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सऊदी अरब के शहज़ादे बिन सलमान का हुआ एक साल पूरा-देखिए कितना बदल गया देश

नई दिल्ली:मोहम्मद बिन सलमान एक साल पहले सऊदी अरब के राजा के उत्तराधिकारी नियुक्त किए गए थे। तबसे लेकर अब तक इस अति रूढ़िवादी देश ने कई बदलाव देखे हैं, जो इस तरह है।

21 जून 2017 को जारी शाही आदेश में किंग सलमान ने अपने उत्तराधिकारी भतीजे को पद से हटाकर, 31 वर्षीय बेटे मोहम्मब बिन सलमान को अपना नया उत्तराधिकारी चुना था। दुनियाभर में MBS के नाम से मशहूर प्रिंस मोहम्मद उत्तराधिकारी बनने के बाद रक्षा मंत्री भी बने रहे।

कतर के साथ संबंध खत्म करने के साथ शुरुआत
रियाद और तीन अरब सहयोगी देशों ने बीते साल जून में ही कतर के साथ संबंध खत्म कर लिए। इन देशों ने कतर पर आतंक का समर्थक और सऊदी के दुश्मन देश ईरान का करीबी होने का आरोप लगाया। हालांकि, कतर ने ये आरोप खारिज कर दिए।
सितंबर 2017 में अधिकारियों ने करीब 20 लोगों को पकड़ा, जिनमें प्रभावशाली मौलानाओं सहित कई अहम लोग शामिल थे।

इसके बाद नवंबर में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का हिस्सा बताते हुए करीब 380 शाही परिवार के सदस्यों, मंत्रियों और बिजनस टाइकून्स को गिरफ्तार किया गया। इनमें से कईयों को तो हफ्तों तक रियाद के रिट्ज कार्लटन होटल में रखा गया और अधिकांश को बड़े आर्थिक भुगतान के बाद रिहा किया गया।

महिलाओं को दिए अधिकार

प्रिंस सलमान के राज में सऊदी ने सितंबर 2017 में ही महिलाओं की ड्राइविंग पर लगे बैन को हटाने का ऐलान किया और इसकी शुरुआत के लिए 24 जून 2018 की तारीख तय की।

प्रिंस मोहम्मद की नियुक्ति के बाद से यह सुधारों की एक श्रृंखला है। प्रिंस मोहम्मद को विजन 2030 का आर्किटेक्ट भी माना जाता है, जिसके तहत बड़े स्तर पर सामाजिक और आर्थिक बदलावों की योजना तैयार की गई है। विजन 2030 MBS की नियुक्ति से पहले ही पेश किया गया था।

अन्य सुधारों में से एक सऊदी में दोबारा सिनेमाघर खोलना भी था। इसके साथ ही पुरुषों के साथ महिलाओं को भी कॉन्सर्ट्स में हिस्सा लिए जाने की मंजूरी मिला। हालांकि, इसके बावजूद महिलाओं पर कई पाबंदियां जारी हैं और सऊदी पर महिला कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई के आरोप भी लगते आ रहे हैं।

नवंबर 2017 में लेबनानी प्रधानमंत्री साद हरिरी ने रियाद से टेलिवजन पर अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने लेबनान पर ईरान के बढ़ते असर को इसका कारण बताया। सऊदी हमेशा से ईरान और लेबनान में हिजबुल्ला के खिलाफ रहा है। सऊदी पर यह भी आरोप लगते रहे हैं कि वह अपने सहयोगी देशों पर ईरान के खिलाफ खड़े होने के लिए दबाव बनाता रहता है।

हरिरी सालों से सऊदी अरब के समर्थक रहे हैं। उन्होंने दो हफ्ते तक रियाद में समय बिताया और उनके हमेशा सऊदी में रह जाने के कयास भी लगाए जाने लगे। लेकिन इस मामले में फ्रांस ने हस्तक्षेप किया और हरिरी ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया।

ईरान के प्रभाव को टक्कर

शहजादे सलमान ने नवंबर 2017 में यमन को बलिस्टिक मिसाइल की आपूर्ति करने को लेकर ईरान पर सैन्य अक्रामकता दिखाने का आरोप लगाया था। इससे कुछ दिन पहले ही सऊदी ने रियाद इंटरनैशनल एयरपोर्ट की तरफ दागे गए एक मिसाइल को मार गिराया था।

साल 2015 में रियाद यमन के संघर्ष में शामिल हुआ था और उसने हूती विद्रोहियों के खिलाफ सरकार को समर्थन दिया था।

प्रिंस मोहम्मद ने मार्च 2018 में कहा था कि अगर ईरान न्यूक्लियर हथिया विकसित करता है तो सऊदी भी करेगा। CBS टेलिविजन को दिए एक इंटरव्यू में MBS ने ईरान के सर्वोच्च नेता की तुलना हिटलर से करते हुए कहा था, ‘वह मध्य एशिया में अपना प्रॉजेक्ट बनाना चाहते हैं।’

साल 2015 में ईरान के परमाणु हथियारों पर अंकुश लगाने के लिए हुई डील को लेकर भी रियाद चुप रहा और इसी साल मई में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जब परमाणु डील से बाहर होने की घोषणा की तो सऊदी ने इस फैसले की तारीफ की।

इस साल मार्च में प्रिंस सलमान अपने पहले विदेश दौरे पर मिस्र और ब्रिटेन गए, जहां उन्होंने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के साथ लंच किया। इसके बाद उन्होंने दो हफ्ते अमेरिका में भी बिताए, जिस दौरान वह प्रेजिटेंट ट्रंप और अन्य राजनेताओं से मिले। उन्होंने फ्रांस और स्पेन का भी दौरा किया।

एक और बदलाव की तरफ इशारा करते हुए प्रिंस मोहम्मद ने अप्रैल में एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में कहा था कि इजरायली और फिलिस्तिनियों दोनों को अपनी जमीन पाने का अधिकार है। हालांकि, थोड़े दिन बाद किंग सलमान ने फिलिस्तीन के प्रति अपने दृढ़ समर्थन को दोहराया।