देश

सुप्रीम कोर्ट के बाबरी मस्जिद पर फैसले के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया ऐलान-जानिए

नई दिल्ली: बाबरी मस्जिद के सम्बन्ध से हाल ही में आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुसलमानों में काफी बैचैनी पाई जारही है,जिसको दूर करने के लिये ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रेस रिलीज जारी करके रहनुमाई करी है।

बोर्ड की तरफ से आये लिखित ब्यान में कहा गया है कि” बाबरी मस्जिद के बारे में जो मुक़दमा चल रहा था उसका फैसला आगया मगर ये फैसला बाबरी मस्जिद की हकीकत के मामले पर नही है,हकीकत का जो मुक़दमा सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है उस पर सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी।

बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा कि कुछ दिनों में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की जगह नये चीफ जस्टिस आजाऍंग और वो बैंच तय करेंगे जिसके सामने इस पूरे मुकदमे की सुनवाई होगी,जहां तक आने वाले फैसले का ताल्लुक है तो इस सम्बंध कानूनी जानकारी ली जांएगी,और मीटिंग के बाद कोई फैसला लिया जाएगा।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्यों ने गुरुवर को मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग है या नहीं के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि इसको अयोध्या विवाद से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। इस फैसले से साफ हो गया है कि मंदिर-मस्जिद प्रकरण की सुनवाई आस्था की बुनियाद पर बिल्कुल नहीं होगी।

बोर्ड कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि इस फैसले से दो बेहद सकारात्मक बातें निकलकर आई हैं। पहला, यह कि अयोध्या मामले की सुनवाई कतई तौर पर आस्था की बुनियाद पर नहीं होगी, बल्कि केवल स्वामित्व के विवाद के तौर पर होगी। दूसरा, इस्माइल फारूकी की अदालत का जो भी नजरिया था, उसका कोई भी असर अयोध्या मामले पर नहीं पड़ेगा।

मौलाना ने कहा कि अब 29 अक्तूबर से अयोध्या मामले की सुनवाई का एलान किया गया है, उससे उम्मीद जगी है कि मामले की अंतिम सुनवाई जल्द से जल्द हो जाएगी। उन्होंने एक सवाल पर कहा कि इस मामले में जहां तक मजहबी नजरिये का सवाल है तो मस्जिद का बुनियादी मकसद ही नमाज अदा करने का होता है। मस्जिद का होना जरूरी है। यह बात कुरान, हदीस और इस्लामी कानून से पूरी तरह साबित है।

बोर्ड के एक अन्य वरिष्ठ सदस्य और उत्तर प्रदेश के पूर्व अपर महाधिवक्ता जफरयाब जीलानी ने कहा कि यह फैसला सिर्फ तकनीकी मसले से जुड़ा है। इसे योध्या के मामले से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।