साहित्य

सत्य का अनुसरण करने बाला व्यक्ति भय और चिंता से सदैव दूर रहता है : लक्ष्मी सिन्हा का लेख पढ़ें!

Laxmi Sinha
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सत्य का मानव जीवन में वर्णनातीत महत्त्व है।
हमारे शास्त्रों में “असतो मा सद्गमय” अर्थात मुझे
असत्य से सत्य की ओर ले चलो का हीं संदेश है।
हालांकि, सत्य के पथ पर चलना कठिन है, क्योंकि
इस पथ पर कंटकों की बहुतायत होती है। सत्य की
एक विशेषता यह है कि यह अपरिवर्तनशील होती
है, जबकि असत्य सदैव परिवर्तित होती रहती है,
क्योंकि उसे बार – बार स्वरूप बदलनी पड़ती है।
वास्तव में एक सच हमे सौ झूठ बोलने से बचा
लेती है। सत्य भले ही कटु हो, किंतु हानीप्रद नहीं
होती। इसके विपरीत झूठ प्रायःमधुर होती है, किंतु
साथ ही हानिकारक भी। सत्य का अनुसरण करने
बाला व्यक्ति भय और चिंता से सदैव दूर रहता
है, जबकि असत्य का आसरा लेने वाला प्रतिक्षण
अज्ञात भय एवं नाना प्रकार के चुनावों से घिरा रहता
है। असत्य अंधकार का प्रतीक है जबकि सत्य
प्रकाश का। अंधकार का कोई स्वतंत्र अस्तित्व
नहीं है, वह केवल प्रकाश की अनुपस्थिति का
दुष्परिणाम है। ठीक उसी प्रकार असत्य भी स्वतंत्र
रूप से असि्तत्वविहीन है। असत्य सदैव सत्य की
अनुपस्थिति से ही प्रगट होता है। सत्य के मार्ग पर
चलने हेतु व्यक्तित्व में धैर्य का होना आवश्यक है,
क्योंकि जिस मनुष्य के भीतर धैर्य का अभाव है,
वह सत्य के पथ पर कदापि नहीं चल सकता। सत्य
का पथ मनुष्य को सदैव विजय, प्रसिद्ध और यश की
ओर ले जाता है ,जबकि असत्य के मार्ग पर चलकर
अपयश के अतिरिक्त कुछ भी नहीं प्राप्त होता। हमें
तात्कालीक लाभों के लोभ में आकर कभी असत्य को
नहीं अपनाना चाहिए, क्योंकि ऐसे असत्य का सहारा
लेकर प्राप्त हुए तात्कालीक लाभ क्षणिक सुख तो
दे सकते हैं, किंतु जीवन का वास्तविक एवं स्थायी
आनंद नहीं। सदा सत्य के मार्ग पर चलकर ही हम
आदर्श स्थापित करने में सक्षम हो सकते हैं। स्मरण
यह है कि जहां सत्य है, वही धर्म है और जहां धर्म
है, वही विजय है।

#Laxmi_sinha
प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी(बिहार)