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सऊदी अरब में भारतीयों के लिये मुश्किल हुआ नौकरी करना-बदलाव किया अपनी पॉलिसी में

नई दिल्ली: विशाल तेल भंडार वाले सऊदी अरब के अधिकांश नागरिक सरकारी नौकरी करते हैं, जबकि निजी क्षेत्र के कई कामों में स्थानीय लोग रुचि नहीं लेते हैं। इसीलिए देश में निजी नौकरियों में भारतीयों की जबरदस्त मांग रही है, लेकिन अब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की नई नीतियों के चलते भारत और फिलीपींस के कामगारों के लिए संकट पैदा हो रहा है।

सलमान अपने देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए नीतियों में कई बदलाव कर रहे हैं। आर्थिक वृद्धि दर में गति लाने के लिए उन्होंने अपने नागरिकों के लिए नई नौकरियां पैदा करने की कोशिशें की हैं। इसके तहत सऊदी में रसोई, निर्माण और स्टोर काउंटर्स के पीछे काम करने वालों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा रहे हैं। नई नीतियों के मुताबिक अब देश की निजी और विदेशी कंपनियों को सऊदी अरब के नागरिकों को नौकरी देना जरूरी होगा। जबकि दशकों से इन्हीं कामों को भारतीय और फिलीपींस के लोग करते आए हैं।

सऊदी अरब इस साल सितंबर से अलग-अलग क्षेत्रों में सऊदी मूल के कामगारों को नौकरी पर रखने के लिए दबाव बना रहा है। इसका असर सेल्समैन, बेकरी, फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक्स में काम करने वाले भारतीय कामगारों की नौकरियों पर पड़ना तय है। सऊदी अरब विदेशी कामगारों के लिए वीजा भी महंगा करने जा रहा है। इसके मुताबिक सऊदी में निजी कंपनियों को स्थानीय नागरिकों की तुलना में अधिक विदेशी कामगारों को नौकरी देने पर जुर्माना देना होगा। ऐसे में नौकरी के लिए भारत और फिलीपींस से गए लोगों की वतन वापसी करना होगा।

ज्वैलरी क्षेत्र में देखी गई उठापटक

हाल ही में सऊदी के शाही फरमान से ज्वैलरी क्षेत्र में काफी उठापटक देखी गई थी। स्थानीय लोगों को उद्योग से संबंधित जरूरतों तक का पता नहीं था। साथ ही उन्हें कोई काम नहीं आता था। इस कारण भारतीय लोगों ने उन्हें प्रशिक्षण भी दिया, लेकिन वे कंपनी के हिसाब से काम नहीं कर पा रहे हैं।

कंपनियों को भी आएगी परेशानी

सऊदी अरब में निजी क्षेत्र की कंपनियों की परेशानी यह है कि स्थानीय नागरिक न तो काम में दक्ष होते हैं और न ही उनसे अधिक देर तक काम लिया जा सकता है। इसके अलावा सऊदी के लोग आराम तलबी से काम करना पसंद करते हैं। ऐसे में सऊदी नागरिकों को नौकरी पर रखना बहुत महंगा साबित होता है।