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#शेयरबाज़ार_और_कन्यादान…By – Lekhak Mukesh Sharma

Lekhak Mukesh Sharma
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#शेयरबाजार_और_कन्यादान
Lekhak Mukesh Sharma
शेयर बाजार क्या है इसे मैं भी नहीं जानता लेकिन आपको समझा रहा हूं यही शेयर बाजार का जोखिम है।इसलिए शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले उसे समझना बहुत आवश्यक है।इसे दो तरह से समझते हैं पहला तरीका मजाकिया है लेकिन सच है-

मैं बाबूखान की बेटी के विवाह में कन्यादान लिख रहा था।एक सज्जन आते और उन्होंने मुझे २१/ रुपये दिये मैंने लिख दिये।फिर कुछ सकुचाकर बोले,-“भाई साहब,पचास का नोट फटा हुआ है यदि चला लो तो ७१/ रुपये कर दो।”हमें क्या बुरा लगता हो हमने चला दिया।चल गया तो पचास का फायदा नहीं तो नुकसान शून्य।यह बात उन दिनों की है जब हमने बाबूखान के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट गाजियाबाद पर मुशर्रफ का पुतला फूंका था और बाबूखान भाजपा के बड़े जनपदीय नेता थे।

दूसरा तरीका यह है कि हर कंपनी अपना उत्पाद खड़ा करने के लिए शेयर या हिस्सा बेचती है।मान लो मैंने एक दुकान खोली और उसका हिस्सा बेचा।एक हिस्से की कीमत सौ रुपये रखी।लोगों ने हिस्सा खरीदा और खरीदते चले आते तो हमने हिस्से की कीमत बढ़ानी शुरू कर दीं।वहीं सौ रुपये का हिस्सा पांच सौ रुपये तक चला गया।अब इसमें कुछ ऐसे बुल घुस गये जो इसके माहिर थे तो उन्होंने लपककर एक हजार हिस्से पांच सौ के हिसाब से खरीद लिए और कीमत हो गरी सात सौ रुपया।क्योंकि जैसे ही कीमत बढ़ी अचानक खरीददारों का शैलाब आ गया।इसी अंतराल पर उन बुल ने अपने सारे शेयर बेच दिये और शेयर बाजार धड़ाम सात सौ से तीन सौ पर आ टिका। नुकसान किसका हुआ जिन्होंने बाजार देखकर दाम लगाया था।फायदा किसे मिले जो सम्पन्न था जानकारी था।यहीं अडानी साहब खड़े थे और खड़े हैं।उनका पैसा जहां था वहीं हैं और गिर जायेंगे तो भी कंपनी को नुकसान नहीं होगा शेष तो व्यापार है।