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सऊदी अरब के राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान ने तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगान को बताया शैतान

नई दिल्ली: सऊदी अरब के राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान आजकल अपने इस्लाम विरोधी फैसलों को लेकर बहुत ज़्यादा चर्चा में हैं। उनकी टकराहट तुर्की से भी धीरे धीरे जाहिर होती जा रही है। आम तौर पर मुसलमान तुर्की से भावनात्मक और अरब से रूहानी जुड़ाव रखते हैं लेकिन फिलहाल सलमान अपने इस्लाम विरोधी फैसलों की वजह से लोगो के दिल से उतरते जा रहै हैं तो वहीं तैयब एर्दोगान मुसलमानों का हिमायत के वजह से लोगो के दिलो मे जगह बनाते जा रहै हैं।

मिस्र के मीडिया के मुताबिक,अरब क्राउन प्रिंस बिन सलमान, जो इस सप्ताह काहिरा के दौरे पर गए थे, उन्होने तुर्की ईरान और कतर को मुस्लिम ब्रदरहुड और अन्य कट्टरपंथी गुटो के समर्थन के कारण इस क्षेत्र का ‘शैतान’ करार दिया है।

खबर है कि रियाद और तेल अवीव आने वाले खतरे से मुकाबला करने के लिए बेहतर संबंधों की ओर इशारा कर रहे हैं, उनकी इस पहल ने ईरान और तुर्की के इस्लाम पसंदो को पहले ही नाराज कर दिया है। तथ्य यह है कि बिन सलमान ने काहिरा में अपनी टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा है और उनकी इस बात ने आग में घी डाल दिया है।

यह कोई छुपी बात नहीं है कि तुर्की राष्ट्रपति तय्यिप एर्दोगान, सत्तारूढ़ न्याय और विकास पार्टी (ए केपी), और उनके इस्लामवादी समर्थन के आधार मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल सीसी से नफरत करते हैं क्योंकि उन्होंने मुस्लिम ब्रदरहुड को बहुत कमजोर कर दिया है।

रियाद और काहिरा दोनों ने घोषित किया है की, तुर्की के इस्लामिक संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड का सहयोग करते हैं।

रियाद के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने की अंकारा की इच्छा सरकारी समर्थकों के बीच सऊदी अरब की ओर झुंझलाहट के विरोध के खिलाफ एक स्टॉप वाल्व के रूप में काम करती है, लेकिन यह बदलती जा सकती है।

हम सच में नहीं जानते कि सलमान ने सच में काहिरा में क्या कहा था, लेकिन तुर्की के इस्लामवादी मीडिया के “प्रमुख”, यनी सफैक ने उन शब्दों को सही माना और इस बात को सबके सामने बयान करने में कोई समय बर्बाद नहीं किया।

इब्राहिम करगुल, फायरब्रांड अखबार के एडिटर ऑफ चीफ हैं, उन्होने क्राउन प्रिन्स पर आरोप लगाया है कि वे पश्चिम के एक उपकरण के रूप में इस्लाम को नष्ट कर सकते हैं,और करागुल ने की इस्लाम की हिफाजत में, तुर्की अपनी सारी ताकत लगा देगा।

कारगुल ने कहा की ईरान और मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ रियाद के जुनून के बारे में हम पहले से ही जानते हैं, और तुर्की को सऊदी अरब मध्य एशिया में बिल्कुल भी पसंद नही करत है। यरूशलम मामले में दिसंबर मे इस्तांबुल में इस्लामी शिखर सम्मेलन जो की एर्दोगान द्वारा बुलाया गया था उसमे अपनी निम्न उपस्थिति से सऊदी अरब ने ये साबित भी कर दिया था की वो तुर्की को ज़्यादा पसंद नही करता है।

सऊदी अरब के अधीन एमबीसी नेटवर्क द्वारा हाल ही में लोकप्रिय तुर्की टेलीविजन धारावाहिकों पर प्रतिबंध ने भी तुर्की को खासा नाराज कर दिया है।