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संघ संयुक्त राष्ट्र में एक ऐसा शासन पूर्ण सदस्य बना हुआ है कि जिसका वजूद ही ग़ैर-क़ानूनी और अवैध है : फ़िलिस्तीनी प्रतिनिधि रियाज़ मंसूर

दुनिया भर के देशों के सबसे बड़े संघ संयुक्त राष्ट्र में एक ऐसा शासन पूर्ण सदस्य बना हुआ है कि जिसका वजूद ही ग़ैर-क़ानूनी और अवैध है, वहीं फ़िलिस्तीन जो दुनिया के प्राचीन देशों में से एक है वह आजतक इस संघ का पूर्ण सदस्य नहीं है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, संयुक्त राष्ट्र संघ में फ़िलिस्तीन के स्थायी प्रतिनिधि रियाज़ मंसूर ने कहा है कि फ़िलिस्तीन की पूर्ण सदस्यता के आवेदन के मुद्दे पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक बैठक आयोजित की जा रही है। यह बैठक गुटनिरपेक्ष आंदोलन द्वारा आयोजित की जा रही है। 29 नवंबर 2012 को, फ़िलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र संघ के ग़ैर-सदस्य पर्यवेक्षक का दर्जा मिला। नतीजतन, फ़िलिस्तीन को अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय सहित विभिन्न संगठनों का सदस्य बनने का अवसर मिला था। रियाज़ मंसूर ने यह भी कहा कि फ़िलिस्तीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ की पूर्ण सदस्यता और स्वतंत्रता के लिए समर्थन हासिल करने के सभी प्रयास जारी हैं। सुरक्षा परिषद के सभी सदस्यों से संपर्क किया जा रहा है।

विभिन्न सूत्रों के अनुसार संयुक्त राष्ट्र महासभा सम्मेलन 23 सितंबर से शुरू होगा। उस सम्मेलन में फ़िलिस्तीनी प्रशासन राष्ट्रपति महमूद अब्बास फ़िलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र संघ की पूर्ण सदस्यता दिए जाने के मुद्दे पर प्रकाश डालेंगे। उल्लेखनीय है कि अवैध ज़ायोनी शासन (इस्राईल) ने वर्ष 1948 में फ़िलिस्तीनी भूमि पर अवैध तरीक़े से ब्रिटेन, अमेरिका और कुछ अन्य यूरोपीय देशों की मदद से क़ब्ज़ा करके अवैध रूप से अपने अस्तित्व की घोषणा की थी, जिसके एक साल बाद उसे तुरंत संयुक्त राष्ट्र संघ की पूर्ण सदस्यता प्रदान कर दी गई थी। लेकिन फ़िलिस्तीन अभी तक संयुक्त राष्ट्र संघ का पूर्ण सदस्य नहीं बना है। फ़िलिस्तीन इससे पहले संयुक्त राष्ट्र संघ की पूर्ण सदस्यता के लिए आवेदन कर चुका है। लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका और अवैध ज़ायोनी शासन की निष्क्रियता के कारण अनुरोध स्वीकार नहीं किया गया था।