दुनिया

सुरक्षा परिषद की चुप्पी ने फ़िलिस्तीनी जनता को कट्टरपंथ की कगार पर खड़ा कर दिया है : ईरान

संयुक्त राष्ट्र संघ में ईरान के स्थायी प्रतिनिधि अमीर सईद एरवानी ने कहा कि सुरक्षा परिषद ने अपनी चुप्पी से फ़िलिस्तीनी जनता को स्थायी उग्रवाद के कगार पर खड़ा कर दिया है।

पश्चिम एशिया और फ़िलिस्तीन के हालात की समीक्षा के लिए मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की बैठक हुई। इस बैठक को संबोधित करते हुए ईरान के स्थायी प्रतिनिधि अमीर सईद एरवानी ने कहा कि 75 साल हो गए हैं और फ़िलिस्तीनी राष्ट्र, ज़ायोनी शासन द्वारा लगातार आक्रामकता, उग्रवाद और उत्पीड़न का सामना कर रहा है और उनकी जमीनों के हड़पने, उनकी घेराबंदी, उनकी संपत्ति, खेतों और बगीचों और उनके शहरों पर क़ब्ज़े किए जा रहे हैं और लोगों को अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र संघ में ईरान के प्रतिनिधि ने कहा कि इस साल की शुरुआत से फ़िलिस्तीनी जनता, ज़ायोनी सैनिकों और अवैध ज़ायोनी बस्तियों के निवासियों द्वारा अत्यधिक चरमपंथ और उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं जिसमें अब तक 100 फ़िलिस्तीनियों की मौत हो गई है, जिनमें 21 बच्चे शामिल हैं। उनका कहना था कि आम नागरिकों को गिरफ़्तार या निशाना बनाया जा रहा है, लगभग 5 हज़ार फ़िलिस्तीनियों को अवैध रूप से और मनमाने ढंग से क़ैद में रखा गया हैजिनमें 31 महिलाएं और 170 बच्चे शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि इस्राईल की इस तरह की भयानक कार्रवाइयाँ ज़ायोनी शासन द्वारा फिलिस्तीनियों के अधिकारों के व्यवस्थित उल्लंघन का एक हिस्सा हैं और अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों और मानवाधिकारों के स्पष्ट उल्लंघन का एक स्पष्ट उदाहरण हैं।

ईरान के स्थायी प्रतिनिधि ने सुरक्षा परिषद से महिलाओं और बच्चों सहित मस्जिदुल अक़सा में इबादत करने वालों पर क्रूर हमलों की कड़ी निंदा करने की अपील की।

एरवानी ने आगे कहा कि जवाबदेही की कमी ने घृणित शासन को और अधिक अहंकारी बना दिया है और सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्तावों का उल्लंघन करना जारी रखा है।