धर्म

“सुब्हान अल्लाह व बिहम्दिही, सुब्हानल लाहिल अज़ीम” : अल्लाह हम सबको उसकी इताअत की तौफीक़ दे!

 

Shams Bond
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वो बताए की जाहिल हो तुम,, हम फटाक से मान भी गए कि हम से बड़ा जाहिल कोई नै होगा ।
तब उन्होंने बोला कि कव्वाली कौल ( कथन,डायलॉग) का बहुवचन है ,जिसको नेक लोगों ने लिखा है अगर उसमें से वाद्य (म्यूजिक) निकाल दिया जाए तो बहुत जायज़ और हलाल हो जाता है 😁😁😂😂😁😁

जिसे बिना संगीत के गाया जा सकता है,,,(संगीत के साथ सिर्फ भांड ही गाया करते हैं😂)

मै गंभीर हो गया कि अगर गुनगुनाना ही है तो अरबी अल्फ़ाज़ की छोटी छोटी दुआएं होती हैं,, जिनमें लय धुन और ताल सभी कुछ है,,अगर आवाज़ में भी मिठास और उतार चढ़ाव हो तो सबसे बेस्ट गीत अरबी में सुना सकते हो ।

लेकिन इस तरह जज़्बात में गुनगुनाना खुद के लिए तो फायदेमंद है लेकिन अगर हारमोनियम तबला और झाल बजाने के साथ सुन्नत की दुआ को कव्वाली या फिल्मी तर्ज़ पर गाना बना कर उसका धंधा करना हर एंगल से हराम , लानत और दुत्कार का मस्तहिक है ।

मेरी आदत है कि मस्जिद में अज़ान के बाद दाखिल होने से लेे कर इमाम की गतिविधि तक मै कोई हदीस की दुआ गुनगुनाता हूं ।और नमाज़ी लोग शौक से कान लगा कर सुनते भी हैं ।

कव्वाली के शौकीन इस दुआ पर रियाज़ करें तो ज़रूर बेहतर धुन तैयार कर सकते हैं अपने लिए।
“सुब्हान अल्लाह व बिहम्दिही, सुब्हानल लाहिल अज़ीम”
या फिर
अल्लाहूम्मगफिर्ली वरह्मनी वजबुर्नी व आफिनी व अहदिनी व रुज़ूक़नी

ये दो कलिमात मेरे सजाए हुए है ,आप अपनी सहुलत जानकारी और शौक के मुताबिक भी दुआ चुन सकते हैं ।

जब अल्लाह ने कुरान को सबसे बेहतरीन कविता की श्रंखला में रखा है,तो हम उस महानतम कविता को अपनी तरन्नुम में ज़रूर संजो सकते हैं,हमारे नबी (pbuh) ने ऐसी दुआएं बताई हैं जिन्हें गुनगुना कर करार मिलता है दिल को तो फिर भारती पाकिस्तानी, चिश्तिया भांड कव्वालों की भद्दी अवाज़ में ताली पीटन कव्वाली क्यूं गाई जाए, जिसमें फ़रजी पेशेवर जज़्बात हों और तबला ढोलक बैंजो के साथ साथ गुमराह अक्वाल ( कथन, डायलॉग्स) हों ।
मुझे जाहिल या काना कहने से कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा,मै जाहिल भी हूं और काना के नाम से बचपन के दोस्त मुझे जानते पहचानते भी हैं ।

मै शर्मिंदा नहीं होता इन सब ऐबों पर ,क्यूंकि ये सारी की सारी चीज़ें मेरे अल्लाह ने दी है,अच्छा घर दिया,खानदान दिया,इज़्ज़त एहतराम वाले रिश्तेदार मिले ,नाराज़गी के बावजूद मुहब्बत करने वाले आप जैसे फेसबुकी मुखलिस दोस्त मिले इतनी सारी नियामतों के बाद अगर कानेपन की शिकायत रखूं तो मुझसे बड़ा नशुक्रा कौन होगा ?
अल्लाह हम सबको उसकी इताअत की तौफीक़ दे,और अता की गई नेमत का शुक्रगुजार बंदा होना कबूल करे ,,,आमीन