां और महंगे तोहफे मांगे। हालांकि, ये साफ नहीं है कि ये सब उन्होंने अपने लिए मांगा था, या फिर अपहरणकर्ताओं को देने के लिए। इसके बाद ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी भी इस डील में मध्यस्थता करने उतरे। उन्होंने अपहरणकर्ताओं से और पैसे ना मांगने की बात कही।

फिरौती की रकम पर संशय : राजदूत ने बताया कि जनवरी 2017 में आखिरी बार एक अरब डॉलर की फिरौती का जिक्र हुआ। इसके अलावा अलग से 15 करोड़ डॉलर भी मांगे गए। कतर के अधिकारियों ने संदेशों और वॉइस इमेल के सही होने की पुष्टि की। उनका यह भी मानना है कि गुमराह करने के लिए इनमें कुछ काट-छांट भी की गई। इन संदेशों की ट्रांसक्रिप्ट अप्रैल 2018 में वॉशिंगटन पोस्ट को मिली थी। अप्रैल 2017 में अपहरण संकट खत्म हो गया। कतर एयरवेज का एक विमान पैसे लेकर बगदाद गया और अपहृतों को लेकर लौट आया। कतर के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि कही है, लेकिन कतर एयरवेज ने खंडन किया है।

चरमपंथियों नहीं, इराक सरकार को दिया पैसा : चरमपंथियों को पैसा पहुंचाने के लिए कतर पर यूएई का विमान इस्तेमाल करने का आरोप है। सूत्रों का कहना है कि कतर की एक विरोधी सरकार ने एक अरब डॉलर से ज्यादा रकम भेजी। इसके अलावा 15 करोड़ डॉलर अलग से दिए गए। इस रकम का सबसे बड़ा हिस्सा कताइब हिजबुल्लाह को मिला। कतर के अफसरों ने बताया, रकम का ज्यादातर हिस्सा कैश था। उनका दावा है कि यह पैसा चरमपंथियों को नहीं, बल्कि इराक सरकार को आर्थिक विकास और रक्षा सहयोग के लिए भेजा गया था।