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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, देश का माहौल “हेट स्पीच के कारण ख़राब हो रहा है, भड़काऊ बयानबाज़ी पर अंकुश लगाने की ज़रूरत है : रिपोर्ट

एक याचिका की सुनवाई करते हुए भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने को कहा है कि देश का माहौल “हेट स्पीच के कारण खराब हो रहा है।

भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भड़काऊ बयानबाज़ी पर अंकुश लगाने की ज़रूरत है। यह टिप्पणी भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ “बहुसंख्यक हिंदू वोट जीतने, सभी पदों पर सत्ता हथियाने, नरसंहार करने और भारत को 2024 के चुनाव के पहले हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए नफ़रत भरे भाषण दिए जा रहे हैं।” बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के नेता और कट्टरपंथी हिन्दू संगठनों से जुडे हुए लोग इधर कुछ वर्षों से लगातार भड़काऊ और ज़हरीली बयानबाज़ी कर रहे हैं। लेकिन सरकार और पुलिस उनके विरुद्ध किसी भी प्रकार को कोई एक्शन नहीं ले रही है। भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच ने हरप्रीत मनसुखानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “आप यह कहने में सही हो सकते हैं कि नफ़रत भरे भाषणों के कारण पूरा माहौल ख़राब हो रहा है और उन पर अंकुश लगाने की ज़रूरत है।”

मनसुखानी ने दलील दी कि कुछ राजनीतिक दलों द्वारा नफरती भरे भाषणों को “लाभदायक व्यवसाय” में बदल दिया गया है और सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत के पास इन मामलों का विवरण नहीं है। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता नफ़रत भरे भाषणों के विशेष मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है, जिन लोगों ने भाषण दिए हैं उनपर क्या कार्यवाही हुई है और संबंधित अधिकारियों द्वारा ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कोई क़दम उठाया गया है कि नहीं। पीठ ने कहा कि नफरत भरे भाषणों के 58 मामले हैं और अदालत को एक अस्पष्ट विचार देने के बजाय, याचिकाकर्ता तत्काल मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे मामलों में संज्ञान लेने के लिए अदालत को तथ्यामत्क पृष्ठभूमि की ज़रूरत है। उन्होंने कहा, “हमें कुछ उदाहरण चाहिए नहीं तो यह बिना किसी सिरे की याचिका जैसा है।” ग़ौरतलब है कि हाल के महीनों में भारत में हुईं कई भड़काऊ गतिविधियों की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में ख़ासी चर्चा हुई है। पहले हरिद्वार में हुई ‘धर्म संसद’ में मुसलमानों के नरसंहार की अपील और उसके बाद एक ऐप बनाकर उस पर मुस्लिम महिलाओं की नीलामी की कोशिश जैसी घटनाओं की तीखी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया हुई है। इसी साल अमेरिका ने 2021 में भारत में धार्मिक हमले को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट कहती है कि सालभर में भारत सरकार ने अपनी हिंदू-राष्ट्रवादी नीतियों को और मजबूत करने के लिए कई नीतियां अपनाई हैं जो मुसलमान, ईसाई, सिख, दलित और अन्य अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ काम कर रही हैं।